उलूक टाइम्स: प्रेम
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शनिवार, 17 जुलाई 2021

सब जगह है अंडर वर्ल्ड सब जगह है डी कम्पनी बुरा ना माने होली नहीं भी है तो भी

 



एक
लम्बा अनुभव
कुछ नहीं का
कहीं भी नहीं का
बहुत कुछ सिखा जाता है

खुजली रोकना सीखने का योग
बस यहीं और यहीं सीखा जाता है

फिर भी
कितना रोक लेगा ‘उलूक’
खुजलाना

कुछ दिन
मुँह बंद करने के बाद
फिर से यहाँ
कुछ
अनर्गल बकने के लिये आ जाता है

कुछ
लिख दीजिये
कल
मेरी बारी है कहने वालों से
कुछ
नहीं कहा जाता है

लिखने वाले
बारी वाले
सभी से बचने के लिये ही तो
लिखने लिखाने से
दूर चला जाना
अच्छा माना जाता है

उसे
वो पसंद है
उसका दिखायेगा
उसे
वो नापसंद है
उसके लाये हुऐ में
वो
कहीं नजर नहीं आयेगा

पता नहीं
बेवकूफ
बकवास करने वाला
साहित्यकारों
की जुगलबंदी में
किस लिये घुसना चाहता है

कभी
कुछ अच्छा सा
लिख क्यों नहीं लेता होगा
सुकून
देने वाली प्रेम कहानियाँ

उसे
कहाँ पता चलता है
कहानियाँ
सजाने वालों में से ही
कोई एक
लेखकों
के बीच की
प्रेम कहानियाँ बना कर
कुछ
लिखा ले जाता है

कोई नहीं
दुकाने
चलती रहनी जरूरी है
क्या
बिक रहा है
कौन
बेच रहा है से
किसे
मतलब रखना होता है

देश
जब चल रहा है

ये
तो एक
चिट्ठों का
बही खाता है।

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

देश प्रेम

भाई कोई
नई चीज नहीं है
सबको ही देश की
पड़ी ही होती है
सभी देश के
भक्त होते हैं
देश के बारे में
ही सोचते हैं
देश के लिये ही
उनके पास
वक्त ही वक्त
होता है
झंडा देश का
बस उनके लिये
प्राण होता है
फहराना उसे
ऐसे लोगों के लिये
रोज का ही
काम होता है
बहुत बड़ी
बात होती है
देश के बारे में
सोचते सोचते
बीच में समय
अगर कुछ
निकाल ले जाते हैं
क्या बुराई है इसमें
अगर कुछ अपने
और अपने परिवार
के लिये भी थोड़ा
सा चुन्नी भर इस सब
के बीच कर
के ले जाते हैं
परिवार छोटा सा
या बहुत बड़ा भी
हो सकता है
कैसे बनाना है
काम करने कराने
पर निर्भर करता है
कहीं जाति से काम
चल जाता है
कहीं इलाका
काम में आता है
कहीं इलाके की
जाति काम में
आ जाती है
कहीं जाति का
इलाका काम
में आता है
किसी को गिराना हो
परिवार की खातिर
तो उसे बताना भी
नहीं कुछ पड़ता है
मजबूरी में उसे
उसके किसी इलाके
खास का होने का
खामियाजा उठाना
जरूर पड़ता है
चोर सारे एक से
एक मुहर वाले
पता नहीं कैसे
एक हो जाते हैं
समाज के अन्दर के
किसी ईमानदार का
पाजामा बहुत आसानी
से खींच ले जाते हैं
चोर के फोटो
अखबार के मुख्य पृष्ठ
पर रोज ही होते हैं
पाजामा उतरे हुऐ
लोग शरम से खुद
ही मर जाते हैं
जमाना पाजामा पाजामा
खेल रहा होता है
बेशरम हाथी के
ऊपर बैठा मुकुट पहन
आईसक्रीम
पेल रहा होता है
‘उलूक’ तू फिक्र
क्यों करता है
हाल अपने पैजामे
का देख कर
तेरे सभी चाहने
वालों में से सबसे
पहला तेरा ही
पैजामा खींचने की
फिराक में कब से
तेरे नखरे फाल्तू में
झेल रहा होता है ।

चित्र साभार: whiterocksun.com

शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

जोकर बनने का मौका सच बोलने लिखने से ही आ पायेगा

व्यंग करना है
व्यंगकार
बनना है
सच बोलना
शुरु कर दे
जो सामने से
होता हुआ दिखे
उसे खुले
आम कर दे
सरे आम कर दे
कल परसों में ही
मशहूर कर
दिया जायेगा
इसकी समझ में
आने लगा है कुछ
करने कराने वाला
भी समझ जायेगा
पोस्टर झंडे लगवाने
को नहीं उकसायेगा
नारे नहीं बनवायेगा
काम करने के
बोझ से भी बचेगा
और नाम भी
कुछ कमा खायेगा
 बातों में बोलना
अच्छा नहीं
लगता हो
तो सच को
सबके सामने
अपने आप करना
शुरु कर दे
खुद भी कर और
दूसरों को करने
की नसीहत भी
देना शुरु कर दे
एक दो दिन भी
नहीं लगेंगे
तेरे करने
करने तक
जोकर तुझे
कह दिया जायेगा
किसी ना किसी
अखबार में
छप छपा जायेगा
अपने आस पास
के सच को देख कर
आँख में दूरबीन
लगा कर चाँद को
देखने वालों को
चाँद का दाग
फिर से नजर आयेगा
बनेगी कोई गजल
कोई गीत देश प्रेम
का सुनायेगा
 प्रेम और उसके दिन
की बात भूलकर
रामनामी दुप्ट्टा
ओढ़ कर
कोई ना कोई
संत बाबा जेल
भी चला जायेगा
बचेगी संस्कृति
बचेगा देश
कुछ नहीं भी बचा
तब भी तेरे खुद का
थोड़ा बहुत किसी
छोटे मोटे अखबार
या पत्रिका में
बिकने बिकाने
का जुगाड़ हो जायेगा ।

