उलूक टाइम्स: डाक्टर
डाक्टर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
डाक्टर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

दस अक्टूबर है आज पागलों का दिन है पागलों को पता है पता नहीं

पागलों का दिन है
सुबह सुबह आज
डाक्टर मित्र
ने बताया
बहुत कुछ
अपना अपना
जैसा लगा
आज का सारा दिन
कल ही रात सुना था
किसी का सपना
मर गया बुखार से
अब सपने को भी
अगर मरना ही था
तो कैंसर से मरता
ऐड्स से मरता
मरा भी तो बुखार से
वैसे भी मरने वाले
सपने बहुत होते हैं
बहुतों के होते हैं
जिनके नहीं
मरने होते हैं
उन्हें पता होते हैं
सपनों को जिंदा
रखना आता है जिन्हें
वहाँ भी साँठ
गाँठ चलती है
बहुत तंदुरुस्त
सपने होते हैं
उन लोगों के और
आज ज्यादातर
लोग यही होते हैं
जिसे बहुमत का
नाम दिया जाता है
अब रोटी के सपने
देखने की कोशिश
करने वाला
कहाँ जानता है ये सब
पेट के सपने ही
मरते सपने होते हैं
उँचे सपने दिमाग
से देखे जाते हैं
और सपनों को
जिंदा रखने के लिये
ही सपने मारे जाते हैं
मरते सपने देखने
वाले पागल होते हैं
और पागलों को
आज के दिन
प्यार देने की
हिदायत दी जाती है
और अच्छा खाना भी
पागलों के दिन की
मुबारकबाद देनी
ही चहिये और वो
आज दी जाती है
सुबह सुबह अखबार
में पूरे पन्ने के
विज्ञापन में भी
बहुत सी बातें
नजर आज ही आती हैं
और पागलों को भी
सभी बातें बताई जाती हैं ।

चित्र साभार: http://www.fotosearch.com

सोमवार, 31 मार्च 2014

अपने खेत की खरपतवार को, देखिये जरा, देश से बड़ा बता रहा है

ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग
हैल्लो हैल्लो ये लो 

घर पर ही हो क्या?
क्या कर रहे हो?

कुछ नहीं
बस खेत में
कुछ सब्जी
लगाई है
बहुत सारी
खरपतवार
अगल बगल
पौंधौं के
बिना बोये
उग आई है
उसी को
उखाड़ रहा हूँ
अपनी और
अपने खेत
की किस्मत
सुधार रहा हूँ 


आज तो
वित्तीय वर्ष
पूरा होने
जा रहा है
हिसाब
किताब
उधर का
कौन बना
रहा है?


तुम भी
किस जमाने
में जी रहे
हो भाई
गैर सरकारी
संस्था यानी
एन जी ओ
से आजकल
जो चाहो
करवा लिया
जा रहा है
कमीशन
नियत होता है
उसी का
कोई आदमी
बिना तारीख
पड़ी पर्चियों
पर मार्च की
मुहर लगा
रहा है
अखबार
नहीं पहुँचा
लगता है
स्कूल के
पुस्तकालय
का अभी
तक घर
में आपके
पढ़ लेना
चुनाव की
खबरों में
लिखा भी
आ रहा है
किसका कौन
सा सरकारी
और कौन सा
गैर सरकारी
कहाँ किस
जगह पर
किस के लिये
सेंध लगा रहा है
कहाँ कच्ची हो
रही हैं वोट और
कहाँ धोखा होने
का अंदेशा
नजर आ रहा है 


