बुधवार, 9 मई 2012

गैंग

सभ्य एवम
पढे़ लिखे
कहलाये
जाने वाले
एक बड़े
समूह में
छितराये
हुए से
कुछ लोग
कहीं कहीं
साथ साथ से
हो जाते है
आपस में
बतियाते हैं
रोज मिल
पाते हैं
लोगों को
दिख जाते हैं
ऎसे ऎसे
कई झुरमुट
कुकुरमुत्ते
की तरह
जगह जगह
उगते चले
जाते हैं

अब
कुकुरमुत्ते
भी तो
माहौल के
हिसाब से
ही पनप
पाते हैं
कुछ ही
कुकुरमुत्ते
मशरूम
की श्रेणी
में आते है
सँयमित
तरीके से
जब उगाये
जाते हैं
तभी तो
खाने में
प्रयोग में
लाये जाते हैंं

कभी कभी
जब इधर के
कुछ लोग
उधर के
लोगों में
चले जाते हैं
बातों बातों
में फिसल
जाते है
सामने वाले
से उसके
समूह को
गैंग कह
कर बुलाते हैं
उस समय
हम समझ
नहीं पाते हैं
कि
वो उन्हे
गिरोह
कह रहे हैं
टोली
कह रहे हैं
दल
कह रहे हैं
या
मँडली
कह रहे हैं
संग गण
वृन्द मजदूर
गुलाम भी
तो गैंग के
रूप के रूप
में कहीं कहीं
प्रयोग किये
जाते हैं

अच्छा
रहने दो
अब
बातो को
हम लम्बा
खींच कर
नहीं ले
जाते है
मुद्दे पर
आते हैं

भले लोग
बात करने
में अपनी
मानसिकता
का परिचय
जरूर
दे जाते हैं
बता जाते हैं
सभ्य एवम
पढे़ लिखे
लोग
सही समय
पर सही
शब्द ही
प्रयोग में
लाते हैं।

6 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ ही कुकुरमुत्ते मशरूम की श्रेणी में आते है
    सँयमित तरीके से जब उगाये जाते हैं
    तभी तो खाने में प्रयोग में लाये जाते है||

    मस्त विषय ||

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    की ओर से शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. पढ़े लिखे लोग सही समय पर सही शब्द प्रयोग ही लातें हैं ...बढ़िया प्रस्तुति ..कृपया यहाँ भी पधारें -
    बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    रहिमन पानी राखिये
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह....
    बहुत बढ़िया......
    सभ्यता बातों से झलकती है....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं