उलूक टाइम्स: एक
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गुरुवार, 9 नवंबर 2017

शरीफ लिखने नहीं आते हैं काम करते हैं करते चले जाते हैं एक नंगा होता है रोज बस लिखने चला आ रहा होता है

सौ में से
निनानवे
शरीफ
होते हैं

उनको
होना ही
होता है

होता वही है
जो वो चाहते हैं

बचा हुआ बस
एक ही होता है
जो नंगा होता है

उसे नंगा
होना ही
होता है

उसके
बारे में
निनानवे ने
सबको
बताया
होता है
समझाया
होता है
बस वो ही
होता है
जो उनका
जैसा नहीं
होता है

निनानवे
सब कुछ
सम्भाल
रहे होते हैं
सब कुछ
सारा कुछ
उन के
हिसाब से
हो रहा
होता है
शराफत
के साथ

नंगा
देख रहा
होता है
सब कुछ
कोशिश कर
रहा होता है
समझने की

मन्द बुद्धि
होना पाप
नहीं होता है

नहीं समझ
पाता है
होते हुऐ
सब कुछ को
जिसे सौ में
से निनानवे
कर रहे होते हैं

कुछ
कर पाना
नंगे के
बस में
नहीं हो
रहा होता है

नंगा हम्माम
में ही होता है
नहा भी
रहा होता है

निनानवे
को कोई
फर्क नहीं
पड़ रहा
होता है
अगर
एक कहानी
बना कर
उनकी अपने
साथ कहीं
कोई चिपका
रहा होता है

नंगे
‘उलूक’
ने सीखी
होती हैं
बहुत सारी
नंगई
लिखने
लिखाने
को
नंगई पर

एक भी
निनानवे
में से
कहीं भी
नहीं आ
रहा होता है

निनानवे का
‘राम’ भी
कुछ नहीं
कर सक
रहा होता है

उस
“बेवकूफ” का
जो जनता
को छोड़ कर
अपनी
बेवकूफी
के साथ
खुद को
नीरो
मान कर
समझ कर
रोम का

अपने
जलते घर में
बाँसुरी बजा
रहा होता है।

चित्र साभार: Wikipedia

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

गणित लगाकर लिखने से एक लिखा एक ही माना बतायेगा

लिखने
का गणित
सीख कर लिख

उसके बाद
कुछ भी
जोड़ घटाना
गुणा भाग लिख

देख
दो और दो
चार ही हो पायेगा

गणितज्ञ लेखक

जो भी
लिखेगा
लिखा हुआ
अपने आप ही

सीधे
पाठक तक

सवालों के
जवाब की तरह
लिखे लिखाये
को पहुँचायेगा

चार
का तीन
या पाँच
बनाना भी
कोई चाहेगा
तब भी नहीं
बना पायेगा

अर्थ
लिखने
और पढ़ने
के बीच का
समझने समझाने में

नहीं गड़बड़ायेगा

साफ साफ
लिखा हुआ
साफ साफ
पढ़ा जायेगा

खाना भी
चाहेगा कोई
समझा कर
बीच में कुछ
अपने हिसाब का

बिना
गणित सीखे
नहीं कर पायेगा

लिखे
लिखाये में
वैसे भी कोई
खाने पीने का
जुगाड़ नहींं

समझ
में आ गई
बात पर कोई भी
कमीशन नहीं
बना पायेगा

मुश्किल होगा
करना कोई घोटाला

एक बात
का एक ही मतलब
निकल कर आयेगा

दुखी
क्यों होते हो मित्र

लिखो मन से
कितने ही गीत
माना वही निकलेगा
जो लिखने वाले से
दिल से लिखा जायेगा

‘उलूक’
नहीं पढ़ सका गणित
ये अलग बात है

कोई
हिसाब किताब
खुश रहो
बेफिकर रहो
अपना नहीं लगायेगा ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com

सोमवार, 23 सितंबर 2013

एक सही एक करोड़ गलत पर भारी होता है

ऐसा
एक नहीं
कई बार
होता है

जब
ऊपर
वाले का
अपना कोई

नीचे
आकर के
जन्म लेता है

हर कोई
उसे उसका
एक अवतार
कहता है

सुना गया है

बैकुंठ में
वैसे तो
सब कुछ
होता है
और
अलौकिक
होता है

फिर
इस लोक में
क्यों कोई
आने को

इतना
आतुर होता है

ये
उसकी
समझ में
आने से
बहुत
दूर होता है

जो
खुद के
यहां होने से

बहुत
दुखी होता है

जब देखो
बैकुंठ
जाने के लिये
रोता रहता है

पर
जो जो
यहां होता है

वो
बैकुंठ में
कभी नहीं
होता है

लूटमार
भ्रष्टाचार
सड़क का
ब्लात्कार

बीस गोपियां
बीबी चार
मैं और मेरे
को लेकर
मारामार

केवल
यहीं होता है

और

यहां
सब की
नजर में
ये सब कुछ
ठीक होता है

वो
कहता है

कि
सबको
ठीक करने
के लिये ही

उसे
ऊपर से

नीचे
उतरना
होता है

किसी को
पता नहीं
होता है

जब भी
उसका मन

इस
लोक में
आने का
होता है

उसके
इशारे
पर ही

यहां
बहुत
कुछ
होता है

उस बहुत
कुछ को

देखने
सुनने
के लिये
ही तो

वो
यहां होता है

अकेले
होता है से

क्या होता है

परलोक
का एक
इस लोक के
अनेक के ऊपर

बहुत
भारी होता है

कोई भी
कहीं भी
कुछ भी
करता रहे

जब वो
यहां होता है

तो फिर

किसी के
भी किये गये

गलत सलत से
क्या होता है

उसका
होना ही

अपने आप में

क्या 

नहीं होता है ।

शनिवार, 12 मई 2012

जा एक करोड़ का होजा

बीबी बच्चों का
भविष्य बना
एक करोड़ का
तू बीमा करा

इधर अफसर
तीन सौ करोड़
घर के अन्दर
छिपा रहा है

उधर उसका
अर्दली
दस करोड़
के साथ
पकड़ा
जा रहा है

तू कभी
कुछ नहीं
खा पायेगा

बस सपने
ही देखता
रह जायेगा

अपने पास
ना सही
किसी के पास
एक करोड़
इस तरह तो ला
एक करोड़ का
सपना तू होजा

चल सोच मत
किश्त जमा
कर के आ

अभी करायेगा
कम किश्त में
हो जायेगा

बूढ़ा हो जायेगा
किश्त देने में
ही मर जायेगा

आज करा
अभी करा
एक करोड़
की पेटी होजा

दो रोटी
कम खा
बीमा
जरूर करा

बीमा
करते ही
अनमोल
हो जायेगा
किसी के
चेहरे पर
रौनक
ले आयेगा

तेरे जीने
की ना सही
मरने की
दुआ करने
कोई ना कोई
अब मंदिर की
तरफ जायेगा

किसी की
मौत पर
रोना शुरु हो
जाते हैं लोग
तू पैदा हुआ
खुश हुवे
थे लोग

मरेगा
तब भी
हर कोई
मुस्कुरायेगा
चल सोचना
बंद कर

तीन सौ
का नहीं
बस एक
करोड़ का
ही सही

करा
जल्दी करा
साठ पर करा
और सत्तर पर
पार होजा पर
बीमा एक करोड़
का जरूर करा।