प्रतीक्षा में हूँ
उन सर्द
हवाओं की
जो मेरी
अन्तरज्वाला
को शांत करें ।
प्रतीक्षा में हूँ
उन गरम
फिजाओं की
जो मेरे
ठंडेपन को
कुछ गरम करें ।
सदियों से
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से राजनीति
कर रही है ।
सर्द हवाऎं
मेरी सर्दी
को अपना
लेती हैं ।
गरम फिजाऎं
मेरी ज्वाला
को उतप्त
बना देती हैं
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जल रहा था ।
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जम रहा था ।
अब
पचास वर्षों
के बाद
मुझे इंतजार है
न सर्द
हवाओं का ।
न इंतजार है
गरम
फिजाओं का ।
शायद यही
रास्ता है
कभी
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से मिले
और
यूं ही
भटकते हुवे
मुझे स्थिरता
मिले ।
उन सर्द
हवाओं की
जो मेरी
अन्तरज्वाला
को शांत करें ।
प्रतीक्षा में हूँ
उन गरम
फिजाओं की
जो मेरे
ठंडेपन को
कुछ गरम करें ।
सदियों से
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से राजनीति
कर रही है ।
सर्द हवाऎं
मेरी सर्दी
को अपना
लेती हैं ।
गरम फिजाऎं
मेरी ज्वाला
को उतप्त
बना देती हैं
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जल रहा था ।
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जम रहा था ।
अब
पचास वर्षों
के बाद
मुझे इंतजार है
न सर्द
हवाओं का ।
न इंतजार है
गरम
फिजाओं का ।
शायद यही
रास्ता है
कभी
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से मिले
और
यूं ही
भटकते हुवे
मुझे स्थिरता
मिले ।
bahut dinon se koi samachaar nahi mila....bahut hee khoobsurat kavita hai...
जवाब देंहटाएंआप आजकल कम नज़र आते हैं. आशा है कुशल मंगल होगा.
जवाब देंहटाएंआपको नए साल की शुभकामनाये!!
वैसे यह कविता बेहतरीन है.
- सुलभ
बहुत बहुत रोचक, बहुत अच्छी कल्पना है. वाकई बहुत मजा आया.
जवाब देंहटाएंyun hi bhatakte hue mujhey sthirta mile...
जवाब देंहटाएंbahut sunder! :)
Almoda apni khubsurti ke liye charchit hai... iski sunderta aapki kavitaon mein bhi jhalakti hai...
-ojasi
बेदु पाको बारों मासा ......
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिए धन्यवाद की उपरोक्त गीत के गीतकार कुमाऊ के मशहूर कवी थे, लकिन कौन थे ?
बात वही की वही .............वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर
छोड़ना बेहतर .......... सॉरी / आपकी कमेन्ट के संदर्भ मै (पता कर लें )......
पहले मन को तो स्थिर/स्थित कर लें
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआज भी मैं
जवाब देंहटाएंवहीं हूँ
जहाँ मैं
जल रहा था ।
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जम रहा था ।...वाह! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सर.
वाह!सर ,बहुत खूब!
जवाब देंहटाएं