भाई जी
आप ने भी तो आज
चुनाव कार्यालय की
तरफ दौड़ अभी तक
नहीं लगाई है
लगता है तुम्हारा ही
हिसाब किताब कहीं
कुछ गड़बड़ा रहा है
आजकल जहाँ मास्टर
स्कूल नहीं जा रहा है
डाक्टर अस्पताल से
गोल हो जा रहा है
वकील मुकदमें की
तारीखें बदलवा रहा है
हर किसी के पास
एक ना एक टोपी या
बिल्ला नजर आ रहा है
अवकाश प्राप्त लोगों
के लिये सोने में
सुहागा हो जा रहा है
बीबी की चिक चिक
को घर पर छोड़ कर
लाऊड स्पीकर लिये
बैठा हुआ नजर
यहाँ और वहाँ भी
आ रहा है
जोश सब में है
हर कोई देश के
लिये ही जैसे
आज और अभी
सीमा पर जा रहा है
तन मन धन
कुर्बान करने की
मंसा जता रहा है
वाकई में महसूस
हो रहा है इस बार
बस इस बार
भारतीय राष्ट्रीय चरित्र
का मानकीकरण
होने ही जा रहा है
लेकिन अफसोस
कुछ लोग तेरे
जैसे भी हैं ‘उलूक’
जिंन्हें देश से बड़ा
अपना खेत
नजर आ रहा है
जैसा दिमाग में है
वैसी ही घास को
अपने खेत से
उखाड़ने में एक
स्वर्णिम समय
को गवाँ रहा है ।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

मर गयी बीमार नहीं थी बहुत खुश हो गयी थी

एक लड़की
हमेशा बहुत
खुश दिखती थी

शादी के सोलह
साल बाद
उम्मीद होने
से उसकी
खुशी दुगुनी
हो गयी थी

इंतजार की
घड़ियां कुछ
लम्बी जरूर
हो गयी थी

मगर होते
होते बहुत
छोटी हो
गयी थी

दो दिन
पहले
ही उससे
राह चलते
मुलाकात
भी हो
गई थी

कल हुई
थी सर्जरी
जो आजकल
के जमाने में
आम बात
हो गयी थी

बेटा हुआ
था और
खुशी की
बरसात
हो गयी थी

बस एक दिन
के बाद की
खबर आम
हो गई थी

खुशी खुशी
वो इस दुनिया
से ही विदा
हो गई थी

 डाक्टर ने
बताया
इतना खुश
हो गई थी
कि हमेशा
के लिये ही
सो गई थी

पहली बार
ही ऐसी बात
कुछ सुनी थी

मेरे लिये नयी
बस नयी सी थी
बीमारी से नहीं
खुशी से
हो गई थी

एक खुश
मिजाज लड़की
इतना खुश
हो गयी थी

मौत के साथ
खुशी खुशी
विदा हो गयी थी ।

शनिवार, 17 अगस्त 2013

डाक्टर के पास जा पर सब कुछ मत बता

तेरे को भी पता 
नहीं क्या क्या
बिमारियां
लग जाती है
जो तेरे डाक्टर
तक को समझ
में नहीं आ पाती हैं
अब जब मर्ज ही
वो नहीं समझ
पायेगा तो इलाज
खाक बता पायेगा
बीमारी समझ में
आ भी जाती पर
तेरी भी तो
मजबूरी है हो जाती
कुछ बातें साफ साफ
नहीं हैं बताई जाती
पेट के अंदर उबल
भी रही हों अगर
तब भी थोड़ा ठंडा
करके ही सामने
है लाई जाती
सीधे सीधे कहने
से तो बबाल
बहुत हो जायेगा
अब हर किसी के
पास होता ही
है कामन सेंस
थोड़ा सा बताने पर
पूरा तो किसी भी
बेवकूफ तक के
समझ में आ जायेगा
इसलिये ऎसे ही
कुछ ना कुछ
बताते अगर
तू चला जायेगा
पेट भी ठीक रहेगा
पब्लिक में कहीं
नहीं गुड़गुडा़ऎगा
रहने दे कोई
जरूरत नहीं है
डाक्टर को
ये बताने की
आजकल तेरे
दिमाग में
घूम रही है
कुत्ते की पूँछ
को सीधा करने की
किसी तरकीब पर
शोध परियोजना
भारत सरकार के
पास भिजवाने की
वैसे भी डाक्टर को
अगर ये बात तू
बताने भी लग जायेगा
डाक्टर तुरंत तुझे
कुत्ते के काटने पर
लगने वाले इंजेक्शन
ही लगवायेगा
तू भी बेकार में
छ : सात हफ्ते तक
हस्पताल के
चक्कर लगायेगा
समझदारी इसी में है
कि तू डाक्टर को
कुछ नहीं बतायेगा
कुत्ते की पूँछ पर
तेरे जो भी मन में आये
कहीं जा के लिख आयेगा 
उसे भी कौन सा
सीधा होना है कभी
बस इतने से ही
तेरा काम बन जायेगा
तेरी शोध परियोजना
का समय भी
बढ़ता चला जायेगा
तुझे देखते ही
तेरा कुत्ता अपनी
टेढी़ पूँछ रोज की
तरह हिलायेगा
समझ गया ना
सब कुछ अब तो
डाक्टर को ये सब
तू जा के नहीं बतायेगा
कुछ बीमारियां
छिपी रहनी चाहिये
कम से कम इतना
तो तू समझ
ही अब जायेगा ।

