उलूक टाइम्स

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

गाय

हाथी बंदर मे
वो बात कहाँ
जो गाय और
बैल में है

गाय हमारी
माता है

हमको कुछ
नहीं आता है

बैल हमारा
बाप है

नम्बर देना
पाप है

बचपन से
सुनते आये हैं

गाय वाकई में

भारतीय है
बैल थोड़ा
चीनी
दिखाई
देता है

इसलिये
बैल कहीं
नहीं
दिखाई देता है


आदमी
की बात

जो नहीं
सोच पाता है

वो गाय से
समझाता है


गाय कभी
नहीं बताती

अपना धर्म
बैल ने भी
नहीं कहा

कभी वो
चीनी है


गाय बैल
के नाम

लड़ाई
मत करो


मुझे
बताओ ना

गाय के
बच्चा होता है

कैल्शियम
कैसे दिया

जाता है
उसे बच्चा

होने के बाद
और क्यों

कोई बतायेगा?

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

बंदर

बंदर
अब जंगल में
नहीं पाये जाते हैं

पहाड़
के कस्बे में
कूड़े के ढेर पर
खाना ढूंढते हुऐ
देखे जाते हैं

बंदर
देख रहा है
गाँव के घर को
टूटता हुवा

गाँव
के लोगों को
मैदान की ओर
फूटता हुवा

बंदर
को भी
आदमी का
व्यवहार

अब
बहुत अच्छी
तरह समझ मेंं
आने लगा है

नकलची बंदर

कोशिश कर
अपने को
आदमी ही
बनाने लगा है

ऎसा ही
होता रहा
तो वो दिन
दूर नहीं

जब
आप देखेंगे
बंदर सपरिवार
पहाड़ छोड़
देहरादून को
जाने लगा है

वैसे भी
बंदर अब
बंदर नहीं
रह गया है

प्राकृतिक
भोजन और
रहन सहन के बिना

अब
आदमी जैसा
ही हो गया है

बंदर
के बच्चे
बच्चों की
तरह प्यारे
कोमल
दिखाई दिया
करते थे कभी

कूड़े
के ढेर से
शुरू किया
है पेट भरना
बंदर ने जब से

बच्चे
भी हो गये हैं
उसके बूढे़ से
रूखे सूखे से तब से

आदमी
का बच्चा
भी दिखने लगा
है जैसा अभी

बंदर
जानता है
आदमी ने
पहाड़ को
बनाना नहीं है

जंगल
को पनपाना
भी नहीं है

आदमी
तो व्यस्त है

खबरे सिलने
बनाने में

बंदर के
उजड़ने
की खबर
अखबार टी वी
पर दिखाने में

जंगल
पर डाक्यूमेंटरी
बनवाने में

जानवरों
के नाम पर
फंड उगवाने में

एन जी ओ
चलाने में

बंदर ने भी
छोड़ दिया
आदमी पर
करना विश्वास

जंगल
को छोड़
बंदर चल दिया
लेकर एक नयी आस

बनाने
मैदानी शहर में
एक आलीशान
आशियाना

इससे पहले
आदमी
समझ सके
बंदर समझ चुका है

और बंदर
को भी ना पडे़
कुछ भी
अपनी तरफ से
फाल्तू में
उसको समझाना।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

गधा

गधा धोबी को छोड़
कौन पालना है चाहता
पर कभी अनायास मुझे
जरूर है याद दिलाता
बच्चा गधा गधे का बच्चा
भोला होता है और सच्चा
जवान तगड़ा
कुवाँरा गधा
बेरोजगार गधा
रोजगार में गधा
मुहब्बत की खोज में
खो जाता है गधा
मुहब्बत मिल गयी अगर
पागल हो जाता है गधा
गधे को देख देख
खुश हो जाता गधा
गधे से ही फिर कभी
दुखी हो जाता गधा
शादी शुदा परिवार
का मारा गधा
बीबी बच्चों के दुलार
का मारा गधा
हर तरफ गधों की
भरमार से
घबराता गधा
ढेंचू ढेंचू
आवाज करना
चाह कर भी ना
कर पाता गधा
घर के दरवाजे पर
गधों का नाम
खुदवाता गधा
हरेक बात पर
सर हिलाता गधा
समझ लेता
है सबकुछ
गधों को
समझाता गधा
पागलों का
सरदार भी
कहलाता गधा
गधों का सरदार
भी हो जाता
वो ही गधा
गधों के प्रकार
बताता गधा
अपने को गधों से
बाहर पाता गधा
गधों के प्रतिशत का
हिसाब लगाता गधा
वोट देने हर बार
हो आता गधा
अपने गधे को
जिता नहीं पाता गधा
गधों की सरकार
कभी नहीं बना
पाता गधा
गधे का गधा
ही रह जाता गधा ।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

