उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

कुछ भी लिख देना लिखना नहीं कहा जाता है

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एक बात पूछूँ पूछ पर पूछने से पहले ये बता  किस से पूछ रहा है पता है  हाँ पता है  किसी से नहीं पूछ रहा हूँ  आदत है पूछने की  बस यूँ ही ऐसे ही...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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