उलूक टाइम्स: सन्नाटा
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गुरुवार, 4 सितंबर 2014

कम बोला से बड़ बोला तक बम बोला हमेशा बम बम बोलता है

क्या होता है
अगर एक
कुछ भी
कभी भी
नहीं बोलता है

क्या होता है
अगर एक
हमेशा ही
कुछ ना कुछ
बोलता है

सालों गुजर
जातें हैं
खामोशी में
एक के कई

बस सन्नाटा
ही सन्नाटा
होता है
हर तरफ

कोई इधर
डोलता है
और
कोई उधर
डोलता है

बोलने वाला
बोलना शुरु
होता है

ये भी
बोलता है
और
वो भी
बोलता है

कुछ भी नहीं
कह पाने से
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
कह ले जाने
के बीच में

बहुत कुछ
होता है
जो अँधों की
आँखें खोलता है

बहरे
वैसे ही
हमेशा खुश
रहते है

अपने आप में
कोई बोलता है
या
नहीं बोलता है

लूला खुद ही
बोलना चाहता
है हमेशा
कुछ ना कुछ

ऊपर वाला
बेचारों का मुँह
ही नहीं खोलता है

दुनियाँ के दस्तूर
यही हैं ‘उलूक’

तुझे क्या करना
इस सब से जब

ये भी तुझे
‘उलूक’
और
वो भी तुझे
‘उलूक’
बोलता है ।

चित्र साभार : http://www.shutterstock.com/