मंगलवार, 23 जुलाई 2013

चेहरे पर भी लिखा होता है

चेहरे
पर भी तो
कुछ कुछ
लिखा होता है

ना कहे
कुछ भी
अगर कोई
तब भी
थोड़ा थोड़ा सा
तो पता होता है

अपना चेहरा
सुबह सुबह ही
धुला होता है

साफ होता है
कुछ भी कहीं
नहीं कहता है

चेहरा चेहरे
के लिये एक
आईना होता है

अपना चेहरा
देखकर कुछ
कहाँ होता है

बहुत कम
जगहों पर ही 
एक आईना
लगा होता है

अंदर बहुत
कुछ चल
रहा होता है

चेहरा कुछ
और ही तब
उगल रहा
होता है

दूसरे चेहरे
के आते ही
चेहरा रंग
अपना बदल
रहा होता है

चेहरे पर
कुछ लिखा
होता है
ऎसा बस
ऎसे समय
में ही तो
पता चल
रहा होता है ।

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