शनिवार, 9 जून 2012

उल्लू की रसोई

रोज
कोशिश
करता हूँ

कुछ
ना कुछ
पका ही
ले जाता हूँ

खुद
खाने के
लिये नहीं
यहाँ परोसने
के लिये
ले आता हूँ

कुछ
खाने वाले
खीर को
आईसक्रीम
बताते हैं

चीनी
डाली है
कहने पर
नमक तेज
डाल दिया
तक
कह जाते हैं

अब
रसोईया
वही तो
पका पायेगा

जिस
चीज का
कच्चा माल
अपने आस पास
उसे मिल जायेगा

खाने
वाले को पसंद
आये तो ठीक
नहीं भी आये
तब भी परोस तो
दिया ही जायेगा

कोई
थोड़ा खायेगा
कोई पूरा
खा जायेगा

कोई कोई
थाली को
सरका कर के
किनारे से
निकल जायेगा

किसी के मन
बहुत ज्यादा
भा गया
खाना मेरा
तो रोटियाँ
अपनी थाली
के लिये भी
उठा ले जायेगा
मेरा क्या जायेगा? 

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