उलूक टाइम्स

रविवार, 8 मार्च 2015

महिला के लिये कुछ करना नहीं है उसका दिन ही बस एक मना लेते

दिन डूबते चाय
की तलब लगी
और आदतन
मुँह से निकल बैठा
आज चाय
नहीं बनेगी क्या
उत्तर मिला
आज महिला दिवस है
आज तुम ही
क्यों नहीं बना देते
एक कप खुद पी लेते
एक हमें भी पिला देते
एक दिन ही सही
हम भी अपना
कुछ मना लेते
पूरे साल भर
कुछ करने के लिये
कुछ नहीं कहा गया है
एक दिन दिखाने
के लिये ही सही
फोटो सोटो कुछ
खिचवा लेते
सालों साल से
लगी हुई हैं माँऐं
बहने बीबियाँ
तराशने में
कुछ ना कुछ
एक दिन थोड़ा
कुछ कर करा कर
अपना बिगुल
क्यों नहीं
बजवा लेते
सीखने सिखाने
के लिये बहुत
से बाजीगर
मिल जायेंगे
अपने ही
आस पास तुमको
अपने घर
को छोड़ कर
किस और
के बगीचे में
कुछ फूल पत्तियाँ
ही सजवा लेते
महिला दिवस
मनाने के लिये
महिलाओं को
शामिल किया जाये
ये किसी कानून
में नहीं लिखा है
कुछ आदमी
जमा कर के
कुछ केक सेक
कटवा लेते
ढिंढोरा पीटने को
खड़ी रहती ही सेना
तुम्हारे छींकने का
ढिंढोरा पीटने के लिये
छीँकना भी इसके
लिये जरूरी नहीं
दूर से ही सही
अपनी घर की
महिला के लिये
प्रेस काँफ्रेंस कर एक
सफेद रुमाल
बस हिला कर
महिला दिवस ही
आज मना लेते ।


चित्र साभार: www.clipartpanda.com

शनिवार, 7 मार्च 2015

मुझे ही लगा या तुझे भी कुछ महसूस हुआ

किसी ने गौर
भी नहीं किया
मीडिया भी
चुप चाप रहा

हर बार इसकी
और उसकी
तलवार लेकर
वार करने की
फितरत वाला

इस बार की
होली में आखिर
क्यों कहीं
भी नहीं दिखा

होली में देश
नहीं होता है क्या
होली में प्रेम
नहीं होता है क्या

उसके चेहरे पर
किसी ने कोई रंग
आखिर
क्यों नहीं लिखा

ज्वलंत है प्रश्न
पर उत्तर कहीं भी
लिखा हुआ
नहीं बिका

ऐसा क्या बस
मुझे ही लगा
या किसी और ने भी
इस बात को सोचा

झाडू‌ तक उठा
ले गया था किसीका
रंग देख कर क्यों
और
कहाँ खिसक गया

हिंदू मुसलमान
सिख और ईसाई
को भूल गया

समझ में सच में
नहीं आ रहा है
कोई समझाये मुझे

क्या इसी बीच
कुछ दिनों
कश्मीर जाकर क्या

वो आदमी हो गया
रंगीन चेहरे बनाने
में माहिर रंग हीन
किसलिये हो गया ?

चित्र साभार: www.disneyclips.com


शुक्रवार, 6 मार्च 2015

होली हो ली मियाँ चलो आओ शुरु करते हैं खोदना फिर से अपना अपना कुआँ

होली हो ली मियाँ
चलो आओ
शुरु करते हैं
खोदना फिर से
अपना अपना कुआँ
अपनी अपनी समझ
की समझ है
अपनी अपनी
आग और
अपना ही
होता है धुआँ
जमाना बहुत
तरक्की पर है
अनदेखा
मत कीजिये
देखिये परखिये
अपनी अपनी
अक्ल से नापिये
कुत्तों की पूँछ
की लम्बाईयाँ
एक ही नस्ल
की अलग
मिलेगी यहाँ
और अलग
मिलेगी वहाँ
वो अपने कुत्ते
को होशियार
बतायेगा
मुझे अपने ही
कुत्ते पर
बहुत प्यार आयेगा
कुत्ता आखिर
कुत्ता ही होता है
ना वो समझ पायेगा
ना मेरी ही समझ
में ये आ पायेगा
सियार भी अब
टोलियों में
निकलते हैं कहाँ
कर जरूर रहे हैं
पर अकेले में
खुद अपने अपने
लिये हुआँ हुआँ
होली हो ली
इस साल की मियाँ
आगे के जुगाड़
पर लग जाओ
लगाओ आग कहीं
बनाओ कुछ धुआँ
मिलेगी जरूर
कोई पहचान
‘उलूक’ तुझे भी
और तेरी सोच को
कर तो सही
कुछ उसका जैसा
जिसे कर कर के
वो बैठा है आज
बहुत ऊपर वहाँ ।

