उलूक टाइम्स: समझा
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शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

नियम नहीं हैं कोई गल नहीं बिना नियम के चलवा देंगे हजूर हम समझा देंगे

जो भी
आप
समझायेंगे

हजूर


हम समझा देंगे

किस
किस को

समझाना है

क्या क्या

और

कैसे कैसे
बताना है

हमें
लिख कर

बता देंगे

हजूर


हम समझा देंगे

मत
समझियेगा


हम भी
समझ

ले रहे हैंं
वो सब


जो
आप

लोगों को

समझाने
के लिये


हमें समझा रहे हैं


हम
आप के

कहे को

जैसे का तैसा


इधर से उधर

पहुँचा देंगे हजूर

हम समझा देंगे

खाली
किस लिये

अपना दिमाग
लगाना है

आप के
दिमाग में
जब
सब कुछ सारा


बहुत सारा

तेज धार
का पैमाना है

इशारा
करिये तो सही  

पानी में ही

आग लगा देंगे
हजूर

हम समझा देंगे


अखबार में
आने वाली है
खबर पक कर
रात भर में

नमक
मसालों
को

ही बदलवा देंगे

हजूर

हम समझा देंगे


नहीं होगा
नहीं होगा


छपवा कर

रखवा भी
दिया होगा


कहाँ तक
रखवायेगा कोई


और
ऊपर से

जोर की डाँठ

पड़वा देंगे

हजूर


हम समझा देंगे

चिंता
जरा सा
भी
मत
कीजियेगा


ज्यादा
से ज्यादा

कुछ नहीं होगा

टेंट
लगवा कर

दो चार दिन

एक
भीड़
को बैठा देंगे


हजूर

हम समझा देंगे


‘उलूक’

तू भी

आँख बन्द कर
कान में उँगली
डाल कर बैठा रह

किसी
दिन आकर

तुझे भी

दो चार दिन

देश
चलाने की

किताब के
दो पन्ने
तेरे शहर के

पढ़ा देंगे


हजूर

हम समझा देंगें। 


चित्र साभार: http://www.newindianexpress.com

शनिवार, 30 सितंबर 2017

नवाँ महीना दसवीं बात गिनता चल खुद की बकवास आज दशहरा है

राम समझे
हुऐ हैं लोग 
राम समझा
रहे हैं लोग
आज दशहरा है

राम के गणित
का खुद हिसाब
लगा रहे हैं लोग
आज दशहरा है

अज्ञानियों का ज्ञान
बढा‌ रहे हैं लोग
आज दशहरा है

शुद्ध बुद्धि हैं
मंदबुद्धियों की
अशुद्धियों को
हटा रहे हैं लोग
आज दशहरा है

दशहरा है
दशहरा ही
पढ़ा रहे हैं लोग
आज दशहरा है

आँख बन्द रखें
कुछ ना देखें
आसपास का
कहीं दूर एक राम
दिखा रहे हैं लोग
आज दशहरा है

कान बन्द रखें
कुछ ना सुने
विश्वास का
रावण नहीं होते
हैं आसपास कहीं
बता रहे हैं लोग
आज दशहरा है

मुंह बन्द रखें
कुछ ना कहें
अपने हिसाब का
राम ने भेजा हुआ है
बोलने को एक राम
झंडे खुद बन कर
राम समझा रहे हैं लोग
आज दशहरा है

दशहरे की
शुभकामनाएं
राम के लोग
राम के लोगों को
राम के लोगों के लिये
देते हुऐ इधर भी
और उधर भी
‘उलूक’ को
दिन में ही
नजर आ
रहे हैं लोग
आज दशहरा है ।

चित्र साभार: Rama or Ravana- On leadership

रविवार, 23 मार्च 2014

जिसकी समझ में नहीं आती है वही समझा जाता है

दो चार आठ पास भी हो जाता है
अ आ क ख 
बस पढ़ना कुछ सीख जाता है
लिखना कोई बहुत बड़ी बात कभी नहीं होती है
शुरु करना होता है चलता चला जाता है
क्या लिखा गया है
इससे किसी को क्या हो जाता है
एक के लिखने विखने की बात को
दूसरे 
लिखने वाले को पता
ऐसे या वैसे कभी ना कभी चल ही जाता है
उसे पता नहीं इस बात को सुन कर
कुछ कुछ जैसा कहीं पर हो जाता है
एक दिन नहीं कहता है
दूसरे दिन कुछ और बात की बात कह ले जाता है
तीसरे दिन जब नहीं रहा जाता है
कह बैठता है
अब लिखना ही है तो कविता क्यों नहीं लिखता है‌‌
उल जलूल लिखने से किसी को क्या मिल जाता है
कविता किसी की 
कोई बेचना चाह कर भी नहीं बेच पाता है
फिर भी एक बिल्ला लगाने भर के लिये
कभी ना कभी कोई दे ही जाता है
किताब कविता की छपवा सका एक दो कभी कहीं अगर
बेरोजगार होने का टोकन हट जाता है
आदमी है कहे ना कहे कोई
कवि है कहना आसान हो जाता है
अंधे का बताया अंधा समझता है
बहरे को बहरे का सुनाई दे जाता है
कवि की कविता से कवि का लेना देना
कभी नहीं होता है 
जब मौका मिलता है दूसरे को अपनी सुनाने के लिये चढ़ जाता है
अपनी बात बात होती है
दूसरे की बात सुनना छोड़ देखने तक नहीं जाता है
अब किस किस को समझाये "उलूक" 
लात खाने की बात को किस किस से जा कर कहा जाता है
लातें पड़ती रहती है कभी कम कभी ज्यादा
पड़ ही जाती है तो सहना ही पड़ जाता है
कुछ को आदत सी हो जाती है कुछ मजे लेते हैं
कुछ बेशरम होते हैं 
कुछ शरमा शरमी थोड़ा कुछ कह देते हैं
कविता करने वाले कवि लोग इन सब से
बहुत उपर के पायदान में होते हैं
जब भी धरती में कहीं कोई रो रहा होता है
उनके सामने बादल भी हों
तब भी एक चाँद कहीं से निकल कर आ जाता है
और 
कहना ना कहना उसी पर हो जाता है
अब इतनी लम्बी सुनने का समय उसे कहाँ हो पाता है
वो तो चल दिया होता है कभी का
बस ये कह कर
तू भी कभी एक कवि क्यों नहीं हो जाता है ।