कदम
रोक लेते हैं
आँसू भी
पोछ लेते हैं
तेरे पीछे नहीं
आ सकते हैं
पता होता है
आना चाहते हैं
मगर कहते कहते
कुछ अपने ही
रोक लेते हैं
जाना तो हमें भी है
किसी एक दिन के
किसी एक क्षण में
बस इसी सच को
झूठ समझ समझ कर
कुछ कुछ जी लेते हैं
यादें होती हैं कहीं
किसी कोने में
मन और दिल के
जानते बूझते
बिना कुछ ढकाये
पूरा का पूरा
ढका हुआ जैसा ही
सब समझ लेते हैं
कुछ दर्द होते है
बहुत बेरहम
बिछुड़ने के
अपनों से
हमेशा हमेशा
के लिये
बस इन्हीं
दर्दों के लिये
कभी भी कोई
दवा नहीं लेते हैं
सहने में
ही होते हैं
आभास उनके
बहुत पास होने के
दर्द होने की बात
कहते कहते भी
नहीं कहते हैं
कुछ आँसू इस
तरह के ठहरे हुऐ
हमेशा के लिये
कहीं रख लेते हैं
डबडबाते से
महसूस कर कर के
किसी भी कीमत पर
आँख से बाहर
बहने नहीं देते हैं
क्या करें
ऐ गमे दिल
कुछ गम
ना जीने
और
ना कहीं
मरने ही देते हैं
बहुत से परदे
कई नाटकों के
जिंदगी भर
के लिये ही
बस गिरे रहते हैं
जिनको उठाने
वाले ही हमारे
बीच से
पता नहीं कब
नाटक पूरा होने से
बस कुछ पहले ही
रुखसती ले लेते हैं ।
"750वाँ उलूक चिंतन: आज के 'ब्लाग बुलेटिन' पर"
रोक लेते हैं
आँसू भी
पोछ लेते हैं
तेरे पीछे नहीं
आ सकते हैं
पता होता है
आना चाहते हैं
मगर कहते कहते
कुछ अपने ही
रोक लेते हैं
जाना तो हमें भी है
किसी एक दिन के
किसी एक क्षण में
बस इसी सच को
झूठ समझ समझ कर
कुछ कुछ जी लेते हैं
यादें होती हैं कहीं
किसी कोने में
मन और दिल के
जानते बूझते
बिना कुछ ढकाये
पूरा का पूरा
ढका हुआ जैसा ही
सब समझ लेते हैं
कुछ दर्द होते है
बहुत बेरहम
बिछुड़ने के
अपनों से
हमेशा हमेशा
के लिये
बस इन्हीं
दर्दों के लिये
कभी भी कोई
दवा नहीं लेते हैं
सहने में
ही होते हैं
आभास उनके
बहुत पास होने के
दर्द होने की बात
कहते कहते भी
नहीं कहते हैं
कुछ आँसू इस
तरह के ठहरे हुऐ
हमेशा के लिये
कहीं रख लेते हैं
डबडबाते से
महसूस कर कर के
किसी भी कीमत पर
आँख से बाहर
बहने नहीं देते हैं
क्या करें
ऐ गमे दिल
कुछ गम
ना जीने
और
ना कहीं
मरने ही देते हैं
बहुत से परदे
कई नाटकों के
जिंदगी भर
के लिये ही
बस गिरे रहते हैं
जिनको उठाने
वाले ही हमारे
बीच से
पता नहीं कब
नाटक पूरा होने से
बस कुछ पहले ही
रुखसती ले लेते हैं ।
"750वाँ उलूक चिंतन: आज के 'ब्लाग बुलेटिन' पर"
सुंदर लेखन , धन्यवाद सर !
जवाब देंहटाएंआभार आशीष ।
हटाएंआपकी लिखी रचना शनिवार 23 अगस्त 2014 को लिंक की जाएगी........
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आभारी हूँ यशौदा जी ।
हटाएंशुभ प्रभात भाई सुशील जी
जवाब देंहटाएं750 पोस्ट पर शुभामनाएं
सादर
आभार ।
हटाएंअभिव्यक्ति के सशक्त स्वर संजोये है रचना।
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ.
आभार ।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (23-08-2014) को "चालें ये सियासत चलती है" (चर्चा मंच 1714) पर भी होगी।
--
750वीं पोस्ट की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ शास्त्री जी ।
हटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बाधाई।
सादर
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।। शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंUniversity of Perpetual Help System Dalta Top Medical College in Philippines
जवाब देंहटाएंUniversity of Perpetual Help System Dalta (UPHSD), is a co-education Institution of higher learning located in Las Pinas City, Metro Manila, Philippines. founded in 1975 by Dr. (Brigadier) Antonio Tamayo, Dr. Daisy Tamayo, and Ernesto Crisostomo as Perpetual Help College of Rizal (PHCR). Las Pinas near Metro Manila is the main campus. It has nine campuses offering over 70 courses in 20 colleges.
UV Gullas College of Medicine is one of Top Medical College in Philippines in Cebu city. International students have the opportunity to study medicine in the Philippines at an affordable cost and at world-class universities. The college has successful alumni who have achieved well in the fields of law, business, politics, academe, medicine, sports, and other endeavors. At the University of the Visayas, we prepare students for global competition.