उलूक टाइम्स: चपरासी
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मंगलवार, 19 मई 2015

शब्दों की श्रद्धांजलि मदन राम

चपरासी मदन राम
मर गया
उसने बताया मुझे
मैंने किसी
और को बता दिया
मरते रहते हैं लोग
इस दुनियाँ में
जो आता है
वो जाता भी है
गीता में भी
कहा गया है
मदन राम भी
मर गया
मदन राम
चाय पिलाता था
जब भी उसके
विभाग में
कोई जाता था
अब चाय पिलाना
कोई बड़ी बात
थोड़ी होती है
मदन राम जैसे
बहुत से लोग हैं
काम करते हैं
मदन राम
शराब पीता था
सभी पीते हैं
कुछ को छोड़ कर
मदन राम को
किसी ने कभी
सम्मानित
नहीं किया कभी
अजीब बात
कह रहे हो
चपरासी कोई
कुलपति या
प्रोफेसर जो
क्या होता है
मदन राम मरा
पर मरा जहर पी कर
ऐसा सुना गया
थोड़ा थोड़ा रोज
पी रहा था
सब कुछ ठीक
चल रहा था
क्यों मर गया
एक बार में ही पीकर
शायद शिव
समझ बैठा होगा
अपने आप को
शोक सभा हुई
या नहीं पता नहीं
परीक्षा और वो भी
विश्वविद्यालय की
बड़ा काम बड़े लोगों का
देश के कर्णधार
बनाने की टकसाल
एक मदन राम के
मर जाने से
नहीं रुकती है
सीमा पार भी तो
रोज मर रहे हैं लोग
कोरिया ने अरबों
डालर दे तो दिये हैं
कुछ तो कभी
मौज करना
सीखो ‘उलूक’
श्रद्धांजलि
मदन राम ।

चित्र साभार: www.gograph.com

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

परीक्षा उत्तर पुस्तिका की आत्मा की कथा यानी उसके भूत की व्यथा

मास्टर होने
के कारण
कभी कभी
अपने हथियारों
पर नजर
चली ही
जाती है
पेन पेंसिल
किताब कापी
चौक ब्लैक बोर्ड
आदि में सबसे
महत्वपूर्ण
छात्र छात्राओं
की परीक्षा
उत्तर पुस्तिका
ही बस एक
नजर आती है
और जैसे ही
किसी दिन
अखबार या
दूरदर्शन में
कोई कापी
की खबर
सामने से
आ जाती है
अपनी ही
दुखती रग
जैसे
उधड़ कर
दुखना शुरु
हो जाती है
उत्तर पुस्तिका
तेरी कहानी
भी कोई
छोटी मोटी
नहीं होती है
तेरे छपने
के ठेके से
शुरु होती है
मुहर लग कर
सजा सँवर कर
लिखने वाले
तक पहुँचती है
लिखता भी है
लिखने वाला
पहरे में
डाकू जैसे
कक्ष निरीक्षकों
के सामने
दो से लेकर
तीन सौ
मिनट लगा कर
उसे कहाँ
पता होता है
किसी
मूल्याँकन केंद्र
नामक ठेके
पर जा कर
बड़ी संख्या में
बड़े पैसे में
बिकती है
किस्मत होती
है उसकी
अगर कोई
मास्टर उसे
जाँच पाता है
देखिये
जरा कुछ जैसे
आज का
एन डी टी वी
चपरासियों
और बाबुओं
से उनको
कहीं जाँचता
हुआ अपने
देश में ही
कहीं
दिखाता है
लोग बात
करते हैं
भ्रष्ठ होने
दिखने वाले
लोगों की
असली
सफेदपोश
इसी तरह के
शिक्षा के काले
व्यापार करने
वालों को
समाज लेकिन
भूल जाता है
जूते की माला
पहनने लायक
अपनी काली
करतूतों को
अपने मूल्यों
के भाषणों की
खिसियाहट में
छिपा ले जाता है
देखिये
इधर भी
कुछ जनाब
देश के
कर्णधार
हैं आप ही
करोंड़ों
अरबों के
इस काले धंधे
के व्यापार में
बिना सबूतों के
क्या क्या कर
दिया जाता है ।

चित्र साभार: examination paper : owl and pencil

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

रिटायर्ड चपरासी

गुरु जी
झूठ नहीं बोलूंगा
आपसे तो
कम से कम नहीं

बस एक
पव्वा ही लगाया है

बिना लगाये जाओ तो
काम नहीं हो पाता है
साहब कुछ
समझता ही नहीं
डाँठता चला जाता है

खुश्बू लगा
के जाओ तो
कुर्सी में बैठाता है

तुरत फुरत
पी ए को
बुलाता है
थोड़ा नाक
सिकौड़ कर
फटाफट
दस्तखत कर
कागज लौटाता है

भैया अगर
खुश्बू से
काम चल
ही जाता है

तो फिर छिड़क
कर जाया करो
पी के अपने स्वास्थ
को ना गिराया करो

दिन में ही
शुरू हो जाओगे
तो कितने
दिन जी पाओगे

गुरू जी आप तो
सब जानते हैं
बड़े बड़े आपका
कहना मानते हैं

पर ये लोग बहुत
खिलाड़ी होते हैं

शरीफ आदमी
इनके लिये
अनाड़ी होते हैं

एक दिन
मैंंने
एसा ही
किया था

कोट पर
थोड़ा गिरा
कर दारू
साहब के पास
चला गया था

साहब ने
उस दिन
कोट मुझसे
तुरंत उतरवाया था

दिन दोपहरी
धूप में मुझे
दिन भर
खड़ा करवाया था

तब से जब भी
पेंशन लेने जाता हूँ

अपने अंदर ही भर
कर ले जाता हूँ

मेरे अंदर की खुश्बू
कैसे सुखा पायेगा

खड़ा रहूँगा जब तक
सूंघता चला जायेगा

उसे भी पीने की
आदत है वो कैसे
खाली खुश्बू
सूंघ पायेगा

तुरंत
मेरा काम
वो करवायेगा
मेरा काम
भी हो जायेगा
उसको भी चैन
आ जायेगा।