सोमवार, 30 अप्रैल 2012

शैतान बदरिया

ओ बदरिया कारी
है गरमी का मौसम
और तू रोज रोज
क्यों आ जा रही
बेटाईम आ आ के
भिगा रही
बरस जा रही
सबको ठंड लगा रही
जाडो़ भर तूने नहीं
बताया कि तू क्यों
नही बरसने
को आ रही
लगता है तू आदमी
को अपना
मूड दिखा रही
आदमी के
कर्मों का
फल उसको
दिला रही
पर तू ये भूल
क्यों जा रही
कि तेरे बदलने
से ही तो
आदमी की पौ
बारा हो जा रही
क्लाईमेट चेंज और
ग्लोबल वार्मिंग
के नाम पर
जगह जगह दुकानें
खुलते जा रही
जैसे ही नदी सूख
जाने की खबर
दी जा रही
तू शैतान बरस
के पानी से लबालब
करने क्यों आ रही
बदरिया जरा कुछ
तो बता जा री।

3 टिप्‍पणियां:

  1. शोभा चर्चा-मंच की, बढ़ा रहे हैं आप |
    प्रस्तुति अपनी देखिये, करे संग आलाप ||

    मंगलवारीय चर्चामंच ||

    charchamanch.blogspot.com

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  2. यही तो अनिश्चय बेमौसम बरसात , सूखा और बाढ़ जलवायु बदलाव की सौगातें हैं अवांच्छित .

    कृपया यहाँ भी पधारें -
    डिमैन्शा : राष्ट्रीय परिदृश्य ,एक विहंगावलोकन

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    सोमवार, 30 अप्रैल 2012

    जल्दी तैयार हो सकती मोटापे और एनेरेक्सिया के इलाज़ में सहायक दवा
    कैंसर रोगसमूह से हिफाज़त करता है स्तन पान .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    Posted 1st May by vee

    जवाब देंहटाएं
  3. कल 25/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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