हाथी का स्वागत है।

पेडो़ के कटने से
जंगल के हटने से
हाथी परेशान है
खाने की कमी है
इसलिये गांव की
तरफ रुझान है
आदमी से टकरा रहा है
आदमी उसको
जंगल को भगा रहा है
मैदान में घमासान है
पहाड़ तो पहाड़ हैं
रह गये सिर्फ हाड़ हैं
खबर कुछ नई
इस प्रकार है
हाथी भी अब
पहाडो़ पर आने
को तैयार है
ये खुशी की बात है
यहां जगह की
बहुत इफरात है
आदमी को पहाड़
से वैसे भी क्या
काम है
हाथी यहाँ आयेगा
चैन की बंसी बजायेगा
आदमी वैसे भी
यहां बहुत दिनो
तक अब नहीं
टिक पायेगा
सरकार का सर दर्द
भी जायेगा
फिर गैरसैंण कोई
नहीं चिल्लायेगा
जंगल को बचायेंगे
हाथी का पहाड़ मे
बड़ा घर बनायेंगे
कुछ खुद ही चले
जा रहे हैं पहाड़ से
बचे कुचे लोगों को
मिलकर हम भगायेंगे
पहाड़ को बचायेंगे।

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

मौन की ताकत

कुछ
मौन रहे
कुछ रहे
चुप चुप

कुछ
लगे रहे
कोशिश में

लम्बे
अर्से तक
उनको
सुनने की
छुप छुप

पर
कहां
कैसे सुन पाते

कोई
मूड में
होता
सुनाने के
जो सुनाते

एक
लम्बे दौर
का आतंक
अत्याचार
भ्रष्टाचार

धीरे धीरे
चुपचाप
गुमसुम
बना देता है

हिलता
रहता मौन

अंदर से
सिमटते
सिमटते

अपने
को ठोस
बना देता है
मजबूत
बना देता है

ऎसे
मौन की
आवाज

कोई
ऎसे ही

कैसे
सुन सकता है

वो
जो ना
बोल सकता है

ना कुछ
कह सकता है

ऎसे
सारे मौन
व्यक्त
कर चुके हैं

अपने अपने
आक्रोश

बना चुके हैं
एक कोश

किसने
क्या कहा
किसने
क्या सुना
कोई नहीं
जान पायेगा

पर
हरेक
का मौन

एक होकर
अपनी बात

सबको
एक साथ
चिल्ला चिल्ला
के सुनायेगा

आतंकियों
भ्रष्टाचारियों
अत्याचारियों को

पता है
मौन की बात

अब ये
सारे लोग

खुद
आतंकित
होते चले जायेंगे

मौन
ने बोये हैं
जो बीज
इस बीच

प्रस्फुटित होंगे

बस
इंतजार है
कुछ और
दिनो का

धीरे धीरे
सारे मौन
खिलते
चले जायेंगे

किसका
कौन सा
मौन रहा होगा

कोई कैसे
जान पायेगा

जब
सब से
एक सा
एक साथ
प्रत्युत्तर पायेगा

खिलेगा
मौन का फूल

महकेगा

आतंक
अत्याचार
व्यभिचार
भ्रष्टाचार
की जमीन पर

ठीक
उसी कमल
की तरह

जिसे
कीचड़ में
भी खिलना
मंजूर होता है

मौन
मुखरित होगा

मौन
सुनेगा
मौन के गीत

मौन गायेगा
मौन मुस्कुरायेगा ।