शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

झपट लपक ले पकड़

जमाना
वाकई में
बड़ी तेजी से
बदलता
जा रहा है

कौआ
कबूतर को
राजनीति
सिखा रहा है

कबूतर
अब चिट्ठियाँ
नहीं पहुंचाया
करता है

कौवा भी
कबूतर को
खाया नहीं
करता है

कौवा
उल्लुओं का
शिकार करने
की नयी
जुगत
बना रहा है

कौवा
कबूतर
भेज कर
उल्लूओं को
फंसा रहा है

ये पक्षियों
को क्या होता
जा रहा है

पारिस्थितिकी
को क्यों इस तरह
बिगाड़ा जा रहा है

"आदमी की
संगत का असर 

पक्षियों का
राजनीतिक
सफर"

मूँछ मे
ताव देता
एक प्रोफेसर
टेढ़े टेढ़े मुंह से
हंसता हुवा
यू जी सी की
संस्तुति हेतु
एक करोड़
की परियोजना
बना रहा है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. पाँच साल से पैक है, इक नौ लखा मशीन ।

    नई योजना ली बना, हो प्रोजेक्ट विहीन ।


    हो प्रोजेक्ट विहीन, मिलेंगे पुन: करोड़ों ।

    सात पुश्त के लिए, सम्पदा जम के जोड़ो ।



    ड्राइवर माली धाय, खफा हैं चाल-ढाल से ।

    पत्नी पुत्री-पुत्र, बिगड़ते पाँच साल से ।।

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  2. आज शुक्रवार
    चर्चा मंच पर
    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||

    charchamanch.blogspot.com

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