उलूक टाइम्स: वफादार
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शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

घोड़ा ऐनक या होर्स ब्लाइंडर किस किस को समझ आ जाता है?

कैसे
पता करे
कोई खुद

कि


वो होश में है
या बेहोश है

वहाँ जहाँ


बेहोश रहने को
होश का पैमाना
माना जाता है

आँख में
चश्में लगे हो भी
और 

नहीं भी हों

दिखायी
दे जाता है
साफ साफ

बहुत दूर से
नजर भी
आ जाता है

सोच
के चश्में
किसी की
सोच में

शायद कोई
दूर वाला
बहुत दूर से
बैठ कर भी
लगा ले जाता है

एक जैसी
लकीर को
खींचते हुऐ
एक दो नहीं

एक
बहुत
बड़ी भीड़
का स्वभाव
एक सा
हो जाता है

जहाँ

बस लकीर
खींचनी ही
नहीं होती है

खींचने के बाद
एक ही तरीके से
उसे पीटना
आना भी
बहुत जरूरी
माना जाता है

बस

इसी
तस्वीर के
अन्दर
झांंकने पर

आदमी का
घोड़ा हो जाना

और
घोड़े का
ऐनक लगाकर
सीधी
एक लकीर
पर चलते चलते

एक शतरंज
की बिसात में
खड़े वजीर के लिये
फकीर हो जाना

समझ में आना
शुरु हो जाता है

घो‌ड़े
की आँखों में
ऐनक लगाना तो

जरूरी
हो जाता है
उसे रास्ते से
भटकने से
बचाने के लिये

सामने
देखने के लिये
इसी तरह मजबूर
किया जाता है

घोड़े
वफादार भी होते हैं
ऐनक लगी रहती है
दिखायी देती है

वफादारी
देखने के लिये
चश्मा
बना बनाया
बाजार में
नहीं पाया जाता है
जरूरी भी नहीं होता है

खबर में
घोड़ों का
आदमी को काट
खाने का वाकया

छपा हुआ
नजर में नहीं
ही आता है

अजीब बात है
कब आदमी
आदमियों की
भीड़ के बीच में

आँख में
ऐनक लगे घोड़ों से
अपने को
घिरा हुआ होना
महसूस करना
शुरु हो जाता है

कौन होश में है
कौन बेहोश है

कैसे समझ में आये
किस से पूछा जाये

ऐसी बात
कोई सीधे सीधे
जो क्या बताता है

और  ‘उलूक’ भी

पता नहीं

आदमी और
घोडों के बीच
एक ऐनक
को लेकर

होश और बेहोश
के पैमाने लेकर

क्या किसलिये
और क्यों नापना
शुरु हो जाता है ?

चित्र साभार: http://lakhtakiyabol.com

शनिवार, 12 सितंबर 2009

परिचय

कुत्ता होता मैं
धोबी का छोड़ कर किसी का भी होता

कहते हैं कुत्ता वफादार होता है

अगर मैं कुत्ता होता तो क्या वफादार होता ?
ये अलग प्रश्न है

थोड़ी देर के लिये सही 
कुत्ता होने मे भी क्या परेशानी है ?

पूंछ हिलाता जीभ लपलपाता
डांठ पड़ने पर पूंछ अपनी दबाता

काश ! सब कुत्ते होते 

सब कुत्ते होते तो फिर आदमी का क्या होता ?

तब शायद मुहावरा बनता
कुत्ते का आदमी वफादार होता है

आदमी बिन कुत्ता और कुत्ते बिन आदमी जंचता नहीं
कुत्ते भी रहें और आदमी भी
पर
कुत्ता बनने की प्रायिकता ज्यादा हो जाये

दोनो नहीं होंगे 
तो आदमी कुत्ते को डांठेगा कैसे ?
और कुत्ता भीआदमी को काटेगा कैसे ?

फिर भी समझने की बात है 
आदमी चाह रहा है एक कुत्ता बनना
क्योंकि आदमी चाहता है 
पर काट नहींं पाता है 

और कुत्ता आदमी की मौत नहींं मरता है 

इन सब के बावजूद भी 
काश ! मैं एक कुत्ता होता 

नजर आता है
कुत्ता उनकी आगोश में सोता है

आदमी आगोश में होता है तो होश खोता है

आदमी का कुत्ता खुशनसीब है
कुत्ते का आदमी बदनसीब है

फिर भी आओ क्यों ना सब कुत्ते बन जायें

और आदमी से वफादारी निभायें 
बतायें
कुत्ता हिन्दू नहीं होता है कुत्ता मुस्लिम नहीं होता है
कुत्ता क्षत्रिय नहीं होता है कुत्ता ब्राह्मिन नहीं होता है
और तो और कुत्ते का रिसरवेशन नहीं होता है 

काश ! कुत्ता होता मैं और मुहावरा होता
कुत्ते का आदमी वफादार होता है ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com