उलूक टाइम्स: मोदी
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शुक्रवार, 26 जून 2015

जय हो जय हो जय हो

सब की जय हो
एक हजारवीं
पोस्ट है
जय जय हो
दोस्तों की
जय हो
दुश्मनों की
जय हो
मोदी की
जय हो
केजरीवाल की
जय हो
इंदिरा गाँधी
के साथ
गाँधी की
जय हो
दोस्तों की
जय हो
दुश्मनों की
जय हो
चोरों की
जय हो
पुलिस वालों की
जय हो
रिश्तों की
जय हो
कुत्तों की
जय हो
सब की
जय हो
सोचने वालों की
जय हो
गरीबों की
जय हो
अमीरों की
जय हो
जो हो रहा है
उसकी
जय हो
जो नहीं हो रहा है
उसकी भी
जय हो
राम की
जय हो
हनुमान की
जय हो
हिंदू की
जय हो
मुसलमान की
जय हो
ईमानदार की
जय हो
बेईमान की
जय हो
सबकी
जय हो
देखने में
जो भी दिखे
जो नहीं दिखे
कोई कुछ कहे
उसकी भी
जय हो
जय जय की
जय हो
झूठ की
जय हो
सबसे बड़ी
 जय हो
सच मुँह की खाये
उसकी भी
जय हो
होना सब उसके
हिसाब से है
जो मेरा
हिसाब नहीं है
‘उलूक’ की
जय हो
जय हो जय हो
आप आये
आपने पढ़ दिया
आपकी भी
जय  हो ।

चित्र साभर: www.clker.com

मंगलवार, 6 अगस्त 2013

ये अंदर की नहीं है अंडर की बात है !

राहुल बाबा क्या हुआ
आजकल बहुत कम
आप नजर आ रहे हो
पता ही नहीं चल पा
रहा है देश को चलाने
के लिये कौन सा नया
सौफ्टवेयर तैय्यार
करवाने जा रहे हो
वैसे अंडर में अपने
सबको इक्ट्ठा रखने
का माडल आपका
बहुत ही मजबूत
माना जाता है
उसकी बात कोई
कहीं भी करना
नहीं चाहता है
तरक्की के लिये अपनी
अपनाना उसे
ही चाहता है
अंडर में जब तक रहे
वो ही बस रहे तो रहे
जरा भी खिसकने
का उसके कहीं को
भी थोड़ा किसी को
शक भूलकर ना रहे
जो भी करे पूछ पूछ
कर बस करता चले
जिस दिन सोचना
खुद गलती से
भी कुछ करे
दे के आजादी
उसी क्षण अपने
अंडर से चलता करे
अब यही अंडर में
रहने की बात होती
चली जा रही है
किसी एक के द्वारा
नहीं पूरे देश में
प्रयोग की जा रही है
जिसको चलानी हो
कोई भी खटारा गाडी़
उसके लिये वरदान
एक बन जा रही है
अंडर में चिपक कर
रहने वालों को सारे
एक ही जगह पर
पहुँचाये जा रही है
अंडर में रखने के
नशे का हर एक
आदी हो जा रहा है
अंडर में रहने वालों
को भी तो उतना
ही मजा आ रहा है
अंडर वाला अपने
अंडर वाले पर नजर
जरूर रखवा रहा है
कहीं वो उसके अंडर से
किसी और के अंडर
तो नहीं जा रहा है
गलती से भी कहीं
अपनी काबीलियत
को तो नहीं पनपा
ले जा रहा है
बहुत ही काम
का हो चुका है
माडल अंडर में
अपने रखने वाला
ऎसा कुछ महसूस
किया जा रहा है
छोटी हो या बडी़
हर जगह पर
पूरे देश में ही
काम में लाया
जा रहा है
बीबी के द्वारा
शौहर पर और
शौहर के द्वारा
बीबी पर भी
आजमाया जा रहा है
अंदर की बात
कुछ और है
आपको डरने की
बिल्कुल भी
जरूरत नहीं है
सब लगे हैं
आपका ही माडल
प्रयोग करने में
बाहर से खाली
मोदी मोदी करके
आपको डराया
जा रहा है ।

