उलूक टाइम्स: बैल
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सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

गाय बहुत जरूरी होती है श्राद्ध करने के बाद पता चल रहा था


श्राद्ध पक्ष अष्टमी पिता जी का श्राद्ध 
सुबह सुबह पंडित जी करवा कर गये आज 

साथ में श्राद्ध में प्रयोग हुऐ व्यँजनों को 
किसी भी गाय को खिलाने का निर्देश भी दे गये 

गलती से भी 
कौर खाने का किसी बैल के मुँह में 
गाय से पहले ना लगे जरा सा 
खबरादर भी कर के गये 

श्राद्ध करने कराने तक तो सब 
आसान सा ही लग रहा था 

कोई मुश्किल नहीं पड़ी थी 
सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था 

गाय की बात आते ही 
समस्या लेकिन बड़ी एक खड़ी हो गई थी 

रोज कई दिनों से अखबार टी वी रेडियो 
जगह जगह से गाय गाय की माला जपना 
हर किसी का दिखता हुआ मिल रहा था 

गाय को देखे सुने कई जमाने हो चुके थे 
घर के आस पास दूर दूर तक 
गाय का पता नहीं मिल रहा था 

घर से निकला 
हर दुकान में गाय का 
प्लास्टिक का पुतला जरूर दिख रहा था 

पीठ में एक छेद था पैसा डालने के लिये 

आगे कहीं एक नगरपालिका का कूड़ेदान दिख रहा था 

एक घायल बैल 
प्लास्टिक के एक बंद थेले के अंदर के 
कचरे के लिये जीजान से उस पर पिल रहा था 

‘उलूक’ चलता ही जा रहा था 
गाय की खोज में 
गाय गाय सोचता हुआ चल रहा था 

खाने से भरा थैला 
उसके दायें हाथ से कभी बायें हाथ में 
कभी बायें हाथ से दायें हाथ में 
अपनी जगह को बार बार बदल रहा था ।

चित्र साभार: www.allfreevectors.com

मंगलवार, 18 अगस्त 2015

एक रंग से सम्मोहित होते रहने वाले इंद्रधनुष से हमेशा मुँह चुरायेंगे

अपने
सुर पर
लगाम लगा

अपनी
ढपली
बजाने से
अब
बाज
भी आ

बजा
तो रहा हूँ
मैं भी ढपली
और
गा भी
रहा हूँ कुछ
बेराग ही सही

सुनता
क्यों नहीं

अब सब
अपनी अपनी
बजाना शुरु
हो जायेंगे तो

समझता
क्यों नहीं
काँव काँव
करते कौए
हो जायेंगे

और
साफ सफेद
दूध से धुले हुऐ
कबूतर फिर
मजाक उड़ायेंगे

क्या करेगा
उस समय

अभी नहीं सोचेगा
समय भूल जायेगा
तुझे
और मुझे

फिर
हर खेत में
कबूतरों की
फूल मालाऐं
पहने हुऐ
रंग बिरंगे
पुतले
नजर आयेंगे

पीढ़ियों दर
पीढ़ियों के लिये

पुतलों पर
कमीशन
खा खा कर

कई पीढ़ियों
के लिये
अमर हो जायेंगे

कभी
सोचना
भी चाहिये

लाल कपड़ा
दिखा दिखा कर

लोग क्या
बैलों को
हमेशा
इसी तरह
भड़काऐंगे

इसी तरह
बिना सोचे
जमा होते
रहेंगी सोचें

बिना
सोचे समझे
किसी एक
रंग के पीछे

बिना रंग के
सफेद रंग
हर गंदगी को
ढक ढका कर

हर बार
की तरह

कोपलों को
फूल बनने
से पहले ही

कहीं पेड़ की
किसी डाल पर

एक बार
फिर से

बार बार
और
हर बार
की तरह ही

भटका कर
ले जायेंगे ।

चित्र साभार: www.allposters.com

शुक्रवार, 12 जून 2015

अक्ल वालों की नजर गाय पर होती है बेवकूफ खुद ही बैल हो जाते हैं

दूध से रोज
ही नहाते हैं
दूध के धुले
भी कहलाते हैं

ऐसे
शुद्ध लोगों पर
ना जाने कैसे
आप जैसे
अशुद्ध लोग


मिलावटी होने
का इलजाम
लगा ले जाते हैं

काम तो
होते ही हैं
करने के लिये
किये भी जाते हैं

अब कौन से काम
जरूरी होते हैं
कौन से गैर जरूरी
इस बात को
काम करने वाले
ही बता पाते हैं

