गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

भूख भगा डबलरोटी सोच और सो जा


उसे ये बता कर 
कि कल रात से बगल में मेरे
वो भूखा है सोया हुआ
मुझे
अपनी आफत 
नहीं बुलानी है

जो एक्स्पायरी डेट 
छपे हुऎ
डिब्बा बंद 
खाना
बनाने की
तकनीक का कंंसेप्ट सीखकर

मेरे और
मेरे आस पास के
भूखे लोगों को
तमीज सिखाने भिजवाया गया है

वो
चाँद सोचता है
और बस चाँद ही खोदता है

भूखों के लिये
रोटी के सपने 
तैयार करने वाली मशीन का कंंसेप्ट
उसे 
देने वाला

अब
भूखों को उलझाता है
इधर जब
ये प्यार से झुनझुना बजाता है

इस तरह
उसपर से बोझ सारा
अपने ऊपर ले आता है

चिन्ता सारी 
त्याग कर
वो चैन से चाँद खोदने
चाँद की ओर चला जाता है

ऐसे ही धीरे धीरे
एक सभ्य समाज का निर्माण
हम 
भूखों के लिये हो जायेगा

क्योंकि
बहुत से 
लोगों को
चाँद 
सोचने का
मौका 
हथियाने का तमीज आ जायेगा

मैं और मेरे जैसे 
भूखे भी
सीख लेंगे
एक दिन चाँद की
तरफ देखने की हिम्मत कर ले जाना
और भूखे पेट
लजीज खाने के सपने बेच कर
चैन से सो जाना । 

चित्र साभार: https://publicdomainvectors.org/

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया और सटीक रचना | मज़ा आ गया पढ़कर |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  2. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय ब्लॉग बुलेटिन पर |

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  3. कहाँ उलझा दिया यार चाँद और डबलरोटी में :)
    कुछ हम जैसे नासमझों के लिए है यहाँ ??
    शुभकामनायें आपको !

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    उत्तर
    1. जी मैं अभी खुद ही उलझा हुआ हूँ मेरी समझ भी बंद हो चुकी है और बंद दिमाग ऎसा भी कर ले रहा है गजब नहीं है क्या ? शुभकामनाओं के लिये कोटिश आभार !

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  4. एसे ही धीरे धीरे
    एक सभ्य समाज
    का निर्माण हम भूखों
    के लिये हो जायेगा
    क्योंकी बहुत से
    लोगों को चाँद
    सोचने का मौका
    हथियाने का
    तमीज आ जायेगा...
    बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति ..

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