उलूक टाइम्स

शनिवार, 31 जनवरी 2015

एक को चूहा बता कर हजार बिल्लियों ने उसे मारने से पहले बहुत जोर का हल्ला करना है


बाअदब
बामुलाहिजा
होशियार

बाकी
सब कुछ
तो ठीक है
अपनी अपनी
जगह पर

तुम एक
छोटी
सी बात
हमको भी
बताओ यार

शेर के खोल
पहन कर
कब तक करोगे
असली शेरों
का शिकार

सबसे
मनवा
लिया है
सब ने मान
भी लिया है
कबूल कर
लिया है

सारे के सारे
इधर के भी
उधर के भी
हमारे और
तुम्हारे
तुम जैसे

जहाँ कहीं
पर जो भी
जैसे भी हो
शेर ही हो

उसको
भी पता है
जिसको
घिर घिरा
कर तुम
लोगों के
हाथों
बातों के
युद्ध में
मरना है

मुस्कुराते हुऐ
तुम्हारे सामने
से खड़ा है

गिरा भी लोगे
तुम सब मिल
कर उसको

क्योंकि एक के
साथ एक के युद्ध
करने की सोचना
ही बेवकूफी
से भरा है

अब बस एक
छोटा सा काम
ही रह गया है

एक चूहे को
खलास करने
के लिये ही

सैकड़ों
तुम जैसी
बिल्लियों को
कोने कोने से
उमड़ना है

लगे रहो
लगा लो जोर

कहावत भी है
वही होता है जो
राम जी को
पता होता है

जो करना
होता है
वो सब
राम जी ने ही
करना होता है

राम जी भी
तस्वीरों में तक
इन दिनों कहाँ
पाये जाते हैं

तुम्हारे
ही किसी
हनुमान जी
की जेबों
में से ही
उन्होने भी
जगह जगह
अपना झंडा
ऊँचा करना है

वो भी बस
चुनाव तक

उसके बाद
राम जी कहाँ
हनुमान जी कहाँ

दोनो को ही
मिलकर
एक दूसरे
के लिये
एक दूसरे के
हाथों में
हाथ लिये

विदेश
का दौरा
साल
दर साल
हर साल
करना है ।

चित्र साभार: www.bikesarena.com

शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

बापू इस पुण्यतिथी पर आप ही कुछ नया कर लीजिये

बापू अब तो
कुछ नया
कर लीजिये
बहुत पुरानी
हो गई
धोती आपकी
नई डिजायन
कर करवा कर
डिजायनर
कर लीजिये
इतना गरीब
भी नहीं रहा
अब देश कि
आप धोती से
ही बदन
छुपाते रहें
आठ दस लाख
की सिल्क धोती
कम से  कम
पहन कर
जनता के
सामने आने
की अपनी
आदत कर लीजिये
जन्मदिन के तोहफे
जन्मदिन पर फिर
सुझा देंगे आपको
अभी बहुत दिन हैं
पुण्यतिथी पर
पहनियेगा नहीं भी
कोई बात नहीं
खरीद कर
बिकवाने की बात
ही कर लीजिये
गुजरात की या
हिंदुस्तान की सफेद
धोती हो ये भी
जरूरी नहीं
कौन पूछ रहा है
ग्लोबलाइजेशन
का फंडा सिखा
कर लंदन से ही
आयात कर लीजिये
हमने तो ना
आप को देखा बापू
ना ही आपकी
धोती को कभी
कहीं नजर तो
आइये कभी
धोती हाथ में
लेकर ही सही
आमना सामना
तो कर लीजिये
आदत हो गई है
‘उलूक’ को अब
झूठ के साथ
सफल प्रयोग
कर लेने की
कुछ हमें कर
लेने दीजिये नया
नये जमाने की
नयी चोरियाँ
आप बस फोटो में
बने रहने की
अपनी आदत अब
पक्की कर लीजिये ।