चित्र साभार: www.picturesof.net

शनिवार, 16 जून 2012

प्रेम की परिभाषा

आखें
बंद कर
जैसे कहीं
खो बैठे वो

प्रेम के
सागर में
गोते जैसे
खाने
अचानक
लगे हों

पूछने लगे
हमसे
भैया जी
प्रेम की कोई
परिभाषा
जरा हमेंं
बताइये
प्रेम है
क्या बला
जरा हमेंं
आप आज
समझाइये

'प्रेमचंद' की
'ईदगाह'
के
'हामिद' का
उसकी
दादीजान से
'मीराबाई'
का 'कृष्ण'से
पिता का पुत्र से

या फिर
किसी भी
तरह का प्रेम
जो आपकी
समझ में
आता हो
प्रेम के
सागर की
लहरों में
हिलोरों में
झूला आपको
कभी झुलाता हो

बडा़ झंझट
है जी
हमारे
साथ ही
अक्सर
ऎसा क्यों
हो जाता है
जो सबको
मुर्गा दिखाई
दे रहा हो
हमारे सामने
आते ही
कौआ काला
बन जाता है

'हामिद' सुना
था कुछ
फालतू काम
करके आया था
अपनी दादीजान
की उंगलियां
आग से बचाने
के लिये मेले से
चिमटा एक
बेकार का
खरीद कर
लाया था

'मीराबाई'
भी जानती थी
शरीर नश्वर है
और
'कृष्ण' उसके
आसपास भी
कभी नहीं
आया था

मरने मरने
तक उसने
अपने को यूँ ही
कहीं भरमाया था

किसने
देखा प्रेम
किसी
जमाने की
कहानियाँ
हुआ करती थी

प्रेम
अब लगता है
वाकई में
इस जमाने
में ही खुल
कर आया है

सब कुछ
आकर देखिये
छोटे छोटे
एस एम एस
में ही समाया है

जिंदगी के
हर पड़ाव
में बदलता
हुआ नये
नये फंडे
सिखाता
हमें आया है

नये रंग के साथ
प्रेम ने नया एक
झंडा हमेशा ही
कहीं फहराया है

चाकलेट
खेल खिलौने
जूते कपड़े
स्कूल की फीस
छोटे छोटे
उपहार
कर देते थे
तुरंत ही
आई लव यू
का इजहार

प्रेम की
वही खिड़की
विन्डो दो हजार
से अपडेट हो कर
विन्डो आठ जैसी
जवान हो कर
आ गयी है तैयार

तनिश्क
के गहने
बैंक बैलेंस
प्रोपर्टी
कार
हवाई यात्रा
के टिकट के
आसपास
होने पर
सोफ्टवेयर
कम्पैटिबल है
करके बता जाती है

खस्ता हाल
हो कोई अगर
उसके प्रेम
के इजहार पर
अपडेट कर लीजिये
का एक
संदेश दे कर
हैंग अपने आप
ही हो जाती है।

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

"चेस्टर" सितम्बर 2008- 08-02-2012


निर्मोही आँखिर तुम भी
हो गये एक चित्र
हमें मोह में उलझा के
हौले से चल दिये मित्र
बहुत कुछ दे गये एक
इतने छोटे से काल में
मौन से स्पर्श से
हावभाव से संकेत से
निस्वार्थ निश्चल प्रेम से
अपनो का अपना दिखा के
अपनो को अपना बना के
दूर तक साँथ चलने का
झूठा सा अहसास दिला के
उड़ गये फुर्र से
हम देखते ही रह गये
किंकर्तव्यविमूढ़ बह गये
भावनाओं के ज्वार मे
उलझ के तुम्हारे प्यार में
रोक भी नहीं पाये तुमको
ये बताया भी कहाँ हमको
जल्दी है तुम्हें बहुत जाने की
कहीं और जा के लोगों को
कुछ बातें समझाने की
यहाँ लेना था तुम्हें
बहुत से लोगों से
पुराना कुछ हिसाब
शायद लाये भी होगे
कहीं कोई बही किताब
दूर हो या नजदीक
बुलाया उन सभी को
किसी ना किसी तरह
कभी ना कभी
अपने ही पास
जीवन मृत्यू का
एक पाठ पुन:
समझा के एक और बार
चल पडे़ हो एक लम्बी
डगर पर हमें दे कर केवल
अपनी एक याद
शुभ यात्रा प्रिय
करना क्षमा  तृटियों के लिये
फिर जन्म लेना कहीं
हमसे मिलने के लिये
करेंगे इंतजार लगातार।