खाने के
अलग
और
दिखाने
के अलग
होते हैं दांत
एक हाथी
के पास
सब को
समझ में
आता है
मुझे
पता नहीं
क्या क्या
दिखाई
दे जाता है
अपने
आस पास
खाने के भी
देखता हूँ
दिखाने के भी
देखता हूँ
और
एक ऎसे
भी होते हैं
जो हाथी
के पास
होते ही
नहीं वैसे
छिपाने के
भी देखता
हूँ दांत
लीजिये खाने
में लगे हैं
खाने के है
तो खायेंगे
बजायेंगे तो
नहीं दांत
दिखाने में भी
लगे हैं
सारी दुनिया
दिखावे में
लगी हुवी है
अब जिनके
पास होंगे
वो ही तो
दिखायेंगे दांत
पर कोई नहीं
दिखाता अपने
छुपाने वाले दांत
मुस्कुरा भी
नहीं पाता
खुल कर हंस
भी नहीं पाता
कहीं गलती से
दिख गये तो दांत
इसलिये चुप
चुप रहता है
कुछ नहीं
कहीं कहता है
पूछो तो मौनी है
बताता है
बस सामने वाले
की हरकतों से
बिलकुल भी नजर
नहीं हटाता है
सारा का सारा
ध्यान किसी के
मौन को कुरेदने
में लगाता है
अर्जुन की तरह
बस छुपाने वाला
दांत किसी तरह
पकड़ पाये
इसके लिये
हर समय कोई
ना कोई योजना
अपने दिमाग में
ऎसी घुमाता है
सामने वाला
और
ज्यादा शातिर
हो जाता है
समझ जाता है
कोई देखना
चाहता है उसका
छुपाने वाला दांत
किसी को पर
पता नहीं
चल पाता है
इसका दांत
उसकी कब
चबाता है
उसका दांत
इसकी कब
चबाता है
छिपाने वाला
दांत छिपा ही
रह जाता है
किसी को भी
नजर कहीं
नहीं आता है ।
अलग
और
दिखाने
के अलग
होते हैं दांत
एक हाथी
के पास
सब को
समझ में
आता है
मुझे
पता नहीं
क्या क्या
दिखाई
दे जाता है
अपने
आस पास
खाने के भी
देखता हूँ
दिखाने के भी
देखता हूँ
और
एक ऎसे
भी होते हैं
जो हाथी
के पास
होते ही
नहीं वैसे
छिपाने के
भी देखता
हूँ दांत
लीजिये खाने
में लगे हैं
खाने के है
तो खायेंगे
बजायेंगे तो
नहीं दांत
दिखाने में भी
लगे हैं
सारी दुनिया
दिखावे में
लगी हुवी है
अब जिनके
पास होंगे
वो ही तो
दिखायेंगे दांत
पर कोई नहीं
दिखाता अपने
छुपाने वाले दांत
मुस्कुरा भी
नहीं पाता
खुल कर हंस
भी नहीं पाता
कहीं गलती से
दिख गये तो दांत
इसलिये चुप
चुप रहता है
कुछ नहीं
कहीं कहता है
पूछो तो मौनी है
बताता है
बस सामने वाले
की हरकतों से
बिलकुल भी नजर
नहीं हटाता है
सारा का सारा
ध्यान किसी के
मौन को कुरेदने
में लगाता है
अर्जुन की तरह
बस छुपाने वाला
दांत किसी तरह
पकड़ पाये
इसके लिये
हर समय कोई
ना कोई योजना
अपने दिमाग में
ऎसी घुमाता है
सामने वाला
और
ज्यादा शातिर
हो जाता है
समझ जाता है
कोई देखना
चाहता है उसका
छुपाने वाला दांत
किसी को पर
पता नहीं
चल पाता है
इसका दांत
उसकी कब
चबाता है
उसका दांत
इसकी कब
चबाता है
छिपाने वाला
दांत छिपा ही
रह जाता है
किसी को भी
नजर कहीं
नहीं आता है ।
daant ke bahane bahut kuch... ek meri bhi kavita hai.. lekin sade hue daant par....aaj confidence aayaa ki theek hi hogi meri bhi kavita
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंबधाई दांतों को -
चाहे जैसे भी हों, विषैले न होने चाहिए।
जवाब देंहटाएंजैसे होते है दो,आँख कान दो हाथ
जवाब देंहटाएंवैसे होने चाहिए,जैसे हाथी के दांत,,,,,
वाह ,,, बहुत बढ़िया ,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
जैसा ज़माना तैसे दाँत! :D
जवाब देंहटाएंवाह: दंत जी तेरे रुप अनेक..
जवाब देंहटाएंgood job.
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क