उलूक टाइम्स: विरोधाभास
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शनिवार, 9 नवंबर 2013

कई बार होता है लम्हे का पता लम्हे को नहीं होता है

कुछ तो जरूर होता है
हर किसी के साथ
अलग अलग सा
कितने भी अजीज
और कितने भी पास हों
जरूरी नहीं होता है
एक लम्हे का
हो जाना वही
जैसा सोच में हो
एक लम्हे को
होना ही होता है
किसी लिये कुछ
और किसी के लिये
कुछ और ही
अपने खुश लम्हे
को उसके उदास
लम्हे में बदल लेना
ना इसके हाथ
में होता है
ना ही उसके
हाथ में होता है
कहते हैं आत्मा में
हर एक के
भगवान होता है
और जब इसके हाथ में
उसका हाथ होता है
एक दूसरे के बहुत ही
पास में होता है
लम्हा एक होता है
इसके लिये भी
और उसके लिये भी
बस इसका लम्हा
उसके लम्हे के पास
कहीं नहीं होता है
ना इसे पता होता है
ना उसे पता होता है
एक लम्हे को अपने
से ही कैसा ये
विरोधाभास होता है ।