अखबारों ने सारे
आज मुख्य पृष्ठ पर
जंगल का तेंदुआ
शहर के बीच
में घुसा हुआ
एक दिखाया
जंगल के ठेकेदारों
को बुलवा कर
पिंजरे में उस
बेचारे को
जबरदस्ती कर
फिर फंसवाया
लिखा था
फिर से जंगल में
लेजाकर
छोड़ दिया जायेगा
बहुत सारे
तेंदुओं से
मिल लिया है
यहाँ आकर
दुबारा से
हिम्मत करके भी
यहाँ कभी ही
शायद आयेगा
उसे कहाँ पता था
जंगल के तेंदुऎ
धोखेबाजी करके
यहाँ रोज ही
फसाये जाते हैं
शहर में भी
तो हैं तेंदुऎ
जो रोज अखबार
में दिखाये जाते हैं
पर तेंदुऎं है
करके कभी
बताये तक
नहीं जाते हैं
पिंजरे उनके लिये
कहीं भी कभी भी
नहीं लगाये जाते हैं
शिकार घेर घेर कर
उनके लिये ले जाये
जरूर जाते हैं
कुछ बेवकूफ खुद
बा खुद उनकी
माँद में जा कर
घुस जाते हैं
शिकार हो जाते हैं
और मुस्कुराते हैं
कुछ इलाके
कुछ तेंदुओं
के लिये
छोड़ दिये
जाते हैं
एक इलाके
के तेंदुऎ
दूसरे के इलाके
की तरफ आँख
भी नहीं उठाते हैं
सारे तेंदुऎ
नोचते हैं
भरे हुए पेटों से
जो कुछ भी
नोच पाते हैं
खुले आम
शहर के बीच
सड़क
चलती जनता
को भी वो
जरूर ही
नजर आते हैं
नोच खसोट करते
हुऎ ये सारे तेंदुऎ
अखबार में भी
दिखाये जाते हैं
पर ये भी तेंदुऎ हैं
करके कभी भी
किसी को बताये
तक नहीं जाते हैं ।
आज मुख्य पृष्ठ पर
जंगल का तेंदुआ
शहर के बीच
में घुसा हुआ
एक दिखाया
जंगल के ठेकेदारों
को बुलवा कर
पिंजरे में उस
बेचारे को
जबरदस्ती कर
फिर फंसवाया
लिखा था
फिर से जंगल में
लेजाकर
छोड़ दिया जायेगा
बहुत सारे
तेंदुओं से
मिल लिया है
यहाँ आकर
दुबारा से
हिम्मत करके भी
यहाँ कभी ही
शायद आयेगा
उसे कहाँ पता था
जंगल के तेंदुऎ
धोखेबाजी करके
यहाँ रोज ही
फसाये जाते हैं
शहर में भी
तो हैं तेंदुऎ
जो रोज अखबार
में दिखाये जाते हैं
पर तेंदुऎं है
करके कभी
बताये तक
नहीं जाते हैं
पिंजरे उनके लिये
कहीं भी कभी भी
नहीं लगाये जाते हैं
शिकार घेर घेर कर
उनके लिये ले जाये
जरूर जाते हैं
कुछ बेवकूफ खुद
बा खुद उनकी
माँद में जा कर
घुस जाते हैं
शिकार हो जाते हैं
और मुस्कुराते हैं
कुछ इलाके
कुछ तेंदुओं
के लिये
छोड़ दिये
जाते हैं
एक इलाके
के तेंदुऎ
दूसरे के इलाके
की तरफ आँख
भी नहीं उठाते हैं
सारे तेंदुऎ
नोचते हैं
भरे हुए पेटों से
जो कुछ भी
नोच पाते हैं
खुले आम
शहर के बीच
सड़क
चलती जनता
को भी वो
जरूर ही
नजर आते हैं
नोच खसोट करते
हुऎ ये सारे तेंदुऎ
अखबार में भी
दिखाये जाते हैं
पर ये भी तेंदुऎ हैं
करके कभी भी
किसी को बताये
तक नहीं जाते हैं ।
सही कहा आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
--
कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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