उलूक टाइम्स

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

नदी में लगी आग और मछलियों की मटरगश्ती

नदी में आग
लगी हुई है
और मछलियाँ
पेड़ पर चढ़ कर
सोई हुई हैं

अब आप कहेंगे
नदी में किसने
आग लगाई
मछलियाँ पेड़ पर 

किसने चढ़ाई

अरे इतना भी नहीं
अगर जानते हो
तो इधर उधर
लिखे लिखाये को
छलनी हाथ में
लेकर क्यों छानते हो

होना वही होता है
जो राम ने रचा
हुआ होता है

राम कौन है
पूछने से पहले
सोच लेना होता है
रहना होता है या
नहीं रहना होता है

राम को तो
माननीय
कुरैशी जी
तक जानते हैं
और जो राम को
नहीं जानते हैं
उनको वो बहुत ही
बदनसीब मानते हैं

अब ये नहीं कहना
मुझको नहीं पता है
अखबार में मुख्य पृष्ठ
पर उनका ऐसा ही
कुछ वक्तव्य छपा है

उनका हर हितैशी
उस अखबार के
पन्ने को फ्रेम करवा
कर मंदिर की दीवार
में मढ़ रहा है
जिनको पता है
देवों की धरती पर
राम का जहाज
उतरवाने का कोई
जुगाड़ कर रहा है

राम तो ऊपर से
नीचे को आना
भी शुरु हो गये है
पर तबादले की
खबर सुनकर
भद्रजन ठीक समय
पर सड़कों को छोड़
पैदल सड़कों पर
चलना शुरु कर गये हैं

ऐन मौके पर राम के
जहाज के पैट्रोल का
पैसा देने वाले
मुकर गये हैं
राम भी सुना है
देवभूमी की ओर
आने के बजाये
पूरब की ओर
जाना शुरु हो गये हैं

कुछ भी हो
जब से आये हैं
पालने राज्य को
राम राम करते करते
राममय हो गये हैं

आते आते तो
किये ही कई काम
कई काम जाते जाते
भी जाने से पहले
की तारीखें लिख
कर कर गये हैं

कुछ छप्पर वालों
को छप्पर फाड़
कर दे गये हैं
कुछ पक्की
छत के मकान
छ्प्पर लगवाने
लायक भी नहीं
रह गये हैं

उन्ही की कृपा है
दो चार गधे घोड़े
की बिरादरी में
शामिल हो गये हैं
और दो चार घोड़े
गधों में मिलाने
के काबिल हो गये हैं

उनके आने पर
कौन कितना
खुश हुआ है और
उनके जाने पर
किस को कितना
दुख: हुआ है
जो है सो है
होनी को तो होना है
आप को लेकिन
परेशान नहीं होना है
पानी में लगी आग से
पानी का कुछ
नहीं होना है

और मछलियाँ
तो मछलियाँ है
कहीं भी चली जायेंगी

आज पेड़ पर
चढ़ी दिख रही है
कल को आसमान
में उड़ जायेंगी
तेरे को तेरे घर में
और मेरे को
मेरे घर में ही
बस रोना है ।

चित्र साभार: www.bigstockphoto.co

सोमवार, 5 जनवरी 2015

चूहे मारने वाली बिल्लियों को कुत्तों की देखभाल करने के काम दिये जाते हैं

एक नहीं कई जगहों पर
कोयले मोहर लगाते हैं
सब कुछ काला काला
हो जाता है फिर भी
कव्वे शोर नहीं मचाते हैं
हीरे बहुत से होते हैं
कोयलों के बीच से ही
कोयलों में से ही कुछ
दब दबा कर
बन बना जाते हैं
यहाँ कोयले कहने से
मतलब उड़ती काली
चीज से मत
निकाल बैठियेगा
वो बात अलग है
कोयला जला के
काला हुआ पदार्थ
कोयल से भी
बनाया जा सकता है
जब कोयल को हम
आग में जलाते हैं
बात कोयले के मोहर
लगाने से शुरु हुई थी
भटक गई उड़ती
चिड़िया के पंखों की
फड़फड़ाहट में
घबराने की बात नहीं है
घबराने वाले ही
असली जगह पर
हीरों को कोयलों से
कम आँके जाने का
हिसाब किताब बना
कर सिखाते हैं
कोई भी दो आँखों वाला
आँखों को कष्ट नहीं देता है
हर सजावट की जगह पर
हीरे नहीं आने दिये जाते हैं
राज काज राजा को
ही चलाना होता है
समझदार लोग भी
राजकाज में मदद
करने के लिये आते हैं
काम दिया जाने से पहले
जरूरी होता है बताना
अपने काम करने
की अच्छाईयों को
दूध देने वाली गायों को
बकरी कटने वाले
कारखाने के रास्ते
पर दौड़ाते हैं
सीख लेते हैं
इस कलाकारी
को जो भी कलाकार
दीवार पर लगी सीढ़ी में
बहुत ऊपर तक
चढ़े नजर आते हैं
जिसको आता है
दीवार पर चूना लगाना
सीढ़ी पकड़े उसे गिरने से
रोकते हुऐ नजर आते हैं ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com

रविवार, 4 जनवरी 2015

है तो अच्छा है नहीं है तो बहुत अच्छा है


नया कहने के लिये उठ लिया जाये 
अच्छा है 
रहने दें नींद ही में रह लिया जाये 
तो भी अच्छा है 

खयाल के
खाली चावलों को बीनते बीनते नींद आ जाती है 
थोड़ा खयाली पुलाव पका लिया जाये 
अच्छा है 

