उलूक टाइम्स: किताब
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रविवार, 25 मार्च 2012

सारे साहब

अपने रोज के नये साहब
को नया सलाम बोलता है
आके फिर से यहाँ
वो किताब खोलता है
सुबह खोलता है
शाम खोलता है
किताब के पन्ने
एक गुलाम खोलता है
देख कर नये पन्ने
जब दिमाग डोलता है
कई बार खोलता है
अपने आप बोलता है
खेल नहीँ खेलता है
खिलाड़ी को झेलता है
फुटबाल बना के कोई
जब हवा पेलता है
हर कोई अपने को
साहब बोलता है
गुलाम कभी नहीं
जुबान खोलता है
अपने रोज के नये साहब
को नया सलाम बोलता है
आके फिर से यहाँ
वो किताब खोलता है।

बुधवार, 23 नवंबर 2011

आदमी / बंदर

डारविन को
कोट कर
सुना है बंदर
को आदमी
बना दिया गया
उन किताबों मे
लिखा गया है
जिनका
आई एस बी एन
नम्बर भी हुवा
करता है
यानि
जो आदमी
को कभी
कुछ अंक भी
दिया करता है
बंदर से
एक पक्का
आदमी
बनाने में
जब से
अंको की
गिनती होना
शुरू हुवी है
बंदर भी सुना
अंको के
जुगाड़ में हैं
बंदर अब खेत
नहीं उजाड़ते
किताबे छापना
शुरू कर
दिये हैं
और तब से
किसी भी
बंदर को डारविन
का डर नहीं
सताता
अब बंदर
आदमी को देख
कर भागना
बंद करने
वाले हैं
अंक पूरे कर
आदमी ही
हो जाने
वाले हैं ।