उलूक टाइम्स: नहर
नहर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नहर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 29 अप्रैल 2023

भीड़ से निकल बस्ती नहीं शहर लिख दे



एक लहर उठती है उठे
कहर लिख दे
एक लहर बैठती है बैठे
ठहर 
लिख दे

भीड़ से निकल
बस्ती नहीं शहर लिख दे
कोशिश कर
कुछ मीठा सा जहर लिख दे

नशे में रह
मत निकल बाहर
बहर लिख दे
रेत के टीले कहीं मैदान कहीं
लहर लिख दे

मांग कुछ
थोड़ा सा कोशिश कर
महर लिख दे
सूखे खेत के बीच
जा बड़ी सी एक 
नहर लिख दे

कुछ तो लिख
रोज नहीं कभी
एक 
पहर लिख दे
किस को पड़ी है
‘उलूक’ गर
गहर लिख दे |

चित्र साभार: http://clipart-library.com/poison-cliparts.html

महर = वह धनराशि है जो विवाह के समय वर या वर का पिता, कन्या को देता है।

कहर= गुस्सा, क्रोध।

बहर= आकाश, आस्मान।

गहर= पृथ्वी-तल में पाया जानेवाला कोई ऐसा गहरा गड्ढा, जो प्राकृतिक कारणों से बना हो

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

जानवर की खबर और आदमी की कबर




हथिनी के बच्चे का नहर में समाना
कोशिश पर कोशिश नहीं निकाल पाना
हताशा में चिंघाड़ना और चिल्लाना
हाथियों के झुंड का 
जंगल से निकल कर आ जाना
आते ही दो दलों में बट जाना
नहर में उतर कर बच्चे को धक्के लगाना
बच्चे का सकुशल बाहर आ जाना
हथिनी का बच्चे के बगल में आ जाना
हाथियों का सूंड में पानी भर कर लाना
बच्चे को नहलाकर वापस निकल जाना
पूरी कहानी का फिल्मी हो जाना
जंगली जीवन की सरलता के
जीवंत उदाहरण का सामने आ जाना
आपदा प्रबंधन का नायाब तरीका दिखा जाना
नजर हट कर 
अखबार के दूसरे कोने में जाना
आदमी की चीख किसी का भी ना सुन पाना
बच्चे के उसके मौत को गले लगाना
आपदा प्रबंधन का पावर पोइंट प्रेजेन्टेशन याद आ जाना
सरकार का 
लाश की कीमत कुछ हजार बताना
सांत्वना की चिट्ठी सार्वजनिक करवाना
मौत की जाँच पर कमेटी बिठाना
तरक्की पसंद आदमी की सोच का
जानवर हो जाना ।

चित्र साभार: https://www.upi.com/