उनको आता है खयाल के घोड़े दौड़ाना 
अपना गधा भी कम नहीं है 
गधा है फिर भी अच्छा है 

पाँच के दस के और बीस के नोट 
बहुत पुराने हैं मगर अच्छे हैं 
पंद्रह पच्चीस के भी आ जायें छप कर
और अच्छा है 

उसकी बारूद की टोकरी की खबर उसने दी 
अच्छा है 
इसने फोड़ कर उसके सिर में 
पीठ थपथपा ली अपनी 
बहुत अच्छा है 

इसका दिल है धड़कता है 
ये भी अच्छा है 
उसका दिल है धड़कता है 
वो भी अच्छा है 

अच्छी बात करना सबसे अच्छा है 
अच्छा दिन है अच्छी रात है 
बहुत अच्छा है 

अच्छी खबरें है अच्छी बात हैं 
जो है सो है बहुत अच्छा है 

और फिर से नया कहने के लिये 
उठ लिया जाये अच्छा है 
रहने दें नींद ही में रह लिया जाये 
और अच्छा है । 

चित्र साभार: www.christart.com

शनिवार, 3 जनवरी 2015

नया साल नई दुल्हन चाँद और सूरज अपनी जगह पर वही पुराने

जुम्मा जुम्मा
ले दे के
खीँच खाँच के
हो गये
तीन दिन
नई दुल्हन के
नये नये
नखरे
जैसे मेंहदी
लगे पाँव
दूध से
धुले हुऐ
अब तेज भी
कैसे चलें
पीछे से
पुराने दिन
खींचते हुऐ
अपनी तरफ
जैसे कर रहे हों
चाल को
और भी धीमा
कोई क्या करे
जहाँ रास्ते को
चलना होता है
चलने वाले को
तो बस खड़े
होना होता है
वहम खुद के
चलने का
पालते हुऐ
तीन के तीस
होते होते
मेंहदी उतर
जाती है
कोई पीछे
खींचने वाला
नहीं होता है
चाल
अपने आप
ढीली
हो जाती है
तीन सौ पैंसठ
होते होते
आ गया
नया साल
जैसे नई दुल्हन
एक आने
को तैयार
हो जाती है
चलने वाले को
लगने लगता है
पहुँच गया
मंजिल पर
और
आँखे कुछ
खोजते हुऐ
आगे कहीं
दूर जा कर
ठहर जाती हैं
कम नहीं
लगता अपना
ही देखना
किसी चील
या
गिद्ध के
देखने से
वो बात
अलग है
धागा सूईं
में डालने
के लिये
पहनना
पड़ता हो
माँग कर
पड़ोसी से
आँख का चश्मा
कुछ भी हो
दुनियाँ चलती
रहनी है
पूर्वाग्रहों
से ग्रसित
‘उलूक’
तेरा कुछ
नहीं हो सकता
तेरे को शायद
सपने में भी
नहीं दिखे
कभी
कुछ अच्छा
दिनों की
बात रहने दे
सोचना छोड़
क्यों नहीं देता
अच्छा होता है
कभी चलते
रास्तों से
अलग होकर
ठहर
कर देखना
चलता हुआ
सब कुछ
साल गुजरते
चले जाते हैं
नये सालों
के बाद
एक नये
साल से
गुजरते
गुजरते ।

चित्र साभार: galleryhip.com

शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

मजबूत बंधन के लिये गठबंधन की दरकार होती है


कठिन नहीं बहुत आसान होता है
बंधन बहुत छोटा 
और गठबंधन आसमान होता है 

गठबंधन नहीं होता है जहाँ 
अंदर अंदर ही घमासान होता है

बंधन होने से कहीं भी 
बंधने वाला बहुत परेशान होता है 
मोटी रस्सी में बंधी छटपटाती 
एक छोटी सी जान होता है

गठबंधन होने से 
सभी का जीना आसान होता है
कई जिस्म होते हैं कई जाने होती हैं 
पता कहाँ चलता है कहाँ दीन कहाँ ईमान होता है 

भूल जाता है हमेशा 
घर में भी तो होता है और यही होता है 
आज से नहीं कई जन्मों से होता है

माँ का बाप से बच्चों का माँ बाप से 
पति का पत्नी से होता है 

बंधन से शुरु होता है 
चलता है बहुत धीमे धीमे 
गठबंधन होते ही वही सब कुछ 
दौड़ने के लिये तैयार होता है 

क्या होता है अगर धर्म का धर्म से नहीं होता है 
दिखाये भी कोई दिखावे के लिये 
तब भी बहुत कमजोर होता है 

क्या होता है अगर अधर्म का अधर्म से होता है 
और बहुत मजबूत होता है 

कैसा होगा 
पहले से कहाँ महसूस होता है 

शादी होने के बाद देखा जाये अगर 
ज्यादातर शुरु होता है 

बंधन होने से ही कुछ नहीं होता है 
जब तक गठबंधन नहीं होता है 

फिर गठबंधन से एक सरकार बनती 
देख कर ‘उलूक’ क्यों तुझे कंफ्यूजन होता है 

गठबंधन के लिये दिया गया जनादेश 
नीचे से नहीं कहीं उपर से 
दिये आदेश का प्रकार होता है 

ईश्वर और अल्लाह की 
एक नहीं कई बैठकों के बाद निकला 
सरकार बनाने का आदेश 
सबसे जानदार होता है

ऊपर की बड़ी बातों को 
छोटी नजर से देखने वाले का 
मुहँ काला और नजरिया बेकार होता है 

बंधन हमेशा कमजोर और गठबंधन
हमेशा 
जोरदार होता है ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com