उलूक टाइम्स: तड़का.
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सोमवार, 21 नवंबर 2011

ईमानदार

आज
अचानक मैं
कहीं
गलती से
पहुंच बैठा
तभी कोई
सामने आया
और बोला
गुरू जी
भ्रष्टाचार
के विरुद्ध
चल रही है
अंदर
हाल में
लड़ाई
आप भी
शामिल हो के
जरा ले लो
ना अंगड़ाई
मैं झेंपा
थोड़ा शर्माया
फिर थोड़ा
हिम्मत कर
बड़बड़ाया
भाई क्यों
मुझ भ्रष्ट को
ताव दिला
रहे हो
बहुत कुछ
हो रहा है
शहर में
वहां
क्यों नहीं
बुला रहे हो?
कुछ उधर
मेरा जुगाड़
लगाओ तो
बात बने
कुछ नोट
हाथ लगें
तो तन्ख्वाह
के सांथ
दाल में तड़का
तो लगे।