बुधवार, 5 सितंबर 2012

शिक्षक दिवस

माता पिता
समाज
परिवेश
घर गाँव
शहर देश

पता नहीं

यहाँ तक
आते आते
किसने क्या
क्या
पढ़ाया 

शिक्षक दिवस
पर आज
अपने गुरुजनों
के साथ साथ

हर वो शख्स
मुझे याद आया

जिसने
कुछ ना कुछ
अच्छा बुरा
मुझे
सिखाया 

कोशिश
भी की
सीखने की
कुछ कुछ
हमेशा

पर
रास्ता
अपने
गुरु का
दिया हुआ
ही अपनाया

यहाँ तक
बेरोकटोक

शायद
इसी लिये
चल के
आराम से
आ पाया

आसपास
अपने

बोली भाषा
और
पहनावे
को
आज जब

मैं
खुद नहीं
समझ पाया

प्रश्न उठना
ही था
मन के कोने
में कहीं

पूछ बैठा
उसी समय
अपने आप से
वहीं के वहीं

शिक्षा
दी हो
शायद यही
मैंने ही
सब कुछ इन्हें

वही इन
सब के
व्यवहारों में
परिलक्षित हो
सामने से
है आया ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. शिक्षक दिवस की आप को हार्दिक शुभकामनाएं..मेरी नई पोस्ट ्कर गुरु महिमा" पर भी आए....वो शायद कहीं ब्लिक नही कर रहा है.सिर्फ मेरी वाल पर दिख रहा है..आभार

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!
    अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  3. शिक्षक दिवस की आप को हार्दिक शुभकामनाएं..

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  4. हम सब उत्पाद हैं शिक्षा के ,शिक्षक के ,जैसा बोया वैसा पाया ......
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

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  5. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  6. हर व्यक्ति है शिक्षक,
    दे सकता है हर कोई
    नए आयाम गढ़ता है अनपढ़ भी
    मानवता और संस्कार के!

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  7. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " गुरुवार 5 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  8. शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ🙏🙏

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