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सोमवार, 21 सितंबर 2009

कर्ण

ज़िंदगी
में
कितनी बार
मरे
कोई

बार बार
मर के
जिंदा
रहे
कोई

मरने के बाद
ज़न्नत की 
बात करे
कोई

ज़न्नत
और 
दोज़ख

ज़िंदा 
रह कर
भोगे
कोई

मांगने
को 
हिकारत से 
देखे
कोई

फिर भी 
ताज़िंदगी
मंगता रहे
कोई

एक
भिखारी
को कौड़ी
दे कर
कोई

कर्ण बनने 
का दम
भरता
कोई

पैदा होते
दे दे
कहता
कोई

माँ बाप
बहन भाई
से
लेता
कोई

औरत बच्चे
झूठे सच्चे
से
मांगे
कोई

मंदिर मस्जिद
चर्च गुरुद्वारा
झांके
कोई

बुड़ापे में जवानी
जवानी में रवानी
मांगे
कोई

मांगे मांगे
भिखारी
बन गया
कोई

फिर भी
भिखारी
को कौड़ी
दे कर
कोई

आता जाता
पीता खाता

खुशफहम
रहता कोई।