गुरुवार, 18 जुलाई 2013

देश बड़ा है घर की बनाते हैं

देश की सरकार
तक फिर कभी
पहुँच ही लेगें
चल आज अपने
घर की सरकार
बना ले जाते हैं
अंदर की बात
अंदर ही रहने
देते हैं किसी को
भी क्यों बताते हैं
ना अन्ना की टोपी
की जरूरत होती है
ना ही मोदी का कोई
पोस्टर कहीं लगाते हैं
मनमोहन को चाहने
वाले को भी अपने
साथ में मिलाते हैं
चल घर में घर की ही
एक सरकार बनाते हैं
मिड डे मील से हो
रही मौतों से कुछ तो
सबक सीख ले जाते हैं
जहर को जहर ही
काटता है चल
मीठा जहर ही
कुछ कहीं फैलाते हैं
घर के अंदर लाल
हरे भगवे में तिरंगे
रंगो को मिलाते हैं
कुछ पाने के लिये
कुछ खोने का
एहसास घर के
सदस्यों को दिलाते हैं
चाचा को समझा
कुछ देते हैं और
भतीजे को इस
बार कुछ बनाते हैं
घर की ही तो है
अपनी ही है
सरकार हर बार
की तरह इस
बार भी बनाते हैं
किसी को भी इस
से फरक नहीं
पड़ने वाला है कहीं
कल को घर से
बाहर शहर की
गलियों में अगर
हम अपने अपने
झंडों को लेकर
अलग अलग
रास्तों से निकल
देश के लिये एक
सरकार बनाने
के लिये जाते हैं ।

4 टिप्‍पणियां:


  1. ना अन्ना की टोपी
    की जरूरत होती है
    ना ही मोदी का कोई
    पोस्टर कहीं लगाते हैं
    मन मोहन को चाहने
    वाले को भी अपने
    साथ में मिलाते हैं,,,

    बहुत उम्दा,सुंदर अभिव्यक्ति,,वाह !!!

    RECENT POST : अभी भी आशा है,

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  2. हम अपने अपने
    झंडों को लेकर
    अलग अलग
    रास्तों से निकल
    देश के लिये एक
    सरकार बनाने
    के लिये जाते हैं !

    सुन्दर .............

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  3. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  4. बढ़िया है आदरणीय-

    भाँजा पञ्जा में मगन, भाई थामे तीर |
    कमल कमंडल हाथ में, लिए भतीजा वीर |
    लिए भतीजा वीर, बैठ हाथी पर बीबी |
    पुत्र साइकिल साथ, मुलायम बड़े करीबी |
    बढ़िया किया जुगाड़, सभी झंडे घर गाँजा |
    सत्ता तक है पहुँच, मुहल्ले रविकर भाँजा ||

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