tag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post6013757136461818906..comments2024-03-28T12:31:21.611+05:30Comments on उलूक टाइम्स: फसल तो होती है किसान ध्यान दे जरूरी नहीं होता है सुशील कुमार जोशीhttp://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-60369274123389941912013-11-09T14:51:56.432+05:302013-11-09T14:51:56.432+05:30अर्थ पूर्ण भाव ...
शब्दों का ताना बाना ... लाजवाब...अर्थ पूर्ण भाव ... <br />शब्दों का ताना बाना ... लाजवाब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-24250270778520737012013-11-09T14:42:40.746+05:302013-11-09T14:42:40.746+05:30आभार !
रविकर की पड़े टिप्पणी
तो कविता पूरी होये ! ...आभार !<br />रविकर की पड़े टिप्पणी <br />तो कविता पूरी होये ! सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-79434518336874347572013-11-09T14:12:37.529+05:302013-11-09T14:12:37.529+05:30बहुत सुंदर.बहुत सुंदर. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-26439575911156620802013-11-09T11:21:56.450+05:302013-11-09T11:21:56.450+05:30बोये बिन उगते रहे, घास-पात लत झाड़ |
शब्द झाड़-झंकाड़...बोये बिन उगते रहे, घास-पात लत झाड़ |<br />शब्द झाड़-झंकाड़ भी, उगे कलेजा फाड़ |<br />उगे कलेजा फाड़, दहाड़े सिंह सरीखा |<br />यह टाइम्स उल्लूक, उजाले में ही चीखा |<br />साधुवाद हे मित्र, शब्द रोये तो रोये |<br />हँसे भाव नितराम, बीज मस्ती के बोये ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-1861181243280623262013-11-09T08:27:47.685+05:302013-11-09T08:27:47.685+05:30अच्छा बिम्ब है
कुकुरमुत्ते भी तो
उगाये नहीं जात...अच्छा बिम्ब है <br /><br />कुकुरमुत्ते भी तो <br />उगाये नहीं जाते हैं <br />उग आते हैं अपने आप <br />कब कहाँ उग जायें <br />किसी को भी <br />पता नहीं होता है <br />पर कुछ कुकुरमुत्ते <br />मशरूम हो जाते हैं <br /><br />शब्दों की फसल काटते हैं कुछ लोग <br /><br />और संसद में घुसके देश के लिए खतरा बन जाते हैं। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3149292534371733588.post-36199840369726874982013-11-09T04:50:20.057+05:302013-11-09T04:50:20.057+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार को (09-11-2013) <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2013/11/1424.html" rel="nofollow"> गंगे ! : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1424 "मयंक का कोना" </a> पर भी होगी!<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com