चित्र साभार: funny-pictures.picphotos.net

गुरुवार, 5 मार्च 2015

होली की हार्दिक शुभकामनाऐं कहना मजबूरी हो गया है छुट्टी खुद लेकर अपने घर जा कर अपना त्योहार खुद ही मनायें कहना जरूरी हो गया है

इस बार
ही हुआ है
पहली बार
हुआ है

होली में होता
था हर साल
मेरे घर में
बहुत कुछ

इस बार कुछ
भी नहीं हुआ है
पोंगा पंडित
लगता है
कहीं गया हुआ है

पूजा पाठ होने
की खबर इस बार
हवा में नहीं
छोड़ गया है

दंगा होने के
भय का अंदेशा
भी नहीं हुआ है

खुले रहे हैं
रात भर घर
के दरवाजे
चोर और थानेदार
दोनों ने मिलकर
भाँग घोट कर
साथ मिल बाँट
कर पिया है

छुटियों का
अपना खाता
सबने खुद ही
प्रयोग कर लिया है
दुकान के खुलने
बंद होने के
दिनों को कागज ने
पूरा कर दिया है

होली पढ़ने पढा‌ने
की बस बात है
पढ़ने वाला अब
समझदार हो गया है

ऊँचाईयों को
छूने के लिये
जमीन से पाँव
उठाना बहुत
जरूरी हो गया है

होली में होता था
हर साल मेरे घर
में बहुत कुछ
इस बार कुछ भी
नहीं हुआ है
किसी से नहीं
कहना है
बुरा ना मानो होली है
‘उलूक’ ने ऐसा वैसा
हमेशा का जैसा ही
कुछ कह दिया है ।

चित्र साभार: www.imagesbuddy.com

बुधवार, 4 मार्च 2015

रंग बहुत हो गये इधर उधर रहने दे इस बार मत उड़ा बस रंग बिरंगे चुटकुले कुछ रोज सुना

रंग भरिये प्रतियोगिता 
राजा और रानी
राजकुमार और
राजकुमारी
चंपकवन और
खरगोश
शेर लोमड़ी
जंगल पेड़ पौंधे
और कुछ
खानाबदोश
कितना कुछ
है सतरंगी
चल शुरु हो जा
खोज और
कुछ नया खोज
बाहर निकल
बीमार मन
की कमजोर
दीवारों को
मत खोद
बना कोई
मजबूत लेप
सादा सफेद
गीत भी गा
अपने फटे हुऐ
गले और
राग तरन्नुम
को मत देख
मुस्कुरा
बेनूर हंसी
को छिपाने के
प्रयास में होंठों
को मत हिला
जरा थोड़ा जोर
से तो बड़बड़ा
सुना है
इस बार भी
हमेशा के जैसा
रंगो का त्योहार
आ गया है
होली खेल
रंग बिरंगे
सपने देख
बेच सकता है
तो बेच
झूठ खरीद
सच में लपेट
और झूठ झूठ
में ही सही बेच
खुश रह
होली खेल
रंग उड़ा
रंगीन बातों
पर मत जा
अपनी फटी
धोती उठा
हजार करोड़ का
टल्ला लगा
इधर उधर
मत देख
गाना गा
बिना पिये
जमीन पर
लोट लगा
बहुत साल
खेल लिया
‘उलूक’
रंगो को मिला
मिला कर
रंग बिरंगी होली
कभी एक रंग
की भी खेल
किसी को
हरा लगा
किसी को
गेरुआ चिपका
बदल दे टोपी
इस बार सफेद
काली करवा
बहुत हो गया
बहुत हो गया
सफेद सफेद
झका झक सफेद
कर दे उलट फेर
नयी कर कुछ
नौटंकी
जी भर कर
चुटकुले सुना
दे दना दन
एक के बाद एक
पीटने के लिये
खड़ा है तालियाँ
डेढ़ सौ करोड़
का देश
बुरा सोच
बुरा कर
बुरा ना मानो
होली है
का ट्वीट
कर तुरंत
उसके बाद
एक संदेश ।
चित्र साभार: cliparts.co