उलूक टाइम्स: सेहत
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सोमवार, 20 अप्रैल 2020

पढ़ता कोई नहीं अपनी आँखों से सब पढ़ कर कोई और सुनाता है



बकवास करने में
कौन सा क्या कुछ चला जाता है 
फिर आजकल
कुछ कहने सुनने क्यों नहीं आता है 

सूरज रोज सुबह
और चाँद शाम को ही जब आता है 
अभी का अभी लिख दे
सोचने में दिन निकल जाता है 

खबरें बीमार हैं माना सभी
अखबार बीमार नजर आता है
नुस्खा बकवास भी नहीं होती
 बक देने में क्या जाता है 

ताला लगा है घर में
दिमाग बन्द हुआ जाता है 
खुले दिमाग वालों को
भाव कम दिया जाता है 

थाली में सब है
गिलास में भी कुछ नजर आता है 
भूख से नहीं मरता है कोई
मरने वालों में कब गिना जाता है 

सब कुछ लिखा होता है चेहरे पर
चेहरा किताब हो जाता है 
पढ़ना किस लिये अपनी आँखों से
सब पढ़ कर कोई और सुनाता है 

बकवास हो गया खुद एक ‘उलूक’
बकवास करना चाहता है 
खींचते ही लकीरों में चेहरा कविता का
मुँह चिढ़ाना शुरु हो जाता है।
चित्र साभार: https://favpng.com/

रविवार, 6 अप्रैल 2014

नहीं पड़ना ठीक होता है बीच में जहाँ कोई किसी और के आलू बो रहा होता है

सुना है कई कई बार
बहुतों ने कहा है
लिखा भी गया है
इस पार से उस पार
आज का नहीं बरसों
पुराना हो गया है
हर काम जो भी
होता है यहाँ कहीं
अल्ला होता है
किसी के लिये
ईसा होता हो 
या कोई भगवान
उसे कह देता है
यहाँ तक
किसी किसी का
शैतान तक
जैसा कहते हैं
कहीं पर सारी
जिम्मेदारियाँ
ले लेता है
ऐसा ही किसी की
रजामंदी होने का
जिक्र जरूर होता है
काम इस तरह
का भी कहीं और
कहीं उस तरह
का भी होता है
किसी को इस को
करने की आजादी
किसी को उस को
करने पर पाबंदी
किसी के लिये
आराम के एक
काम पर दूसरे के
सिर से पैर तक
डर ही डर
इस पहर से
लेकर उस पहर
तक होता है
फिर कोई क्यों
नहीं बताता
हमें भी
उलूक
तू किस लिये
बात को लेकर
सब कुछ इस
तरह से बेधड़क
लिख लेता है
उसकी सत्ता का झंडा
लहरा लहरा कर
अपनी सत्ता को
पक्का कर लेने का
खेल तो उसके ही
सामने सामने
से ही होता है
वो कर रहा
होता है वहाँ पर
जो भी करना होता है
तेरे बस में लिखना है
तू भी कुछ ना कुछ
लिख रहा होता है
पढ़ने वाले के लिये
ना तुझ में ना तेरे
चेहरे पर कुछ कहीं
दिख रहा होता है
अपने अपने ईश्वरों
के दरबार में
हर कोई दस्तक
दे रहा होता है
देश की सेहत को
कुछ नहीं होने
वाला होता है
जहाँ हर कोई
एक गोली गोल
गोल बना कर के
दे रहा होता है ।