उलूक टाइम्स

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

मुख्य पृष्ठ का मुख्य समाचार हल्द्वानी शहर में घुसा तेंदुआ कह रहा है आज हर अखबार

अखबारों ने सारे
आज मुख्य पृष्ठ पर
जंगल का तेंदुआ
शहर के बीच
में घुसा हुआ
एक दिखाया
जंगल के ठेकेदारों
को बुलवा कर
पिंजरे में उस
बेचारे को
जबरदस्ती कर
फिर फंसवाया
लिखा था
फिर से जंगल में
लेजाकर
छोड़ दिया जायेगा
बहुत सारे
तेंदुओं से
मिल लिया है
यहाँ आकर
दुबारा से
हिम्मत करके भी
यहाँ कभी ही
शायद आयेगा
उसे कहाँ पता था
जंगल के तेंदुऎ
धोखेबाजी करके
यहाँ रोज ही
फसाये जाते हैं
शहर में भी
तो हैं तेंदुऎ
जो रोज अखबार
में दिखाये जाते हैं
पर तेंदुऎं है
करके कभी
बताये तक
नहीं जाते हैं
पिंजरे उनके लिये
कहीं भी कभी भी
नहीं लगाये जाते हैं
शिकार घेर घेर कर
उनके लिये ले जाये
जरूर जाते हैं
कुछ बेवकूफ खुद
बा खुद उनकी
माँद में जा कर
घुस जाते हैं
शिकार हो जाते हैं
और मुस्कुराते हैं
कुछ इलाके
कुछ तेंदुओं
के लिये
छोड़ दिये
जाते हैं
एक इलाके
के तेंदुऎ
दूसरे के इलाके
की तरफ आँख
भी नहीं उठाते हैं
सारे तेंदुऎ
नोचते हैं
भरे हुए पेटों से
जो कुछ भी
नोच पाते हैं
खुले आम
शहर के बीच
सड़क
चलती जनता
को भी वो
जरूर ही
नजर आते हैं
नोच खसोट करते
हुऎ ये सारे तेंदुऎ
अखबार में भी
दिखाये जाते हैं
पर ये भी तेंदुऎ हैं
करके कभी भी
किसी को बताये
तक नहीं जाते हैं ।

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

पञ्चतन्त्र में सुधार: कूदना छोड़ उड़ना सीख मेंढक

समुद्री जीव 
आक्टोपस
बना दिया गया एक कुऎं का राजा

मिलने जा पहुँचा 
मेंढकों से
जब सबने उससे बोला 
एक बार तो यहां आजा

कतार में खडे़ मेंढक
एक एक 
कर
अपना 
परिचय उसे देते ही जा रहे थे

कुछ
कुऎं ही में 
रहे हुऎ थे हमेशा
कुछ
अंदर बाहर 
भी
कभी कभी 
आ जा रहे थे

अपनी अपनी 
जीभों की लम्बाई
बता बता कर इतरा रहे थे
किस किस तरह के 
कीडे़ मकौडे़ मच्छर
वो कैसे कैसे खा रहे थे

महाराज लेकिन 
ये सब
कहाँ 
सुनने जा रहे थे

व्हेल एक 
पाल क्यों नहीं लेते
सब मेंढक मिल बाट कर
अच्छी तरह समझाये जा रहे थे

साथ में बता रहे थे
जिस समुद्र को
वो 
यहाँ के राज पाट के लिये
छोड़ 
के आ रहे थे

वहाँ
एक हजार 
समुद्री व्हेलों को 
खुद पाल के आ रहे थे

सारे समुद्र के 
समुद्री जन
व्हेल का तेल ही तेल बना रहे थे

कीडे़ मकौडे़ नहीं 
बड़ी मछली का मांस भी
साथ में खा रहे थे

वहाँ की
तरक्की का 
ये उपक्रम
वो मेंढकों 
से कुऎं में भी 
करवाना चाह रहे थे

मेंढक
शर्मा शर्मी 
हाँ में हाँ मिला रहे थे

मन ही मन
अपने 
कूदने की लम्बाई भी
भूलते जा रहे थे

बेचारों को
याद भी 
नहीं रह पा रहा था
कि
नम्बर एक और 
नम्बर दो करने भी 
अभी तक वो लोग
खेतों की ओर ही तो जा रहे थे

कितने कुऎं से 
बना होता होगा 
वो समुद्र
जहाँ 
से उनके राजा जी यहाँ आ रहे थे

कुंद हो रही थी 
बुद्धि अब 

सोच रहे थे
कुछ सोच भी क्योंं नहींं
 पा रहे थे ।

चित्र साभार: 
https://in.pinterest.com/

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

क्षमा विष्णु शर्मा : संशोधन पञ्चतन्त्र के लिये


कल
की दावत में 
बस लोमड़ी दिखी थाली के साथ

पर
नजर नहीं आया 
कहीं बगुला अपनी सुराही के साथ 

विष्णु शर्मा 
तुम्हारा पञ्चतन्त्र 
इस जमाने में पता नहीं क्यों 
थोड़ा सा कहीं पर कतरा रहा है 

