उलूक टाइम्स: धवल
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शनिवार, 15 दिसंबर 2018

जरूरी नहीं है लिखा जाये हमेशा काँव काँव


तीन अक्षर
शब्द शिशिर

दिशाहीन की कोशिश 
लिखने की दिशायें
धवल उज्जवल

प्रयास लिखे में दिखाने की
कड़ाके की ठण्ड
सिकुड़ती सोच

शब्द वाक्यों पर बनाता हुआ एक बोझ
कम होता शब्दों का तापमान
दिखती कण कण में सोच

ओढ़े सुनहली ओस
वसुन्धरा अम्बर होते एकाकार
आदमी के मौसम होने की
जैसे हो उन्हें दरकार

लिये हुऐ सूर्य की तरह
अमृत बरसाने की चाहत
सभी पूर्वाग्रह छोड़ कर
लिखने लिखाने को कुछ दे कर राहत

प्रकृति के नियम से बंधे मौसम के गुनगुने भाव
बर्फीले शब्द के साथ देते शब्द ही
अहसास जलते हुऐ कुछ मीठे अलाव

‘उलूक’ 
कोई नहीं
होता है
कभी धारा के साथ कभी धारा के विपरीत
चलाता चल अपनी
बिना चप्पुओं की खचड़ा सी नाव ।

चित्र साभार: https://www.gograph.com