उलूक टाइम्स: नोच
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बुधवार, 25 मई 2016

नोच ले जितना भी है जो कुछ भी है तुझे नोचना तुझे पता है अपना ही है तुझे सब कुछ हमेशा नोचना

कहाँ तक
और
कब तक

नंगों के
बीच में
बच कर
रहेगा

आज नहीं
कल नहीं
तो कभी
किसी दिन

मौका
मिलते ही
कोई ना
कोई

धोती
उतारने
के लिये
खींच लेगा

कुछ अजीब
सा कोई
रहे बीच
में उनके

इतने दिनों
तक आखिर
कब तक
इतनी
शराफत से

बदतमीजी
कौन ऐसी
यूँ सहेगा

शतरंज
खेलने में
यहाँ हर
कोई है
माहिर

सोचने
वाले प्यादे
को कब
तक कौन
यूँ ही
झेलता
ही रहेगा

कुत्ता खुद
आये पट्टा
डाल कर
गले में
अपने

एक जंजीर
से जुड़ा
कर देने
मालिक के
हाथ में

ऐसा कुत्ता
ऐसा मालिक
आज गली
गली में
इफरात
से मिलेगा

फर्जीपने
की दवाई
बारकोड

ले कर
आ रहे
हैं फर्जी
जमाने के
उस्ताद लोग

फर्जी आदमी
की सोच में
बारकोड
लगा कर
दिखाने को
कौन क्या और
किससे कहेगा

‘उलूक’
आज फिर
नोच ले
जितना भी
नोचना है
अपनी
सोच को

उसे भी
पता है
तू जो भी
नोचेगा

अपना ही
अपने आप
खुद ही
नोचेगा ।


चित्र साभार: worldartsme.com

बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

आज यानी अभी के अंधे और बटेरें

कोई भी कुछ
नहीं कर सकता
आँखों के परदों
पर पड़ चुके
जालों के लिये
साफ दिखना
या कुछ धुँधला
धुँधला हो जाना
अपना देखना
अपने को पता
पर मुहावरों के
झूठ और सच
मुहावरे जाने
कहने वाले
कह गये
बबाल सारे
जोड़ने तोड़ने
के छोड़ गये
अब अंधे के
हाथ में बटेर
का लग जाना
भी किसी ने
देखा ही होगा
पर कहाँ सिर
फोड़े ‘उलूक’ भी
जब सारी बटेरें
मुहँ चिढ़ाती हुई
दिखाई देने लगें
अंधों के हाथों में
खुद ही जाती हुई
और हर अंधा
लिये हुऐ नजर
आये एक बटेर
नहीं बटेरें ही बटेरें
हाथ में जेब में
और कुछ नाचती
हुई झोलों में भी
कोई नहीं समय
की बलिहारी
किसी दिन कभी
तो करेगा कोई
ना कोई अंधा
अपनी आँख बंद
नोच लेना तू भी
बटेर के एक दो पंख
ठंड पड़ जायेगी
कलेजे में तब ही
फिर बजा लेना
बाँसुरी बेसुरी अपनी ।

चित्र साभार: clipartmountain.com

गुरुवार, 6 अगस्त 2015

ऊपर वाले ऊपर ही रहना नीचे नहीं आना

हे ऊपर वाले
तू ऊपर ही रहना
गलती से भी
भूल कर कभी
सशरीर नीचे
मत चले आना
सर घूम जाता है
समझ में नहीं
आ पाता है
जब तेरे झंडों
और नारों के
साथ ही इतना
बबाल कर
दिया जाता है
क्या होगा अगर
कोई देख लेगा
सामने से साक्षात
चलता हुआ
ऊपर वाला खुद
अपने ही पैरों पर
धरती पर आकर
चलना शुरु
हो जाता है
कहाँ जायेगा
ऊपर वाला जब
यहाँ आ ही जायेगा
प्रधानमंत्री के
साथ जायेगा या
आम आदमी
के साथ जायेगा
मंदिर में रहेगा
मस्जिद में रहेगा
या किसी गुरुद्वारे
में जा कर
बैठ जायेगा
संसद में पहुँच
गया अगर
कौन से दल के
नेता से जाकर
हाथ मिलायेगा
किस तरह
का दिखेगा
क्या कोई
पहचान भी
पायेगा
हे ऊपर वाले
तेरे नहीं होने से
यहाँ थोड़े बहुत
मर कट रहे हैं
तेर नाम पर ही
तू आ ही गया
सच में बड़ा एक
बबाल हो जायेगा
रहने दे ऊपर ही
कहीं बैठ कर
कर जो कुछ भी
तेरे बस का है
गलती से
उतर आयेगा
अगर नीचे
उतना कुछ भी
नहीं कर पायेगा
नोचने दे अपने
नाम पर नोचने
वालों को नीचे
हो सकता है
तुझे ही शायद
पहचान नहीं
होने से नोच
दिया जायेगा
अगर किसी को
नीचे कहीं
नजर आ जायेगा ।

चित्र साभार: pupublogja.nolblog.hu

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

मुख्य पृष्ठ का मुख्य समाचार हल्द्वानी शहर में घुसा तेंदुआ कह रहा है आज हर अखबार

अखबारों ने सारे
आज मुख्य पृष्ठ पर
जंगल का तेंदुआ
शहर के बीच
में घुसा हुआ
एक दिखाया
जंगल के ठेकेदारों
को बुलवा कर
पिंजरे में उस
बेचारे को
जबरदस्ती कर
फिर फंसवाया
लिखा था
फिर से जंगल में
लेजाकर
छोड़ दिया जायेगा
बहुत सारे
तेंदुओं से
मिल लिया है
यहाँ आकर
दुबारा से
हिम्मत करके भी
यहाँ कभी ही
शायद आयेगा
उसे कहाँ पता था
जंगल के तेंदुऎ
धोखेबाजी करके
यहाँ रोज ही
फसाये जाते हैं
शहर में भी
तो हैं तेंदुऎ
जो रोज अखबार
में दिखाये जाते हैं
पर तेंदुऎं है
करके कभी
बताये तक
नहीं जाते हैं
पिंजरे उनके लिये
कहीं भी कभी भी
नहीं लगाये जाते हैं
शिकार घेर घेर कर
उनके लिये ले जाये
जरूर जाते हैं
कुछ बेवकूफ खुद
बा खुद उनकी
माँद में जा कर
घुस जाते हैं
शिकार हो जाते हैं
और मुस्कुराते हैं
कुछ इलाके
कुछ तेंदुओं
के लिये
छोड़ दिये
जाते हैं
एक इलाके
के तेंदुऎ
दूसरे के इलाके
की तरफ आँख
भी नहीं उठाते हैं
सारे तेंदुऎ
नोचते हैं
भरे हुए पेटों से
जो कुछ भी
नोच पाते हैं
खुले आम
शहर के बीच
सड़क
चलती जनता
को भी वो
जरूर ही
नजर आते हैं
नोच खसोट करते
हुऎ ये सारे तेंदुऎ
अखबार में भी
दिखाये जाते हैं
पर ये भी तेंदुऎ हैं
करके कभी भी
किसी को बताये
तक नहीं जाते हैं ।