उलूक टाइम्स: पंडित
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रविवार, 3 नवंबर 2013

एक बच्चे ने कहा ताऊ मोबाइल पर नहीं कुछ लिखा



अपने पास
है
नहीं 

भाई

ऐसी चीज
पर 


लिखने
को 
कह जाता है 

अभी तक
पता नहीं 


हाथ 
ही में
क्यों है 

दिमाग
के
अंदर ही

क्यों
नहीं फिट
कर 
दिया जाता है 

मर जायेगा 
अगर
नहीं पायेगा 

हर कोई ऐसा जैसा 
ही
दिखाता है 

छात्र छात्राओं
की 
कापी पैन

और 
किताब
हो जाता है 

पंडित मंत्र 
पढ़ते पढ़ते 

स्वाहा करना
ही 
भूल जाता है 

पढ़ाना
शुरु बाद 
में
होता है

शिक्षक 
कक्षा के बाहर 
पहले 
चला जाता है 

लौट कर
आने 
तक 
समय ही
समाप्त हो जाता है 

मरीज की सांस 
गले में
अटकाता है 

चिकित्सक
आपरेशन
के 
बीच में

बोलना
जब 
शुरु हो जाता है 

बड़ी बड़ी
मीटिंग होती है 

कौन
कितना बड़ा
आदमी है 

घंटी की आवाज
से ही 
पता चल जाता है 

टैक्सी ड्राइवर
मोड़ों पर 
दिल जोर से
धड़काता है 

आफिस
के
मातहत को 

साहब का नंबर
साफ 
बिना चश्में के
दिख जाता है ‌‌

जवाब नहीं
देना चाहता है 

जेब में होता है
पर 

घर
छोड़ के आया है 
कह कर
चला जाता है 

कामवाली
बाई से 
बिना बात किये 
नहीं
रहा जाता है 

बर्तनो
में
बचा साबुन 
खाने को जैसे 
मुंह के अंदर ही 
धोना चाहता है 

सड़क पर चलता 
आदमी
एक सिनेमाघर 
अपना
खुद हो जाता है 

सब की
बन रही होती है 
अपनी ही
फिल्म 

दूसरे की
कोई नहीं
देखना चाहता है 

बहुत
काम की चीज है 

सब की एक 
राय बनाता है 

होना
अलग बात है 

नहीं होना 
ज्यादा फायदेमंद 

बस
एक गधे को 
ही
नजर आता है

धोबी
के पास होने 
पर भी
वो बहुत 
खिसियाता है 

गधा
खुश हो कर 
बहुत मुस्कुराता है 

धोबी
ढूँढ रहा था 
बहुत ही बेकरारी से 

जब कोई
आकर 
उसे बताता है 

इससे
भी लम्बी 
कहानी हो सकती है 

अगर कोई 
मोबाइल पर 
कुछ और भी 
लिखना
चाहता है ।

चित्र साभार:
https://www.gograph.com/

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

जो भूत से डरता है पक्का श्राद्ध करता है


सोलह दिन 
के
पित्र पक्ष 
के शुरु होते ही 
पंडित जी बहुत ही व्यस्त हो जाते हैं 

श्राद्ध सामग्री 
के लिये एक लम्बी सूची भी प्रिंट कराते हैं 

दूध दही घीं शहद 
काजू किशमिश 
बादाम फल मिठाई कपड़े लत्ते 
अच्छी क्वालिटी और अच्छी दुकान से 
लाने का आदेश साथ में दे जाते हैं 

खुद ही खा कर 
पितर लोगों तक खाना पहुंचाते हैं
इसलिये भोजन छप्पन प्रकार का 
होना ही चाहिये समझा जाते हैं 

सुबह सात बजे का 
समय देकर दिन में 
दो बजे से पहले कभी नहीं आ पाते हैं 
देरी का कारण पूछने पर
बताने में भी नहीं हिचकिचाते हैं

लोग बाग जीते जी 
अपने मां बाप के लिये 
कुछ नहीं कर पाते हैं 
इसलिये मरने के बाद उनकी इच्छाओं को पूरा 
जरूर करना चाहते हैं 

अपनी इच्छाओं को 
इसके लिये मारना भी पड़े 
तब भी नहीं हिचकिचाते हैं 
मृतात्मा के जीवन काल के शौक को
पंडित से पूरा कराते हैं 

जजमान
आप इतना भी 
नहीं समझ पाते हैं 

मरने के बाद
मरने वाले 
क्योंकि भूत बन जाते हैं 

उसके डर से
अपने को 
निकालने के लिये लोग 
कुछ भी कर जाते हैं 

कुछ दिन
हमारी भी 
चल निकलती है गाड़ी 
ऐसे लोग वैसे तो कभी हाथ नहीं आते हैं 

कुछ जजमान
पीने के 
शौक रखने वाले 
पितर के नाम से पंडित जी को अंग्रेजी ला कर दे जाते हैं 

उनके यहां
पहले जाना 
बहुत जरूरी होता है इन दिनो 
इसलिये
आपके यहां 
थोड़ा देर से आते हैं । 

चित्र साभार: https://marathi.webdunia.com/

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

ज्योतिष हो गया अखबार

जन्म पत्री बाँचते हैं
बहुत ही ज्ञानी हैं
पंडित जी का
नहीं कोई सानी है
हर साल आते हैं
मेरे घर पर दो बार
माँगते हैं जन्म पत्री
सबकी हर बार
बताते हैं कुछ भूत
और कुछ भविष्य
वैसे का वैसा ही
जैसा बता गये थे
पिछली बार
आये कल भी
उसी तरह इस बार
पोथी निकाल कर
बैठे महानुभाव
शुरू किया बाँचना
हमेशा की तरह
नक्षत्रों को
सुनाने लगे
वही पुरानी रामायण
सुनते ही पुरानी कथा
जब नहीं रहा गया
पंडित जी से मैने
तब कह ही दिया
गुरू कुछ नई बात भी
कभी कभी बताया करो
जन्मपत्री से भी अगर
कुछ खोद नहीं
पा रहे हो तो
कम से से कम
अखबार तो पढ़ कर
के आया करो
आजकल तो जो
होना है आगे वो
पहले अखबार में
ही आता है
उसके बाद ही
होना है जो तभी
तो हो पाता है
मजे की बात
इसमें ये है
कि  ग्रह नक्षत्र
को भी पता नहीं
चल पाता है
कि अखबार
वालों को
ये सब कौन जा
के बताता है
इसीलिये तो
जो वाकई में
हो रहा है वो
अखबार में
कम ही
जगह पाता है
अखबार से
बढ़िया जन्मपत्री
पंडित अब तू भी
नहीं बाँच पाता है ।