अब
अगर
उल्टी
आती है
तो कैसे
कहें उससे
कम आ
पूरा मत
निकाल
थोड़ा सा
छोटे छोटे
हिस्सों में ला
पूरा निकाल
कर लाने का
कोई जी ओ
आया है क्या
कुछ पेट में भी
छोड़ कर आ
लम्बी कविता
बन कर के क्यों
निकलती है
कुछ क्षणिंका
या हाईगा
जैसी चीज
बन के आ जा
अब अगर
कागज में
लिखकर
नहीं होता हो
किसी से
हिसाब किताब
तो जरूरी
तो नहीं ऎसा
कि यहाँ आ आ
कर बता जा
अरे कुछ
बातों को रहने
भी दिया कर
परदे में
बेशर्मों की
तरह घूँघट
अपना उधाड़
के बात बात
पर मत दिखा
रुक जा
वहाँ भी कुछ
नहीं होने वाला
यहाँ भी कुछ
नहीं होने वाला
नक्कार खाने
में कितनी भी
तूती तू बजाता
हुआ चले जा
इस से
अच्छा है
कुछ अच्छी
सोच अपनी
अभी भी
ले बना
मौन रख
बोल मत
शांत हो
अपना भी
खुश रह
हमको भी
कभी चाँद
तारों सावन
बरसात
की बातों
का रस
भी लेने दे
बहुत
पका लिया
अब जा ।
अगर
उल्टी
आती है
तो कैसे
कहें उससे
कम आ
पूरा मत
निकाल
थोड़ा सा
छोटे छोटे
हिस्सों में ला
पूरा निकाल
कर लाने का
कोई जी ओ
आया है क्या
कुछ पेट में भी
छोड़ कर आ
लम्बी कविता
बन कर के क्यों
निकलती है
कुछ क्षणिंका
या हाईगा
जैसी चीज
बन के आ जा
अब अगर
कागज में
लिखकर
नहीं होता हो
किसी से
हिसाब किताब
तो जरूरी
तो नहीं ऎसा
कि यहाँ आ आ
कर बता जा
अरे कुछ
बातों को रहने
भी दिया कर
परदे में
बेशर्मों की
तरह घूँघट
अपना उधाड़
के बात बात
पर मत दिखा
रुक जा
वहाँ भी कुछ
नहीं होने वाला
यहाँ भी कुछ
नहीं होने वाला
नक्कार खाने
में कितनी भी
तूती तू बजाता
हुआ चले जा
इस से
अच्छा है
कुछ अच्छी
सोच अपनी
अभी भी
ले बना
मौन रख
बोल मत
शांत हो
अपना भी
खुश रह
हमको भी
कभी चाँद
तारों सावन
बरसात
की बातों
का रस
भी लेने दे
बहुत
पका लिया
अब जा ।
लम्बे लम्बे फेंकते, लम्बी लम्बी भाँज ।
जवाब देंहटाएंआज उन्हीं को खल गई, शिकायती अंदाज ।
शिकायती अंदाज, करे सब वायदे लम्बे ।
बिजली गुल हो जाय, दीखते लम्बे खम्बे ।
मलिका लम्बी भली, खले पर कविता लम्बी।
लम्बे से बीमार, खाइए छिली मुसम्बी ।।
बहुत लाजवाब प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (21-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत खूब इस्तेमाल किया है आपने अभिधा ,लक्षणा और व्यंजना का.सादर नमन .
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर.
सादर
अनु
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार
मौन रख बोल मत शांत हो
जवाब देंहटाएंअपना भी खुश रह हमको भी
कभी चाँद तारों सावन बरसात
की बातों का रस भी लेने दे
बहुत पका लिया अब जा !
बहुत खूब ...
सुंदर ...
सादर !!