कुछ होता है
घने कोहरे के
पीछे से छुपा हुआ
नजर नहीं आने
का मतलब
कुछ नहीं होना
कभी भी नहीं होता है
कोहरा हटने के
बाद की तेज धूप
खोल देती है
सारे के सारे राज
एक ही साथ
पेड़ पौँधे नदी पहाड़
सब अपनी जगह पर
उसी तरह होते हैं
जैसा कोहरा लगने से
पहले हुआ करते हैं
कोहरे के होने
या ना होने से
उस चीज का होना
या ना होना
अभिव्यक्त नहीं होता है
जो कोहरे के इस पार
या उस पार होता है
कोहरे की आदत
हो जाने वाले के लिये
तेज धूप का होना
जरूर एक भ्रम होता है
चीजों का बहुत
नजदीक से बहुत
साफ साफ दिखना
ही सबसे बड़ा
एक वहम होता है ।
घने कोहरे के
पीछे से छुपा हुआ
नजर नहीं आने
का मतलब
कुछ नहीं होना
कभी भी नहीं होता है
कोहरा हटने के
बाद की तेज धूप
खोल देती है
सारे के सारे राज
एक ही साथ
पेड़ पौँधे नदी पहाड़
सब अपनी जगह पर
उसी तरह होते हैं
जैसा कोहरा लगने से
पहले हुआ करते हैं
कोहरे के होने
या ना होने से
उस चीज का होना
या ना होना
अभिव्यक्त नहीं होता है
जो कोहरे के इस पार
या उस पार होता है
कोहरे की आदत
हो जाने वाले के लिये
तेज धूप का होना
जरूर एक भ्रम होता है
चीजों का बहुत
नजदीक से बहुत
साफ साफ दिखना
ही सबसे बड़ा
एक वहम होता है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (27-05-2014) को "ग्रहण करूँगा शपथ" (चर्चा मंच-1625) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार शास्त्री जी इस सम्मान के लिये ।
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