चित्र साभार: shreyansjain100.blogspot.com

बुधवार, 28 जनवरी 2015

उसके आने और उसके जाने का फर्क नजर आ रहा है

सात समुंदर पार
से आकर
वो आईना
दिखा रहा है
धर्म के नाम पर
बंट रहे हो
बता रहा है
पता किसी
को भी नहीं था
वो बस इतना
और इतना ही
बताने के लिये
तो आ रहा है
धूम धड़ाम से
फट रहे हों
पठाके खुशी के
कोई खुशफहमी
की फूलझड़ी
जला रहा है
दिल खोल के
खड़े हैं राम भक्त
पढ़ रहे हैं साथ में
हनुमान चालिसा भी
हनुमान अपने को
बता कर कोई
मोमबत्तियाँ
बाँट कर
जा रहा है
एक अरब
से ज्यादा
के ऊपर थोपा
गया मेहमान
मुँह चिढ़ा कर
सामने सामने
धन्यवाद
हिंदी में
बोल कर
जा रहा है
अपनी अपनी
सोच और
अपनी अपनी
समझ है यारो
तुम लोगों का
अमेरिका होगा
’उलूक’ को
दूसरा पाकिस्तान
नजर आ रहा है
कुछ नहीं हो
सकता आजाद
होने के बाद
आजादी का
नाजायज फायदा
एक गुलाम और
उसका बाप
उठा रहा है
विवेकानंद भी
हंस रहा है
ऊपर कहीं
सुना है
मेरे भाई बंधुओ
जनता से
कहने का
नुकसान उसे
आज समझ मे
आ रहा है ।
चित्र साभार: http://www.canstockphoto.com/

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

गुलामी से आजादी तक का सवाल आजादी से आजादी तक हर तरफ उत्तर प्रश्नो का अकाल

कुछ अलग
ही अहसास
आज का
विशेष दिन

कुछ आजाद
आजाद से
हो रहे हों जैसे
सुबह सुबह से ही कुछ खयाल

उत्पाती बंदरों
का पता नहीं
कहीं दूर दूर तक

रोज की तरह
आज नहीं पहुँचे
घर पर करने

हमेशा की
तरह के
आम आदमी
की आदत में
शामिल हो चुके धमाल

शहर के स्कूल
के बच्चों की
जनहित याचिका
बँदरो के खिलाफ

असर दो दिन में
न्यायाधीश भी
बिना सोचे
बिना समझे
कर गया हो जैसे ये एक कमाल

दिन आजाद
गणों के तंत्र की
आजादी के
जश्न का

जानवर भी
हो गया
समझदार

दे गया
उदाहरण
इस बात का
करके गाँधीगिरी
और नहीं करके
एक दिन के लिये कोई बबाल

साँप सपेरों
जादूगरों
तंत्र मंत्र के
देश के गुलाम

आजादी के
दीवानों को ही
होगा सच में पता

बंद रेखा के
उस पार से
खुली हवा में
आना इस पार

जानवर से
हो जाना ग़ण
और मंत्र का
बदलना तंत्र में
और आजाद देश
मे आजाद ‘उलूक’ एक बेखयाल

उसके लिये
आजादी का
मतलब

बेगानी शादी और
दीवाना अब्दुल्ला हर एक नये साल

एक ही दाल
धनिये के
पीले पत्तों
को सूँघ कर
देख लेना होते हुऐ
हर तरफ माल और हर कोई मालामाल

बंदों का वंदे मातरम
तब से अब और
बंदरों का सवाल
तब के और अब के

समझदार को
इशारा काफी
बेवकूफों के लिये
कुर्सियाँ सँभाल

वंदे मातरम से
शुरु कर
घर की माँ को
धक्के मार कर घर से बाहर निकाल ।

चित्र साभार: nwabihan.blogspot.com

रविवार, 25 जनवरी 2015

सोनी और मोनी की है जोड़ी अजीब सजनी अमीर साजन गरीब

मित्रता समपन्न
और विपन्न
के बीच में

चर्चा
जोर शोर की
खबरें आने की
अमीर की
महीने भर की

खबरें जाने की
अमीर की
फिर महीने भर तक

गरीब की झोपड़ी में
गरीबी का उजाला
स्वाभिमानी
कुछ नहीं माँगता
अपने लिये
सम्मानित कर
तो दिया
उसने आकर
कदम से कदम
मिला कर
मातृभाषा से बात
शुरु कर दिल
दिमाग और मन
तक खरीद डाला

जमाना भी
सिखा रहा है
रिश्तों की नई
परिभाषा गढ़ना
अपने घर के
तोड़ कर पड़ोसी
के घर के लिये
बुन लेना सुंदर
फूलों की माला

बातें होना
बातों में
मिठास होना
चेहरे होना
चेहरों पर
मुस्कान होना

बातें सुन सुन कर
बातें समझने
की आदत
बातों बातों में
ही हो लेना

कई जमाने से
कुछ नहीं होते रहने
की आदत को फिर से
कुछ होने की आहटों
में ही डुबो डाला

करामाती अमीरजादों
के राजकुमार के
आने की खुशी में
गरीबजादों के
गरीबखाने की गरीबी
को कितनी आसानी से
चुटकी में चाशनी चाशनी
में डुबो डुबो कर
मिठास से धो डाला

लेते रहिये स्वाद
जीभ में आज कल
परसों और
बरसों के लिये

इंतजार के साथ
चाकलेटी ख्वाबों का
आने वाला है जल्दी ही
हर हाथ में पंद्रह लाख
के बाद का करोड़पति
स्वादिष्ट निवाला ।

चित्र साभार:
www.dailymail.co.uk