रविवार, 28 फ़रवरी 2021

किसी महीने बरसात कम होती किसी महीने बकवास कम होती



करते करते
बकवास निरन्तर
सुजान हो चले जड़मति
ये भी तो किस्मत है होती

अभ्यास
समझ रोज का लेखन
आभासी कलम पन्ने जोतती
खुद ही कुछ बोती

जमा होते चले 
आगे के पीछे पीछे के आगे
आँखें मूंद वर्णमाला के मोती पर मोती

वाक्य चढ़े वाक्य के ऊपर
शब्दों की पहन कहीं अटपटी
कहीं फटी एक धोती

चित्र जड़े श्रँगार समझ कर
कुछ हल्के पर कुछ भार पटक कर
लिख डाली पोथी पर पोथी

धुँआ सोच कर हवा नोच कर
राख बनाते लिखे लिखाये अंगार दहक कर
कविता घोड़े बेच कर सोती

समझ समझ कर समझा लिखना
घुप्प अँधेरा जिसको दिन दिखना
सुबह सवेरे शुरु रात है होती

लिखना भर कर पेट गले तक
घिस घिस लिख कर गले गले तक
‘उलूक’ बेशरम पढ़ने वाले की आँखे
रोती हैं तो रोती।

चित्र साभार: https://www.123rf.com/

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

घर के कुत्ते ने शहर के कुत्ते के ऊपर भौंक कर आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है बधाई है ‘उलूक’ बधाई है


अखबार में
फोटो आई है
सारा घर मगन है

मालिक
कभी दिखाया नहीं जाता है
घर के कुत्ते ने बहुत धूम मचाई है

घर में
भौंकता नहीं है कभी
कटखन्ने होने की मिठाई है

किसी को
 कभी काटा नहीं
किसी को कभी भौंका नहीं
अपने को बचाने की कीमत मिली है
या
किसी ने कीमत चुकाई है

बजट
अभी अभी निकला है
जनता समझ नहीं पायी है

कुत्ते कुत्ते
पट्टे पट्टे
खबर किस ने पहुंचाई है
खबर
मगर लाजवाब आई है

मालिक की
खबर की जगह
एक कुत्ते की खबर
हमेशा पव्वे के सहारे
अद्धे ने पहुंचाई है

कुत्ता
घूमता रहता है शहर शहर
मालिक की आज बन आई है

कुत्ते ने
अखबार में जगह पा कर
मालिक को दी बधाई है

जय जय कार है अखबार की
गजब की खबर एक आज बना के दिखाई है

कुत्ते को पता नहीं है कुछ भी
उसने आज भी उसी तरह अपनी पूंछ हिलाई है
 
मालिक सोच में पड़ा है
उसकी खबर किसने क्यों और कैसे उड़वाई है

‘उलूक’
कुत्ते पाला कर
शहर में भी भेजा कर
अखबारों की जरूरत आज बदल कर
नई सोच उभर कर आई है

अच्छा करना
ठीक नहीं
कुत्ते ने कुत्ते के ऊपर भौंक कर
आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है ।