उलूक टाइम्स: किसका
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शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

उसका आदमी कहता है तुझे कोई तो क्यों शरमाता है यार

एक पत्नी होना 
और उसका ही बस आदमी होना 
एक बहुत बड़ी बात है सरकार 

उसके बाद भी किसी और का आदमी होना ही होता है 
नहीं हो पाया है अगर कोई तो उसका जीना ही होता है बेकार 

अपने नाम से अपने काम से अगर जाना जा रहा है कोई 
समझ लेना अच्छी तरह किसी काम में कहीं नहीं लगाया जा रहा है
भटक रहा है जैसे होता है एक बेरोजगार 

कुछ भी नहीं हाथ में आयेगा इस जीवन में 
व्यर्थ में चला जायेगा इस पार से कभी किसी दिन उस पार 

एक आदमी कहीं ना कहीं होता ही है किसी ना किसी का आदमी 
ऊपर से नीचे तक अगर देखता चला जायेगा 
नीचे वाला किसका है साफ पता चल जायेगा 
सबसे ऊपर वाला किसका है आदमी 
बस यही बात बताने के लिये 
कोई भी नहीं मिल पायेगा 
समय रहते पानी का देखता हुआ बहाव 
तैरना सीख ही लेता है आज का एक समझदार 

निभाता क्यों नहीं ‘उलूक’ तू भी किसी 
एक इसी तरह के एक आदमी का किरदार 
कल जब उसकी आ जायेगी सरकार 
तुझे क्या लेना और देना वो वहाँ क्या करता है 
तुझे मालूम है तेरा यहाँ रहेगा अपना ही कारोबार 

खाली आदमी होने में 
और किसी आदमी के आदमी होने में 
अंतर है बहुत बड़ा समझाया जा चुका है एक नहीं कई कई बार 

बाकी रही तेरी और 
तेरे देश की किस्मत 
किसका आदमी कहाँ जा कर करता है  अपना वार इस बार ।

चित्र साभार: 
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