उलूक टाइम्स: ओढ़
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सोमवार, 15 अप्रैल 2019

शरीफ के ही हैं शरीफ हैं सारे जुबाँ खुलते ही गुबार निकला

गाँव में
शरीफों से
बच रही है रजिया

बात नहीं बताने की

इज्जत
उतारने वाला
शहर में भी एक
शरीफ ठेकेदार निकला

शरीफों
को आजादी है
संस्कृति ओढ़ने की
और बिछाने की

दिनों से
शरीफ साथ में है
पता भी ना चला

और रोज ही
शराफत से एक
नया अखबार निकला

शरीफों
को सिखा दी है
शरीफ ने
कला

शराफत से
गिरोहबाजी करने की

गिरोह
शरीफों का
गिरोह शरीफों के लिये

एक
शरीफ का ही
शराफत का
बाजार निकला

जिन्दगी
निकल जाती है
गलतफहमी में
इसी तरह बेवकूफों की

एक नहीं
दो नहीं
कई कई बार
फिर फिर

बेशरम
अपनी ही इज्जत
खुद अपने आप
उतार निकला

‘उलूक’
जरूरत है

खूबसूरत
सी हर
तस्वीर के
पीछे से
भी देखने की

फिर
ना कहना
अगली बार भी

एक
सियार
शेर का
लबादा ओढ़ कर

घर
की गली से
सालों साल
कई कई
बार निकला।

चित्र साभार: http://getdrawings.com

सोमवार, 3 अगस्त 2015

कुछ शब्द शब्दों में शरीफ कुछ चेहरे चेहरों में शरीफ

कुछ शरीफ चेहरे
शरीफ से कुछ
शब्द ओढ़े हुऐ
लिये हुऐ सारे
के सारे शरीफ
शब्दों को अपने
शरीफ हाथों में
करते हुऐ कुछ
शरीफ शब्दों को
इधर से कुछ उधर
पहुँचाने में लगे हों
जैसे इस शरीफ
हथेली से उस
शरीफ हथेली तक
बहुत ही शराफत से
रहते हुऐ शरीफों के साथ
शरीफ शब्दों को धोते
बहुत सफाई के साथ
दिखाई देते शरीफों के
खेतों में शराफत से बोते
कुछ बीज शरीफ
से छाँट कर
होता तो ऐसे
में कुछ नहीं
कह ही दी जाये
इतनी जरूरी
बात भी नहीं
कुछ कमजोरी कहें
कुछ मजबूरी कहें
कुछ श्रद्धा कहें
कुछ सबूरी कहें
कुछ शरीफों
के मेलों की
कुछ शरीफों के
शरीफ झमेलों की
शरीफ ओढ़े कुछ शरीफ
शरीफ मोड़े कुछ शरीफ
शरीफ तोड़े कुछ शरीफ
कुछ शब्द शब्दों में शरीफ
कुछ चेहरे चेहरों में शरीफ ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com