मंगलवार, 30 जुलाई 2013

सीधे सीधे बता पागल मत बना

कबीर जैसा कैसे बनूँ
कैसे कुछ ऎसा कहूँ

समझ में खुद के भी कुछ आ जाये
समझाना भी सरल सरल सा हो जाये

पहेलियाँ कहाँ किसी की
सहेलियाँ 
हुआ करती हैं
समझने के लिये दिमाग तो लगाना ही पड़ता है

जिसके पास जितना होता है
उतना ही बस खपाना पड़ता है

जिसके समझ में आ गई
जिंदगी को सुलझाता चला जाता है

उससे पहेली पूछने फिर
किसी को कहीं नहीं आना पड़ता है

उसका एक इशारा
अपने 
आप में पूरा संदेश हो जाता है

उसे किसी को कुछ
ज्यादा में बताना भी नहीं पड़ता है

दूसरी तरफ ऎसा भी कहीं पाया जाता है
जिसको आस पास का बहुमत ही पागल बनाता है

जहाँ हर कोई 
एक कबूतर को बस यूं ही देखता चला जाता है

पूछने पर एक नहीं हर एक
उसे कौवा एक बताना चाहता है

एक अच्छी भली आँखो वाले को
डाक्टर के पास जाना जरूरी हो जाता है
बस इन्ही बातों से कोई दीवाना सा हो जाता है

सीधे सीधे किसी बात को कहने में शरमाता है

कभी आदमी को गधा
कभी गधे को आदमी बनाना सीख जाता है

समझने वाला
समझ भी अगर जाता है
समझ में आ गया है करके
किसी को भी बताना नहीं चाहता है

अब आप ही बताइये

बहुमत छोड़ कर
कौन ऎसे पागल के साथ में आना  जाना चाहता है ।

शनिवार, 26 जनवरी 2013

डाक्टर नहीं कहता कबाड़ी का लिखा पढ़ने की कोशिश कर



आसानी से
अपने आस पास की मकड़ी हो जाना

या फिर एक केंचुआ मक्खी या मधुमक्खी
पर आदमी हो जाना सबसे बड़ा अचम्भा

उसपर जब चाहो
मकड़ी कछुऎ बिल्ली कुत्ते उल्लू
या एक बिजली का खम्बा छोटा हो या लम्बा

समय के हिसाब से
अपनी टाँगों को यूं कर ले जाना

उस पर मजे की बात
पता होना कि कहाँ क्या हो रहा है
पर
ऎसे दिखाना जैसे सारा जहाँ
बस उसके लिये ही तो रो रहा है

वो एहसान कर
हंसने का ड्रामा तो कर रहा है
शराफत से निभाना

गाली को गोली की तरह पचाना
सामने वाले को
सलाम करते हुऎ बताते चले जाना
समझ में सबकुछ ऎसे ही आ जाना

