उलूक टाइम्स

मंगलवार, 28 नवंबर 2017

आचमन ही सही कभी कर ही लिया कर

कभी तो
छोटा सा
कुछ लिख
लिखा कर

बात खत्म
कर लिया कर


बहुत समझदार
होते हैं
समझने वाले

इतनी सी बात
रोज ना भी सही
कम से कम
किसी एक
मंगलवार के
दिन ही सही
समझ लिया कर

सब समझते हैं
समझने वाले

नहीं समझ में
आती है जो भी
बात समझ में

लिखता है
उसी को खुद
समझने के लिये
लिख लिख कर
एक नहीं बार बार

किसी दिन
कभी कोई
बीच में उलझी
ऐसी ही बातों के

अपनी
एक कोई
खुद की
समझी हुई
बात को भी
बार बार
नहीं भी सही
बस एक बार
ही कभी
लिख लिया कर

व्यंग लेख
आलेख
कविता छंद
बंद खुला तंज
जैसा भी लगे
लिखने के बाद
लिखा हुआ तुझे
खुद ही अपना
लिखे हुऐ के
शीर्षक के ऊपर
नीचे आगे पीछे
बड़े छोटे
आड़े तिरछे
शब्दों में
जड़ दिया कर

कलाकारों को
कलाकारी
कलाकार की
की गयी
अच्छी तरह
से समझ
में आती है

आड़ी तिरछी
छोटी
रेखाओं से
बड़ी बड़ी
कई बातें
हवा हवा में ही
कह दी जाती हैं

तू भी प्रयास
कर लिया कर
ज्यादा नहीं
कुछ दिन
अभ्यास कर
लिया कर

नहीं कर
सकता है
इतना सा
भी अगर

कुछ
आमदेव या
सामदेव का
भोगा अभ्यास
ही सही

का स्मरण ही
कर लिया कर

ये भी बस में
नहीं अगर तेरे
‘उलूक’

अपने
आँख नाख
कान सारे
उन सभी
के समान
कर लिया कर

इंद्रियाँ
बस में कर
अपनी पसन्द
की सारी
सभी चीजें

जिन्हें कूड़ेदान
से तक
उठा उठा कर
जमा कर प्रयोग
करनी आती हैं
दुर्गंध सड़न
खुश्बुऐं
होती होंगी
शायद
लगता है
देखकर
उस समय

जब दो तीन
चार लाईनों में
कृष्ण बन चुके
आदमी के लिये

हर जुबाँ से
एक पूरी गीता
लिखी हुई
हर दीवार
सड़क पेड़ पर
चिपकी हुई
बहुत दूर से
अंधों को तक
नजर आती है

तू भी
आचमन
ही सही
कर ही
लिया कर।

चित्र साभार: blogger