कुछ काम
अपने नहीं
भी होते है
पर दुधारू गाय
की तरह
पहचाने जाते हैं

कुछ काम
अपने ही
काम होते हैं
और
सींग मारने वाले
बैल माने जाते हैं

बेवकूफ लोग
सींग पकड़े
लटके नजर आते हैं

होशियार
गाय के
दूध से
रोज नहाते है
इसीलिये दूध के
धुले भी कहलाते हैं

‘उलूक’
देखता रहता है
गाय और
गाय के दूध
की धार को

उसकी
सोच में
बैलों की
सींगों के घाव

रोज
ही बनते हैं
और
रोज ही
हरे हो जाते हैं ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

आदमी जानवर को लिखना क्यों नहीं सिखाता है



घोड़े बैल या गधे को
अपने आप कहां कुछ आ पाता है

बोझ उठाना वो ही उसको सिखाता है
जिसके हाथ मे‌ जा कर पड़ जाता है

क्या उठाना है कैसे उठाना है
किसका उठाना है
इस तरह की बात
कोई भी नहीं कहीं सिखा पाता है

एक मालिक का एक जानवर
जब
दूसरे मालिक का जानवर हो जाता है

कोशिश करता है नये माहौल में भी
उसी तरह से ढल जाता है

एक घर का एक 
दूसरे घर का दूसरा होने तक तो
सब 
सामान्य सा ही नजर आता है

एक मौहल्ले का एक होने के बाद से ही
बबाल शुरु हो जाता है

एक जान एक काम
बहुत अच्छी तरह से करना चाहता है

क्या करे अगर कोई लादना चाहता है
और
दूसरा उसी समय जोतना चाहता है

जानवर इतने के लिये जानवर ही होता है
आदमी ना जाने क्यों सोचता है
कि
उसके कहने से तो बैठ जाता है
और
मेरे कहने पर सलाम ठोकने को नहीं आता है

अब ऐसे में 
तीसरा आदमी भी कुछ नहीं कर पाता है

आदमी के बारे में सोचने की
फुर्सत नहीं 
हो जिसके पास
जानवर की समस्या में
टांग अड़ाने की हिम्मत नही‌ कर पाता है ।

चित्र साभार: https://www.clipartof.com/

बुधवार, 17 जुलाई 2013

बैल एक दिखा इसलिये कहा

कल्पना की उड़ान
कब कहाँ को कर
जाये प्रस्थान
रोकना भी उसे
आसान नहीं
हो पाता है

अब कुछ अजीब
सा आ ही जाये
दिमाग के पर्दे में
बनी फिल्म को देखना
लाजमी हो जाता है

 क्या किया जाये
उस समय जब
एक बैल सामने
से आता हुआ
नजर आता है

 बैल का बैल होना
उसके हल को
अपने कंधों पर ढोना
खेत का किसी के
पास भी ना होना
सबके समझ में
ये सब आ जाता है

हर बैल लेकिन
अपने बैल के लिये
एक खेत की सीमा
जरूर बनाता है

 उसे भी होना ही
पड़ता है किसी
का एक बैल कभी
अपने बैल को देखते
ही लेकिन यही
वो भूल जाता है

ऊपर से नीचे तक
बैल के बैल का बैल
पर बैल हूँ एक मैं
कोई भी स्वीकार
नहीं ये कर पाता है

हरेक की इच्छा
होती है बहुत तीव्र
हर कोई एक ऎसा
बैल अपने लिये
हमेशा चाहता है

जिसके कटे हुऎ
हो सींग दोनो
हौ हौ करते ही
इशारा जिसके
समझ में आता है

बैल इस तरह
एक साम्राज्य
बैलों का बना
भी ले जाता है

लेकिन बैल तो
बैल होते हैं
गलती से कभी
उतर गया हल
कंधे से थोड़ी
देर के लिये

 हर बैल उजाड़
लेकिन चला ही
जाना चाहता है ।

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

गाय

हाथी बंदर मे
वो बात कहाँ
जो गाय और
बैल में है

गाय हमारी
माता है

हमको कुछ
नहीं आता है

बैल हमारा
बाप है

नम्बर देना
पाप है

बचपन से
सुनते आये हैं

गाय वाकई में

भारतीय है
बैल थोड़ा
चीनी
दिखाई
देता है

इसलिये
बैल कहीं
नहीं
दिखाई देता है


आदमी
की बात

जो नहीं
सोच पाता है

वो गाय से
समझाता है


गाय कभी
नहीं बताती

अपना धर्म
बैल ने भी
नहीं कहा

कभी वो
चीनी है


गाय बैल
के नाम

लड़ाई
मत करो


मुझे
बताओ ना

गाय के
बच्चा होता है

कैल्शियम
कैसे दिया

जाता है
उसे बच्चा

होने के बाद
और क्यों

कोई बतायेगा?