tag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post3604718239866583208..comments2024-03-29T16:44:23.585+05:30Comments on उलूक टाइम्स: जमीन की सोच है फिर क्यों बार बार हवाबाजों में फंस जाता है सुशील कुमार जोशीhttp://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-244855450665691112019-03-02T18:16:13.419+05:302019-03-02T18:16:13.419+05:30जमीन
की बात
करने वाला
सोचते सोचते
एक दिन
खुद ...जमीन <br />की बात <br />करने वाला <br />सोचते सोचते <br />एक दिन <br />खुद ही <br />जमींदोज <br />हो जाता है ।<br />बहुत सुन्दर ...सार्थक...।<br />वाह!!!Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-32503276260630308822019-02-27T12:14:33.970+05:302019-02-27T12:14:33.970+05:30आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 0...<i><b> आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 02 मार्च 2019 को साझा की गई है.........<a href="https://mannkepaankhi.blogspot.com/" rel="nofollow"> https://mannkepaankhi.blogspot.com/ </a>पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-53522286789185047172013-12-03T20:09:19.282+05:302013-12-03T20:09:19.282+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।... आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।। रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-65700786049893883522013-12-03T19:19:12.670+05:302013-12-03T19:19:12.670+05:30एक अच्छी सोच है !एक अच्छी सोच है !देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-53115789069070613942013-12-03T19:07:45.752+05:302013-12-03T19:07:45.752+05:30बाज बाज आता नहीं, भरता रहे उड़ान |
नीचे कुछ भाता नह...बाज बाज आता नहीं, भरता रहे उड़ान |<br />नीचे कुछ भाता नहीं, खुद पर बड़ा गुमान |<br />खुद पर बड़ा गुमान, कहाँ उल्लू में दमखम |<br />लेता आँखें मीच, धूप की ऐसी चमचम |<br />पर गुरुत्व सिद्धांत, इक दूजे को खींचे |<br />रख धरती पर पैर, लौट आ प्यारे नीचे || <br /><br />लाजबाब कमेंट्स ...बधाई रविकर जी,,,धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-24293473306179667872013-12-03T12:27:49.177+05:302013-12-03T12:27:49.177+05:30दो विचारों का टकराव बहुत भयानक होता है
छोटी सी बा...दो विचारों का टकराव बहुत भयानक होता है <br />छोटी सी बात भी बेवजह तूल पकड़ लेती है … रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-90082348061111207092013-12-03T11:31:51.159+05:302013-12-03T11:31:51.159+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ ...आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक <a href="http://dineshkidillagi.blogspot.in/" rel="nofollow"> लिंक-लिक्खाड़ </a> पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-78571074203863883332013-12-03T11:30:04.755+05:302013-12-03T11:30:04.755+05:30अच्छा राजनीतिक तंज-
आभार भाई जी-
बाज बाज आता नहीं...अच्छा राजनीतिक तंज-<br />आभार भाई जी-<br /><br />बाज बाज आता नहीं, भरता रहे उड़ान |<br />नीचे कुछ भाता नहीं, खुद पर बड़ा गुमान |<br />खुद पर बड़ा गुमान, कहाँ उल्लू में दमखम |<br />लेता आँखें मीच, धूप की ऐसी चमचम |<br />पर गुरुत्व सिद्धांत, इक दूजे को खींचे |<br />रख धरती पर पैर, लौट आ प्यारे नीचे ||<br />रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-53990359364763208202013-12-03T11:18:02.029+05:302013-12-03T11:18:02.029+05:30सच बातों का क्या ? कुछ भी कर लीजिये ,कहीं भी क़र ली...सच बातों का क्या ? कुछ भी कर लीजिये ,कहीं भी क़र लीजिये ...सुन्दर कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.com