उलूक टाइम्स: ढपोर शंखों
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बुधवार, 3 अक्तूबर 2018

पागलों को पागल बनाइये आदमी बने कोई इससे पहले इंसानियत कूएं में रख कर आइये

अपनी
अपने घर की
अपने आसपास के
ढोल की
पोल छिपाइये

कहीं दूर
बहुत दूर से
फटे गद्दे रजाई के
खोल ढूँढ कर लाइये

फोटो खींचिये
धूप
अगरबत्ती दिखाइये

दूर बैठे
मुच्छड़ सूबेदार
की बन्दूक
के गरजने
की आवाज
सुनाइये

पास में
घूम रहे उसके
आवारा कुत्तों की
लगातार
हिल रही पूँछों को
फैलाने का
जुगाड़ लगाइये

बेवकूफ
मान लीजिये सबको
खुद को छोड़ कर

बेसुरी
आवाज में
बेसुरा गाइये

लाईन
में लगे हुऐ
अपनी तरह के
ढपोर शंखों
की सेना से
बिगुल बजवाइये

चमगादड़
बन जाइये
उल्टा लटकने को
सीधा बताइये
सीधे को
उल्टा समझाइये

कुछ भी करिये

अपने
गली मोहल्ले की
तस्वीर ज्यादा दूर
पहुँचने से बचाइये

ऊपर दूर
कहीं के चाँद के
सपने दिखाइये
हो सके तो
और दूर मंगल
तक भी ले जाइये

 इससे
ज्यादा कर सकें तो
अगली आकाश ग़ंगा
को खोजने के
राकेट में बैठा
कर चले आइये

रात में
देखने वाले
‘उलूक’ को
उजाले की तस्वीर
ला लाकर दिखाइये

चुपचाप
बैठे हुओं को
किसी तरह
चिल्लाने
के लिये भड़काइये

शोर
खत्म हो
इक तमाशे का

उस से पहले
एक और झोपड़ी में
जा कर दियासलाई
लगा कर आइये।

चित्र साभार: http://sucai.redocn.com