उलूक टाइम्स: मत समझ
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मंगलवार, 18 सितंबर 2018

तू समझ तू मत समझ राम समझ रहे हैं उनकी किसलिये और क्यों अब कहीं भी नहीं चल पा री

मानना
तो
पड़ेगा ही
इसको

उसको
ही नहीं

पूरे
विश्व को

तुझे
किसलिये
परेशानी
हो जा री

टापू से
दूरबीन
पकड़े
कहीं दूर
आसमान में
देखते हुऐ
एक गुरु को

और
बाढ़ में
बह रहे
मुस्कुराते हुऐ
उस गुरु के
शिष्य को

जब
शरम नहीं
थोड़ा सा
भी आ री

एक
बुद्धिजीवी
के भी
समझ में
नहीं आती हैंं
बातें
बहुत सारी

उसे ही
क्यों
सोचना है
उसे ही
क्यों
देखना है
और
उसे ही
क्यों
समझना है

उस
बात को
जिसको

उसके
आसपास
हो रहे पर

जब
सारी जनता
कुछ भी
नहीं कहने को

कहीं भी
नहीं जा री

चिढ़ क्यों
लग रही है
अगर
कह दिया

समझ में
आता है
डी ए की
किश्त इस बार

क्यों और
किसलिये
इतनी
देर में आ री

समझ तो
मैं भी रहा हूँ

बस
कह कुछ
नहीं रहा हूँ

तू भी
मत कह

तेरे कहने
करने से

मेरी तस्वीर
समाज में
ठीक नहीं
जा पा री

कहना
पड़ता है
तेरी
कही बातें
इसीलिये
मेरी समझ
में कभी भी
नहीं आ री

‘उलूक’
बेवकूफ

उजड़ने के
कगार पर
किसलिये

और
क्यों बैठ
जाता होगा
किसी शाख
पर जाकर
गुलिस्ताँ के

जहाँ बैठे
सारे उल्लुओं
के लिये

एक आदमी
की सवारी
राम जी की
सवारी हो जा री ।

चित्र साभार: https://store.skeeta.biz