उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014

दस अक्टूबर है आज पागलों का दिन है पागलों को पता है पता नहीं

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पागलों का दिन है सुबह सुबह आज डाक्टर मित्र ने बताया बहुत कुछ अपना अपना जैसा लगा आज का सारा दिन कल ही रात सुना था किसी का सपना मर गया बुखा...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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