उलूक टाइम्स: खरीददार
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सोमवार, 25 दिसंबर 2023

मतलब शे'र-ओ-सुख़न का बस यूँ ही कुछ भी नहीं है बरबाद हुए कारोबार की तरह

 



फिर एक और दिसम्बर
तैयार खडा है जाने के लिए इस बार हर बार की तरह
फिर घिसे पिटे पन्ने तुड़े मुड़े कई बेकार के
कूड़ेदान में पड़े हैं बीमार की तरह

किसे उठायें किसे पेश करें ज़रा बताइये तो हजूर
एक खरीददार की तरह
किसे आता है कह देना सटीक और बेबाक दिल खोल कर
दिलदार की तरह

उठती हैं लहरें
समुन्दर की सबके अन्दर
नदियाँ भी बहती हैं सरे बाजार की तरह
कोई समेट लेता है  रेत के टीले भी
कोई फैला देता है खबर एक अखबार की तरह

इतना आसान नहीं है हो लेना एक शायर सरे आम
किसी लबे बीमार की तरह
ईलाज है हर लाईलाज का
कोशिश जरूरी है दिल से एक पागल तीमारदार की तरह

फिर लौट के आना है दिसंबर को
गया है अभी अभी इमरोज एक जाँ-निसार की तरह
‘उलूक’ फितरत से किसे मतलब है
कौन समेट रहा है यहां कुछ एक जमादार की तरह


चित्र साभार: https://pixabay.com/photos/cleaning-sweeper-housework-2650469/


सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

खरीददार


रद्दी बेच डाल लोहा लक्कड़ बेच डाल
शीशी बोतल बेच डाल 
पुराना कपड़ा निकाल नये बर्तन में बदल डाल

बैंक से उधार निकाल
जो जरूरत नहीं उसे ही खरीद डाल
होना जरूरी है जेब में माल

बाजार को घर बुला डाल
माल नहीं है परेशानी कोई मत पाल 
सब बिकाउ है जमीर ही बेच डाल 

बस एक मेरी परेशानी का तोड़ निकाल 
बैचेनी है बेचनी कोई तो खरीददार ढूँढ निकाल।

चित्र साभार: Active India