पर दिखाना
जैसे 
बेवकूफ हो सारा का सारा जमाना
टिप्पणी करने में हिचकिचाना

क्योंकी
पकडे़ जाने का क्यों छोड़ जाना
एक कहीं निशाना

चुपके से आना पढ़ ले जाना
मुस्कुराना और बस सोच लेना

एक बेवकूफ को
अच्छा हुआ कि कुछ नहीं पढ़ा
अपनी ओर से कुछ भी बताना ।

चित्र साभार: https://www.thequint.com/

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

मंदिर और ऎसिडिटी

यहाँ पर
सुबह सुबह
पहले तो
एक मकान
के आगे
नतमस्तक
खड़ा हुआ
नजर आ
रहा था
आज से मंदिर
हो गया है
अखबार में
पढ़कर आ
रहा था
वहाँ पर
बेशरमों के बीच
शरम का एक
मंदिर बनाने
का प्रस्ताव
लाया जा
रहा था
बेशरम को जब
आती थी
शरम तो
ऎसी जगह
में फिर क्यों
जा रहा था
रोनी सी
सूरत ले
हमें बता
रहा था
किताबों में
लिखा हुआ
होता था
जो कभी
वो सब
अब कोई
नहीं सुना
रहा था
जो कहीं
नहीं लिखा
गया है कभी
उसपर दक्ष
हर कोई
नजर आ
रहा था
ताज्जुब की
बात हर
कोई कुछ
भी पचा
ले जा
रहा था
जिसे पच
नहीं पा
रहा था
डाक्टर के
पास जा
ऎसिडिटी का
इलाज करवा
रहा था ।

गुरुवार, 29 मार्च 2012

अंत:विषय दृष्टिकोण

विद्यालय से
लौट कर
घर आ रहा 
हूँ

आज का
एक वाकया
सुना रहा हूँ

सुबह जब
विद्यालय के
गेट पर पहुँचा

हमेशा मिलने
वाला काला कुत्ता
रोज की तरह
मुझपर
नहीं भौंका

आज वो
अपना मुँह
गोल गोल
घुमा रहा था

मैंने उसकी
तरफ देख
कर पूछा

ये क्या नया
कर रहे हैं
जनाब

बोला
मास्साब
क्यों करते हो
मुझसे मजाक

मैं सूँड
हिला कर
मक्खियाँ
भगा रहा हूँ

हाथी बनकर
उसका काम
भी निभा रहा हूँ

असमंजस में
मुझे देख कर
वो मुस्कुराया

थोड़ा सा
किनारे की
ओर खिसक
कर आया

फिर मेरे
कान में
धीरे से
फुसफुसाया

तुम कैमिस्ट्री
क्यों नहीं
पढ़ा रह हो

रोज फालतू
की एक
कविता यहाँ
चिपका रहे हो

जमाना
बहुत आगे
आजकल
जा रहा है

फिर तुम
मेरे को
पीछे की
ओर क्यों
खिसका
रहे हो

अंत:विषय
दृष्टिकोण
क्या तुमको
नहीं आता है

इसमें वो
बिल्कुल भी
नहीं किया
जाता है
तुमको अच्छी
तरह से
जो आता है
और
दूसरा
उसको
अच्छी तरह
से समझ
जाता है

तुम डाक्टर
हो तो स्कूल
चले जाओ

मास्टर हो
तो तबला
हारमोनियम
कुछ बजाओ

समय
के साथ
नया काम
करते चले
जाना चाहिये

जो
किसी की
समझ में
भी नहीं
आना चाहिये

पुराने
कामों का
बक्सा
बना कर
कुवें में
फेंक कर
आना चाहिये

कल से
किसी मुर्गे
को यहाँ
काम पर
लगवाइये

बाँग बिल्ली
दे देगी
उससे यहाँ
भौंकवाइये।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

कुछ कहो

बस दो चार ही
लोग गांव के
अब कुछ
अपने जैसे
नजर आते हैं
सड़क और गली
की बात मगर
कुछ और ही
दिखाई देती है
सारे ही कुत्ते
सामने पा कर
जोर जोर से
अपनी पूंछे
हिलाते हैं
फिर भी समझ
नहीं पाते हैं
पागलखाने के
डाक्टर साहब
को अब भी
नार्मल ही
नजर आते हैं
हां लोग देख
कर थोड़ा सा
अब कतराते हैं
बहुमत साथ ना
होने का फायदा
हमेशा पार्टी के
लोग उठाते हैं
फुसफुसा कर ही
करते हैं बात भी
मोहल्ले वाले
फिर गया दिमाग
कहते तो नहीं हैं
बस सोच कर
सामने सामने से
ही मुस्कुराते हैं
कुछ तो समझाओ
'उलूक' जमाने को
पागल खाने के डाक्टर
ऐसे लोगों को ऐसे में भी
मुहँ 
क्यों नहीं लगाते हैं?