पैंतरे 
दिखा दिखा कर के नये 
नये छेदों से पता नहीं 
कहाँ से कहाँ घुस जा रहा है 

कुछ दिनों से 
क्योंकि
लोमड़ी और बगुला साथ नजर आ रहे हैं 

दावत में 
एक दूसरे को अपने अपने
घर भी नहीं बुला रहे हैं 

किसी तीसरी जगह 
साथ साथ दोनो अपनी उपस्थिति 
जरूर दर्ज करा रहे हैं 

लोमड़ी
अपनी थाली ले कर चली आ रही है 

बगुला भी 
सुराही दबाये बगल में 
दिख जा रहा है 

ना बगुला 
अपनी सुराही 
लोमड़ी की तरफ बढ़ाता है 

ना ही लोमड़ी
बगुले को 
थाली में खाने के लिये बुलाती है 

पर मजे की बात है 
दोनो ही मोटे होते जा रहे हैं 

दोनो ही 
कुछ ना कुछ लेकिन जरूर खा रहे हैं 

बहुत 
समझदार 
हो गये हैं सारे जानवर जंगल के 

विष्णु शर्मा जी 
फिर से आ जाओ 
नया पञ्चतन्त्र लिखो और देख लो 

जंगल राज 
कैसे जंगल से 
आदमी में घुस के आ गया है 

और 
जानवर 
आदमी बन के आदमी के अंदर 
पूरा का पूरा छा गया है । 

चित्र साभार: https://hubpages.com/

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

मदारी छोड़ रहा है का राग क्यों गा रहा है नया सीख कर क्यों नहीं आ जा रहा है


बहुत से मदारी
ताजिंदगी
एक 
ही बंदर से काम चलाते हैं

इसीलिये
जमाने की दौड़ में बस
यूँ ही पिछड़ते चले जाते हैं

मेरा मदारी 
भी सुना है
अब समझदारी 
कहीं से सीख के आ रहा है

कहते सुना 
मैने उसे
अब 
मेरे नाच में मजा नहीं आ रहा है
वो एक नये बंदर को ट्रेनिंग देने
चुपचाप 
कहीं कहीं कभी कभी आ जा रहा है

जंजीर और 
रस्सियों को
करने वाला वो दरकिनार है
जमाना कब से 
वाई फाई का हुआ जा रहा है
उसकी अक्ल में
अब ये बहुत अच्छी तरह से घुस पा रहा है

रस्सी से तो 
एक समय में 
एक ही बंदर को नचाया जा रहा है
बंदर भी दिख जा रहा है
रस्सी को भी वो छुपा नहीं पा रहा है

 ई-दुनियाँ में 
देखिये
कितना 
मजा आ रहा है
सब कुछ पर्दे के पीछे से ही चलाया जा रहा है

बंदर और मदारी
दोनो का एक साथ दीदार हुआ जा रहा है

लेकिन
किसने 
मदारी बदल दिया
और
किसके पास 
नया बंदर आ रहा है
इसका अंदाज कोई भी नहीं लगा पा रहा है

इन
सब के बीच
गौर करियेगा जरा

मेरा
सीखा 
सिखाया हुआ नाच
कितनी बेदर्दी से डुबोया जा रहा है

दिमाग वालों को कम
देखने वालों को ज्यादा
बारीकी से 
ये सब
समझ में 
आ जा रहा है ।

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

भगवान ले झेल आर टी आई

ओ ऊपर वाले
तूने लोग बनाये
सब के सब
अपने ही जैसे
जैसा तू है
पर कुछ
थोड़े से लोग
लेकिन तूने
मेरे जैसे
फिर काहे
को बनाये
क्या ये है
किसी तरह
का सम्मान
अब रेल
भी तेरी
पटरी भी
तो तेरी
अगर हो
जाये कोई
दुर्घटना
उसे तू मेरी
ही समझना
भगवान तेरी
क्राईस्ट और
अल्लाह के
साथ कोई
किसी तरह
की तकरार
ना ही दिखी
कभी निकलती
हुई तुम लोगों
के बीच में
कोई तलवार
क्योंकि इस
तरह की
कोई भी
खबर कहीं
नहीं देता
दिखा कोई
भी अखबार
भगवान तेरे
यहां कौन
सा अखबार
निकलता है
और तेरे
यहाँ के अखबार
में कौन से
भगवान की
खबर रोज
के रोज
छापी जाती है
तुझे पता है
नहीं पता है
तो पता कर
कुछ छपने छपाने
की टिप्स
हम लोगों को
भी कभी कभी
दे दिया कर
भगवान लेकिन
तू किसी भी
प्रश्न का जवाब
नहीं दे पायेगा
आर टी आई का
जवाब पूछने
के लिये
तू अपने ही
आदमी के
पास जायेगा
अखबार वाला
फिर मजाक
हम जैसों की
जरूर उड़ायेगा
कल के अखबार
की मुख्य खबर
में भगवान ही
बस एक सेक्यूलर
हुआ करता है
नजर आयेगा ।