उलूक टाइम्स: गांंधी
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बुधवार, 7 मार्च 2012

पुराना

सत्य अहिंंसा
की बात
गांधी तू क्यों
अब भी
आता है याद

मान जा
अब छोड़ दे
याद आना
और दिलाना
अगली बार
अगर आया
तुझे प्रमाण
पत्र होगा
हमको
दिखलाना

पुराना हो
चुका है
स्वतंत्रता संग्राम
की है आँधी
कि तू वाकई
में है गांंधी

गांधी
समझा
कर भाई

तेरे जमाने
में होता होगा
जो होता होगा

अब वो होता है 
जो वैसे
नहीं  होता है

बनाया जाता है 
मसाले डाल कर
पकाया  जाता है

पांच चोर
अगर कहेंगे
तेरे को सच्चा
तभी कुछ
हो पायेगा
तेरा कुछ अच्छा

इसलिये
थोड़ा
शर्माया कर
सच झूठ
की बात
हो रही हो
कहीं अगर
तो कूद कर
खाली भी
मत आ
जाया कर

उस
जमाने में
तू बन सका
महात्मा

इस जमाने में
अब कोशिश
भी मत करना

तू तो तू तेरी
बेच है सकता
कोइ भी आत्मा

इसलिये अब
भी मान जा
ले जा अपनी
धोती चश्मा
लाठी किताबे

दिखना
भी नहीं
कहीं फोटो
में भी

हमें सीखने
सिखाने
दे बाजीगरी

जब तक
तू बैठा रहेगा
हमारे नोटों में

कैसे
सीखेंगे हम
नये जमाने की
नयी नयी
कारीगरी।

शनिवार, 28 जनवरी 2012

चुनाव नहीं ये युद्ध है

नजारे बदलते
जा रहे हैं
हम जो थे
वो अब शायद
नजर नहीं
आ रहे हैं
प्रशाशन को
हम पर कितना
भरोसा है
वो हमारे पहाडी़
राज्य की
शांत वादियों
में गूंजती हुवी
अत्याधुनिक शस्त्रों
से सुसज्जित
अर्ध सैनिक बलों
के फ्लैग मार्च से
होने वाली की
बूटों की आवाज
से हमें
बता रहे हैं
हम अब वोटर
कहाँ रह गये
लगता है
आतंकवादी
होते जा रहे हैं
तीस जनवरी को
हम देते हैं
जिस देश में
महात्मा गांंधी
को श्रद्धांजलि
वो दिन चुनाव
का दिन नहीं
रह गया है
हम शायद
अपनो के बीच
अपनों से ही
कोई युद्ध
करने जा
रहे हैं।

रविवार, 27 नवंबर 2011

सब की पसंद

मछलियों को
बहलाता फुसलाता
और बुलाता है
वो अपने आप
को एक बड़ा
समुंदर बताता है
पानी की एक बूंद
भी नहीं दिखती
कहीं आसपास
फिर भी ना जाने
क्यों हर कोई उसके
पास जाता है
मर चुकी
उसकी आत्मा
कभी सुना
था बुजुर्गों से
कत्ल करता है
कलाकारी से
और जीना
सिखाता है
अधर्मी हिंसंक
झूठा है वो
पंडालों में
पूजा जाता है
जमाना आज का
सोच कर
उसको ही तो
गांधी बताता है
देख कर उसे
ना जाने मुझे
भी क्या
हो जाता है
कल ही कह रहा
था कोई यूं ही
कि अन्ना तो
वो ही बनाता है ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

गांधी

गांंधी तेरी याद
हो गयी फिर
एक साल पुरानी
पिछले साल
थी आयी
फिर आ गयी
इस साल
कुछ फोटो
पोस्टर बिके
मूर्तियां धुली
धुली सी
मुस्कुरा रहा था
आज
फूल बेचने
वाला भी
दो अक्टूबर
बर्बाद हो गया
बच्चे कह रहे थे
मायूसी से
आज तो
रविवार हो गया
सुबह सुबह
उठकर
जाना पड़ा
झंडा धूल झाड़
फहराना पडा़
तब किये
सत्य पर प्रयोग
अब कोई
कैसे करे उपयोग
सत्य जैसे अब
खादी हो गया
आदमी जीन्स का
आदी हो गया
गांधी चले जाओ
अब शाम हो गयी
लाठी चश्मा घड़ी
तो नीलाम हो गयी
आ जाना
अगले साल
फिर से एक बार
नमस्कार जी
नमस्कार जी
नमस्कार ।