रविवार, 22 जुलाई 2012

लोटा प्रतियोगिता

नीचे लिखे
लम्बे को
सब से छोटा
बनायेगा जो
प्रतियोगिता
में भाग लेगा
सब से बड़ा
लोटा भी
इनाम में ले
जायेगा वो ।


अजीब सा
महसूस होता है
अजीब अजीब
तरह के लोग
अजीब तरह से
पेश आते हैं
अजीब अजीब
सी बातें
पता नहीं
कैसे कैसे
अजीब अजीब
तरीकों से
सामने आ आ
कर गुनगुनाते हैं
अब एक
अजीब सी
शख्सियत
सामने आये
अजीब तरह
की हरकतें करे
और आशा करे
सामने वाला
मुस्कुराये
अजीब होने पर भी
किसी को कुछ भी
अजीब सा
ना लग पाये
ऎसे बहुत से
अजीब लोग
अजीब तरह
से रोज ही
तो टकराते हैं
अजीब लोगों को
कुछ हो या ना हों
हम भी तो सारा
अजीब पी जाते है
वैसे अजीब हो जाना
या अजीब सा कुछ
कर जाना ही
तो ज्यादा से
ज्यादा शोहरत
दिला जाता है
देख लीजिये
दुनिया की
सबसे अजीब
चीजों को ही
सातवें आश्चर्य की
सूची में शामिल
किया जाता है
इसलिये समय रहते
कोशिश करने में
क्या जाता है
अगर कोई अजीब
ना होते हुऎ भी
अजीब हो
जाना चाहता है
इसलिये खोजिये
अपने में भी
कुछ भी
अजीब अगर
आपको नजर
आता है
क्या पता उस
अजीब का होना
आपको भी
दुनिया का
सबसे अजीब
चीज बना
जाता है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. लोटा छोटा या बड़ा, लोटा लुढका मस्त |
    अजी अजीरण था हुआ , कै-उबकाई दश्त |
    कै-उबकाई दश्त , पस्त जब तक न होवे-
    लोटा लोटा कष्ट, हमेशा दिनभर ढोवे |
    रविकर छोटी करे, आप की यह उबकाई |
    चार कुंडली जोड़, घटा देगा लम्बाई ||

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  2. जगह जगह पर दिख रहे, बन्दे बड़े अजीब |
    जब देखा जजमान को, जाकर जरा करीब |
    जाकर जरा करीब, जोश में जोशी भैया |
    लम्बी लम्बी फेंक, बटोरें बड़ी बधैया |
    मिलती है इक क्लास, पढ़ाने लगते दिनभर |
    ज्यों कविता बिन सांस, लिए बकता है रविकर ||

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  3. शोहरत के पीछे पड़े, रहे मुहूरत देख |
    कविताई करते रहे, लिखते हैं अब लेख |
    लिखते हैं अब लेख , कभी नेता फंस जाता |
    श्याम सलोनी नार, कभी कुदरत से नाता |
    हरकत सभी अजीब, सातवाँ अचरज लागा |
    फोटू गई छपाय, फंसा था किन्तु अभागा ||

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  4. पाठक मित्रों से-
    मित्रो इनको झेल के, करते हो उपकार |
    कालेज के बच्चे सभी, प्रकट करें आभार |
    प्रकट करें आभार, सार न कभी बताते |
    लम्बी लम्बी हांक, सदा रामायण गाते |
    रविकर करे रिक्वेस्ट, नहीं लम्बे से सनको |
    छोटी मोटी चीज, नहीं भाती श्रीमन को ||

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  5. छोटी करके धर दिया, गिनो चार सौ बीस |
    शब्दों का संग्रह किया, ली पाठक की रीस |
    ली पाठक की रीस, खीस काढ़े अब रविकर |
    करिए पाठक माफ़, फंसू न अब इस चक्कर |
    शब्दों के वे भाव, ढूंढ़ कर अगर पढोगे |
    रस का स्वाद अपूर्व, तभी तो मित्र चखोगे ||

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  6. अपने समझ न आई, प्रतियोगिता लोटा,
    मुबारक हो रविकर जी को,ले जाये लोटा,,,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण,,,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,

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  7. इस अजीब के माया जाल में अजीब अजीब चीजों को ढूंढते हुवे अजीब ख्याल आते हैं ... एक अजीब सी सजीव कविता ...

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  8. लोटे की प्रतियोगिता, देखी पहली बार।
    वोलो भइया कहाँ से, लाये नवल विचार।।

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  9. सुन्दर मनोहर किसी बड़ी आदमिन(ईव) का पूडल बनना भी क्या किसी अजूबे से कमतर है भाई साहब ?

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