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

देश बड़ा है घर की बनाते हैं

देश की सरकार
तक फिर कभी
पहुँच ही लेगें
चल आज अपने
घर की सरकार
बना ले जाते हैं
अंदर की बात
अंदर ही रहने
देते हैं किसी को
भी क्यों बताते हैं
ना अन्ना की टोपी
की जरूरत होती है
ना ही मोदी का कोई
पोस्टर कहीं लगाते हैं
मनमोहन को चाहने
वाले को भी अपने
साथ में मिलाते हैं
चल घर में घर की ही
एक सरकार बनाते हैं
मिड डे मील से हो
रही मौतों से कुछ तो
सबक सीख ले जाते हैं
जहर को जहर ही
काटता है चल
मीठा जहर ही
कुछ कहीं फैलाते हैं
घर के अंदर लाल
हरे भगवे में तिरंगे
रंगो को मिलाते हैं
कुछ पाने के लिये
कुछ खोने का
एहसास घर के
सदस्यों को दिलाते हैं
चाचा को समझा
कुछ देते हैं और
भतीजे को इस
बार कुछ बनाते हैं
घर की ही तो है
अपनी ही है
सरकार हर बार
की तरह इस
बार भी बनाते हैं
किसी को भी इस
से फरक नहीं
पड़ने वाला है कहीं
कल को घर से
बाहर शहर की
गलियों में अगर
हम अपने अपने
झंडों को लेकर
अलग अलग
रास्तों से निकल
देश के लिये एक
सरकार बनाने
के लिये जाते हैं ।

बुधवार, 12 जून 2013

समाज को समझ सामाजिक हो जा

तेरे मन की जैसी नहीं होती है
तो 
बौरा क्यों जाता है 

सारे लोग लगे हैं जब लोगों को पागल बनाने में 
तू क्यों पागल हो जाता है 

जमाना तेजी से बदल रहा है 
कुछ तो अपनी आदतों को बदल डाल 
बात बात में फालतू की बात अब ना निकाल 

मान भी जा 
कुछ तो समझौते करने की आदत अब ले डाल 

देखता नहीं 
बढ़ती उम्र में भी आदमी बदल जाता है 
अच्छा आदमी होता है तो आडवानी हो जाता है 

अपने घर से शुरु कर के तो देख जरा 
थोड़ा थोड़ा घरवाली की बात पर
होना छोड़ दे अब टेढ़ा टेढ़ा

उसके बाद 
आफिस की आदतों में परिवर्तन ला 
साहब चाहते हों तुझे गधा भी बनाना 
वो भी बन कर के दिखा 
समझा कर 
तेरा कुछ भी नहीं जायेगा 
पर तेरा साहब जरूर एक धोबी हो जायेगा

सत्कर्म करने वाला ही मोक्ष पाता है 
किताबों में लिखा है ऎसा माना जाता है 
ऎसी किताबों को कबाड़ी को बेच कर के आ 
बहुमत के साथ रह बहुमत की बात कर 
बहुमत के मौन की इज्जत करने में
तेरा क्या जाता है 

तू इतना बोलता है 
तेरे को सुनने क्या कोई आता है 
समझने वाले लोग
समझदारों की बात ही समझ पाते हैं 
तेरे भेजे में ये कड़वा सच क्यों नहीं घुस पाता है 

अब भी समय है 
समझदारों में जा कर के शामिल हो जा 
अन्ना की टोपी पहन मोदी को माला पहना 
मौका आता है जैसे ही राहुल की सरकार बना 
सबके मन की जैसी करना अब तो सीख जा 
बात कहने को किसी ने नहीं किया है मना 

लेखन को धारदार बना 
लोहे की हो जरूरी नहीं लकड़ी की तलवार बना 

मन की जैसी नहीं हो रही हो तो मत बौरा 
खुद पागल क्यों होता है 
लोगों को पागल बना 

समाज से अलग थलग पड़ने का नहीं है मजा 
बहुमत को समझने की कभी तो कोशिश कर 
'उलूक' थोड़ी देर के लिये ही सही सामाजिक हो जा । 

चित्र साभार: https://www.gettyimages.in/